प्रयागराज (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जांच के दौरान साक्ष्य उपलब्ध है और उससे अपराध की प्रकृति प्रमाणित हो रहा है और वह गैंगस्टर एक्ट के प्रावधानों के तहत है तो गैंगस्टर एक्ट में की गई कार्रवाई सही है।
आरोपी का नाम गैंगस्टर सूची में शामिल किया जा सकता है और आगे की कार्रवाई हो सकती है। यह गैंगस्टर एक्ट नियम 22 के अनुसार है। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिरला और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने उस्मान व दो अन्य और मोहम्मद आजम की याचिका पर एक साथ सुनवाई कर खारिज करते हुए दिया है।
याचियों के खिलाफ मुरादाबाद के ठाकुरद्वारा थाने में सार्वजनिक संपत्ति नुकसान पहुंचाने, खान एंड खनिज अधिनियम सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। जांच के दौरान उनके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में भी प्राथमिकी दर्ज करते हुए कार्रवाई कर दी गई।
याचियों ने पुलिस की इस कार्रवाई को चुनौती दी। याचियों की ओर से कहा गया कि जांच के दौरान गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती है। यह गैंगस्टर नियम की धारा 5(3)(सी), 8 और 10 के खिलाफ है। किसी केस की जांच पूरी होने के बाद ही गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जा सकती है। जांच के दौरान नहीं की जा सकती।