नई दिल्ली। चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया के सबसे बड़े हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट को शुरू करने की तैयारी में है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बांध भारत के लिए बाढ़ और सूखा जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। हालांकि, चीन का दावा है कि इस परियोजना का भारत और बांग्लादेश पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होगा। ब्रह्मपुत्र नदी, जिसे तिब्बत में यारलुंग जांगपो के नाम से जाना जाता है, पर इस बांध की योजना को चीन पहले ही मंजूरी दे चुका है।
तिब्बत में बनेगा विशाल बांध
चीन ने पिछले महीने तिब्बत में भारतीय सीमा के करीब इस बांध को बनाने की योजना की घोषणा की। यह बांध हिमालय की घाटी में बनाया जाएगा, जहां से ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश और फिर बांग्लादेश की ओर प्रवाहित होती है। इस विशाल परियोजना से न केवल पर्यावरणीय असर पड़ेगा, बल्कि यह क्षेत्रीय स्थिरता को भी प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि इस बांध के कारण भारत को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
गर्मी में बाढ़ और सर्दी में सूखा
जानकारों ने कहा कि गर्मियों में जब नदी का जलस्तर बढ़ेगा, तो बांध से अतिरिक्त पानी छोड़ा जाएगा। इससे पूर्वोत्तर भारत के कई इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा। वहीं, सर्दियों में जब नदी का प्रवाह कम होता है, तब बांध में पानी रोक लिया जाएगा, जिससे भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों में पानी की भारी कमी हो सकती है। यह सीधे तौर पर वहां के स्थानीय समुदायों और किसानों की आजीविका को प्रभावित करेगा।
भूकंप की आशंका भी गंभीर
हिमालयी क्षेत्र पहले से ही भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मेगा डैम परियोजनाएं भूकंपीय गतिविधियों को बढ़ावा दे सकती हैं। यह न केवल स्थानीय इलाकों में विनाशकारी प्रभाव डाल सकता है, बल्कि इससे पूरे क्षेत्र में अस्थिरता पैदा होने की आशंका है।
राजनीतिक तनाव का नया कारण
इस बांध के राजनीतिक प्रभाव भी चिंताजनक हैं। अगर चीन और भारत के बीच संबंध अच्छे होते हैं, तो यह परियोजना सहयोग के लिए उपयोगी साबित हो सकती है। लेकिन यदि संबंध बिगड़ते हैं, तो चीन इस बांध का उपयोग भारत पर दबाव बनाने के लिए कर सकता है। ऐसे में यह परियोजना भारत-चीन संबंधों में एक नई चुनौती के रूप में उभर सकती है।
भारत ने जताई चिंता
भारत ने इस बांध को लेकर पहले ही अपनी चिंता जाहिर की है। 3 जनवरी को, भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने चीन से आग्रह किया कि वह यह सुनिश्चित करे कि ब्रह्मपुत्र नदी के प्रवाह के निचले इलाकों के हितों को कोई नुकसान न पहुंचे। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाएगा।
अमेरिका के साथ चर्चा में मुद्दा उठा
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन की भारत यात्रा के दौरान भी इस मुद्दे पर चर्चा की गई। भारतीय अधिकारियों ने इस परियोजना को लेकर संभावित खतरों को अमेरिकी पक्ष के साथ साझा किया।