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….जब तीर्थयात्रियों को 2013 जैसा मंजर याद आ गया

रेस्क्यू होने पर यात्रियों ने जताया प्रशासन का आभार

रुद्रप्रयाग  (हि.स.)। केदारनाथ धाम सहित पैदल यात्रा मार्ग पर फंसे तीर्थ यात्रियों ने रेस्क्यू के बाद अपनी आपबीती बताई और  त्वरित रेस्क्यू होने पर जिला प्रशासन का आभार जताया। यात्रियों ने बताया कि बुधवार की रात कभी न भूलने वाली रात थी। उम्मीद भी नहीं थी की वह बच पाएंगे। यात्रियों ने कहा की रेस्क्यू होने के बाद प्रशासन ने खाने की भी पूरी व्यवस्था की थी। हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू हुए यात्रियों ने बताया कि बुधवार रात वह काफी डर गए थे। अत्यधिक बारिश व अतिवृष्टि के बाद उन्हें 2013 के आपदा जैसा मंजर याद आ गया।

लगातार हो रही बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी और आसमान में बिजली भी चमक रही थी। हम रात भर सो नहीं पाए। भीमबली में घटना घटी, लेकिन असर केदारनाथ धाम तक हो रहा था। सुबह के समय मौसम साफ होने पर कुछ राहत की सांस ली। जब प्रशासन ने सभी यात्रियों को हेलीपैड पर एकत्रित करवाया और रेस्क्यू की बात की तो सांस आई। क्योंकि पैदल मार्ग पर भी पूर्ण रूप से आवाजाही बंद हो गई थी। हेलीकॉप्टर में बैठने के लिए यात्री आपस में बहस कर रहे थे, लेकिन प्रशासन ने बारी बारी से सभी को हेली से रेस्क्यू किया।

दिल्ली के दिलशाद गार्डन से केदारनाथ धाम की यात्रा पर आए ललित ने बताया कि वो दर्शन के बाद लौट रहे थे। उन्होंने बताया कि गौरीकुंड पहुंचने के बाद रात्रि को हुई अत्यधिक बारिश व अतिवृष्टि के बाद उन्हें 2013 का आपदा जैसा मंजर याद आ गया लेकिन उन्होंने प्रशासन की सराहना करते हुए कहा कि अतिवृष्टि के बाद जिला प्रशासन द्वारा काफी सक्रियता दिखाते हुए मदद की गई। बताया कि लगभग तीन किमी तक प्रशासन की टीमों द्वारा सफल रेस्क्यू किया गया जो अत्यंत सराहनीय है।

नेपाल से केदारनाथ धाम के दर्शन को पहुंचे तारकेश्वर सिंह ने बताया कि वह बीते रात को गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए निकले थे तथा कुछ ही दूरी पर जाने के बाद पहले हल्की तथा फिर भारी बारिश होने से वह वहीं पर रुक गए। इसके बाद भीषण बाढ़ आने से वह रात भर वहीं रुक गए। उन्होंने बताया कि आज सुबह एनडीआरएफ की टीम के पहुंचते ही रेस्क्यू किया गया। जिला प्रशासन एवं रेस्क्यू टीमों की सराहना करते हुए कहा कि प्रशासन व रेस्क्यू की टीमें पूरी तत्परता से राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। इसके लिए उन्होंने जिला प्रशासन एवं रेस्क्यू में लगी समस्त रेस्क्यू टीमों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

सोनप्रयाग में मंदाकिनी नदी में बहा 120 मीटर हिस्सा

सोनप्रयाग में केदारनाथ हाईवे का एक बहुत बड़ा हिस्सा मंदाकिनी नदी की तेज धारा में बह गया है। जिस कारण केदारनाथ यात्रा पर भी ब्रेक लगा गया है। सोनप्रयाग में ही सोन नदी के कटाव के कारण हाईवे और विद्युत विभाग के पावर हाउस को भी क्षति पहुंची है। सोनप्रयाग में हाईवे को हुए नुकसान के कारण रेस्क्यू कार्य करने में सुरक्षा जवानों को काफी दिक्कतें आई। कठिन पहाड़ी से जवानों ने अपनी जान की प्रवाह किए बगैर भक्तों का रेस्क्यू किया। सोनप्रयाग में केदारनाथ हाईवे और भीमबली और रामबाड़ा के बीच पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त होने से पैदल यात्रा शुरू होने में कुछ दिन का समय लग सकता है। हालांकि प्रशासन की टीमें जगह-जगह तैनात होकर रास्तों को खोलने में जुट गई हैं। सोनप्रयाग में भक्तों का रस्सी के जरिए जवानों ने कठिन पहाड़ी पर रेस्क्यू किया।

गौरीकुंड में गर्म कुंड चढ़ा मंदाकिनी नदी की भेंट

केदारनाथ यात्रा के सबसे मुख्य पड़ाव गौरीकुंड में संचार व विद्युत सेवा ठप है। मंदाकिनी नदी का जल स्तर बढ़ने से गौरीकुंड स्थित गर्म कुंड एक बार फिर आपदा की भेंट चढ़ गया है। जबकि घोड़ा पड़ाव गौरीकुंड को भी नुकसान होने की सूचना है। गौरीकुंड स्थित सटल सेवा वाहन पार्किंग को भी भारी क्षति पहुंची है। इतना ही नहीं पार्किंग में खड़े कुछ वाहनों के भी बहने की सूचना है। हालांकि जब वाहान बहे, उस समय उनमें कोई मौजूद नहीं था। गौरीकुंड ने 2013 की आपदा के बाद दोबारा फिर आपदा का दंश झेला है। रात के समय ही प्रशासन ने सतर्कता दिखाते हुए गौरीकुंड के निचले हिस्से को खाली करवा दिया था। अन्यथा एक बड़ी घटना घट सकती थी।

श्रद्धालुओं के लिए देवदूत बने डीएम सौरभ गहरवार

रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी डॉ सौरभ गहरवार एक बार फिर से पैदल मार्ग पर फंसे यात्रियों के लिए देवदूत बनकर सामने आए हैं। रात के समय जिलाधिकारी यात्रा कंट्रोल रूम से हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए थे और रेस्क्यू टीमों को अलर्ट कर दिया था। वहीं सुबह होते ही डीएम पहले सोनप्रयाग और फिर लिंचोली व भीमबली पहुंच गए। सबसे पहले डीएम ने जगह जगह रात को सुरक्षित स्थानों पर रोके गए यात्रियों को लिनचोली हेलीपैड पर एकत्रित किया और फिर तीन हेलीकॉप्टरों को रेस्क्यू में लगा दिया। स्वयं डीएम कभी शेरशी से तो कभी लिंचोली में रेस्क्यू अभियान में जुटे रहे। डीएम ने अलग से रेस्क्यू टीम भी पैदल मार्ग के अन्य जगह भेज दी। जबकि कुछ टीमों को भीमबली से नीचे फंसे यात्रियों के रेस्क्यू में लगा दिया। डीएम ने नदी किनारे और पैदल रास्तों पर भी जवानों को भेजा, जिससे पता चल सके की कोई कही फंसा हुआ तो नहीं है। डीएम की सतर्कता से एक बार फिर हजारों लोगों की जान बच पाई।

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