मुरादाबाद (हि.स.)। नए वर्ष के पहले महीने में एयरपोर्ट से लखनऊ और कानपुर के लिए 19 सीटर विमान से हवाई उड़ानें संचालित की जाएंगी। लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार दो दिन पहले नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से लाइसेंस मिल गया। अब शासन स्तर से उद्घाटन की तिथि का इंतजार रहेगा। तिथि मिलते ही उद्घाटन होगा और हवाई सेवा शुरू हो जायेगी।
मूंढापांडे स्थित हवाई पट्टी को हवाई अड्डे के रूप में विकसित करने के लिए एक एमओयू तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार और एएआई के बीच वर्ष 2014 में साइन हुआ था। इसके तहत 21 करोड़ रुपये की लागत से करीब 52 हेक्टेयर भूमि पर हवाई अड्डा बनाने की मंजूरी वर्ष 2014 की फरवरी माह में मिली थी और कुछ समय अंतराल के बाद वर्ष 2015 में हवाई अड्डे का निर्माण कार्य शुरू हो गया था।
शासन से देरी से बजट जारी होना और राजकीय निर्माण निगम की लापरवाही के कारण पांच साल बाद वर्ष 2019 तक काम पूरा नहीं हो पाया था। राजकीय निर्माण निगम के इंजीनियरों ने हवाई अड्डे पर बने रनवे के आसपास भराव के लिए मिट्टी पड़वाने की कीमत में बड़ा घोटाला कर दिया था। जब मौजूदा उत्तर प्रदेश सरकार के संज्ञान में यह विषय आया तो प्रदेश सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने तीन इंजीनियरों को निलम्बित करने का आदेश दे दिया था। तीनों के निलम्बित होने के बाद कर में तो कुछ तेजी आई लेकिन दो वर्ष कोरोना काल के कारण निर्माण कार्य बाधित रहा। हवाई अड्डे के आधे-अधूरे निर्माण के बीच वहां आसपास के लोगों ने एयरपोर्ट की बाउंड्री वालों को तोड़कर वहां बने रनवे पर दौड़ लगाना व खेलना शुरू कर दिया था। इसके कारण दिन प्रतिदिन एयरपोर्ट की स्थिति बदहाल होती जा रही थी। जिला प्रशासन की सख्ती के बाद दोबारा बाउंड्रीवाल का पुनः निर्माण हुआ और उसकी निगरानी के लिए चार वॉश टावर बना दिए गए।
रनवे की सतह को चिकना किया गया और फिर लाइसेंस के लिए डीजीसीए से अपील की गई थी। सभी को उम्मीद थी कि वर्ष 2022 जनवरी माह में हवाई अड्डे को लाइसेंस मिल जाएगा। लेकिन डीजीसीए की टीम ने कई बार हवाई अड्डे का भौतिक निरीक्षण किया। सभी दस्तावेजों की जांच की और तीन विभागों से एनओसी लेने के लिए निर्देश दिए, जिसमें रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय और पर्यावरण व वन विभाग की एनओसी लेनी थी।
वर्ष 2023 फरवरी माह में तीनों विभागों द्वारा एनओसी जारी कर सौंप दी गई। इसके बाद फिर डीजीसीए से लाइसेंस की मांग की गई। रनवे से हटकर बाहर की तरफ लगाने और रनवे के आसपास के गेटों के नीचे लोहे के तार लगवाने के निर्देश दिए थे। डीजीसीए द्वारा दिए गए निर्देशों के तहत कर को पूरा कर दिया गया और अगस्त 2023 में डीजीसीए की टीम ने हवाई अड्डे पर अंतिम निरीक्षण किया, इसमें डीजीसीए के उपनिदेशक सुनील लाठी, संयुक्त निदेशक सीमा अष्ट व नरेश मीणा, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की ओर से जीएम इंजीनियर हरि कुमार, जीएम एयरोड्रम लाइसेंसिंग एलडी मोहंती, स्वास्थ्य एयरपोर्ट के डायरेक्टर सत्येंद्र यादव आदि शामिल थे। इस निरीक्षण में सभी बिंदु ओके मिले। इसके कुछ समय बाद रनवे के घर्षण के परीक्षण के लिए स्पेशल कार दौड़ाई गई तो घर्षण मानक से अधिक पाया गया। इस कारण एक बार फिर हवाई अड्डे का लाइसेंस अटक गया। रनवे परत बिछाने के बाद एएआई ने फिर डीजीसीए को पत्र भेजा जिसका जवाब दो दिन पहले शुक्रवार 17 नवम्बर को लाइसेंस के रूप में मिल गया।
इस लाइसेंस से मुरादाबाद के नागरिकों को लखनऊ और कानपुर आने-जाने में हवाई सेवा की सुविधा जल्द मिलेगी। विमान सेवा के शुरू होने से पीतलनगरी के निर्यातकों को भी बड़ी सहूलियत होगी। मुरादाबाद के निर्यातकों, शिल्पकारों का देश के अन्य प्रमुख स्थानों से सीधा जुड़ाव होगा। जिसका लाभ मुरादाबाद के निर्यात कारोबार को मिलेगा। उन्हें अपने कारोबार के सिलसिले में लखनऊ या कानपुर आने जाने में समय की बचत होगी।