प्रयागराज (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अनिवार्य शिक्षा अधिकार कानून के अंतर्गत एक बच्चे को दूसरे वार्ड के नजदीकी स्कूल में प्रवेश देने से यह कहते हुए इंकार नहीं किया जा सकता कि वह अपने निवास के वार्ड के नजदीकी स्कूल में ही प्रवेश ले सकता है।
कोर्ट ने मुरादाबाद के वार्ड 15 के चार वर्षीय छात्र को वार्ड 16 के नजदीकी स्कूल में प्रवेश देने से इंकार करने के खंड शिक्षा अधिकारी मुरादाबाद के आदेश को रद्द कर दिया है और याची को स्कूल में प्रवेश देने पर विचार करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि स्कूल में प्रवेश बंद हो चुका हो तो याची अगले सत्र में प्रयास करें।
कोर्ट ने कहा नजदीकी स्कूल में प्रवेश का आशय कम यात्रा में स्कूल में अधिक बच्चों का प्रवेश देना है। इसका यह मतलब यह नहीं है कि उसी वार्ड में प्रवेश ले। वह नजदीक के दूसरे वार्ड के स्कूल में भी प्रवेश ले सकता है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता। केवल निवास वाले वार्ड के स्कूल में प्रवेश में वरीयता दी जा सकती है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने मास्टर अजीत प्रताप सिंह की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर कहना था कि याची किसी भी वार्ड के नजदीकी स्कूल में प्रवेश ले सकता है। उसे निवास वाले वार्ड में ही प्रवेश लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। ऐसा करना अनिवार्य शिक्षा कानून का उल्लंघन है।
याची वार्ड 15 का निवासी है। उसने वार्ड 16 स्थित आर्यंस इंटरनेशनल स्कूल मझोली रोड की प्री नर्सरी कक्षा में अलाभित समूह हेतु आरक्षित 25 फीसदी कोटे में आवेदन किया था। जिसको खंड शिक्षा अधिकारी मुरादाबाद द्वारा इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि बच्चे द्वारा अपने वार्ड से इतर वार्ड में स्थित विद्यालय में आवेदन कर दिया गया है। इसका उसे अधिकार नहीं है।