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गुड्डू जासूस को जेल : इशारों में खुफिया जानकारी भेजता था गद्दार, बीबी ने बनवाया था…

 कोड वर्ड में सैन्य यूनिटों और शहरों की जानकारी आईएसआई को भेजी

पाकिस्तानी मौसेरी बहन से किया था निकाह

बीबी ने बनवाया था आईएसआई का एजेंट

कानपुर। पाकिस्तानी एजेंट फैसल रहमान उर्फ गुड्डू देश की सैन्य यूनिटों और सामरिक महत्व के शहरों की जानकारी पाकिस्तानी सेना को देने के लिए कोड वर्ड का इस्तेमाल करता था। सैन्य मुख्यालय, कमांड मुख्यालय और आयुध निर्माणी शहरों को लकी, बंटी, राजू कहकर बोलता था, जबकि सैन्य अफसरों को बाबा, पोता और बेटा के रूप में संबोधित करता था। अदालती कार्यवाही में साबित हुआ कि गुड्डू को उसकी बीबी ने पाकिस्तानी एजेंट बनवाया था। बहरहाल, तमाम दलीलों को सुनने के बाद कानपुर की अदालत ने भारत के गद्दार और पाकिस्तान के जासूसी एजेंट फैसल रहमान उर्फ गुड्डू को दस साल कैद की सजा सुनाई है।

 

अपना मुकदमा खुद लड़ रहा था गद्दार

गद्दार फैसल रहमान मूल रूप से झारखंड राज्य की राजधानी रांची में जगन्नाथ थाना क्षेत्र के फिरदौस नगर का निवासी है। उसे 13 साल पहले यूपी एटीएस ने सैनिक ठिकानों की रेकी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। फिलहाल वह जमानत पर था। करीब 13 साल तक चले मुकदमे में आखिरकार गुड्डू उर्फ़ फैसल रहमान को दोषी पाया गया। जिला अदालत के सत्र न्यायाधीश-8 राम अवतार प्रसाद की अदालत ने उसे 10 साल सश्रम कारावास और 50 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। खास बात यह रही कि फैसल को किसी वकील पर विश्वास नहीं था। ऐसे में उसने अपने मुकदमे की पैरवी खुद करने के लिए कोर्ट से बाकायदा धारा 32 के तहत अनुमति भी ली थी। उम्मीद है कि कानून का जानकार फैसल रहमान जल्द ही अपनी सजा को हाईकोर्ट में चुनौती देगा।

अफसरों को बाबा, बेटा और पोता कहता था

शातिर गुड्डू वर्ष 2002-03 में पाकिस्तान के कराची में रहने वाली अपनी मौसी जाकिया मुमताज से मिलने गया था। वहां उसे अपनी मौसेरी बहन साइमा से मोहब्बत हो गई। साइमा पाकिस्तान के सरकारी स्कूल गवर्नमेंट इस्लामिया में पढ़ाती है। कुछ दिन बाद फैसल ने उससे निकाह कर लिया। इसके बाद साइमा ने उसे पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी आईएसआई से मिलवाया और वह एजेंट बन गया। भारत लौटकर वह पाकिस्तान के लिए जासूसी करने लगा। सैन्य महत्व के शहरों और सेना के अफसरों के बारे में सूचना भेजने के लिए वह कोड वर्ड का इस्तेमाल करता था। कानपुर के लिए यूपी-78, जबकि लखनऊ के लिए लकी, पुणे के लिए पुनीत जैसे शब्द इस्तेमाल करता था। सैन्य अफसरों की वरीयता के हिसाब से बाबा, बेटा और पोता बोलता था।

 

सूचना अधिकार के इस्तेमाल से आया रडार पर

कानपुर के एडीजीसी अरविन्द डिमरी ने बताया कि फैसल रहमान ने देश के विभिन्न हिस्सों में मौजूद सैनिक ठिकानों की रेकी करते हुए गुफ्त सूचनाएं पाकिस्तान भेजी थीं। वह प्रयागराज, राँची, झाँसी और बबीना भी गया था और वहाँ मौजूद सैनिक ठिकानों की जानकारी जुटाई थी। उसने सूचना अधिकार के जरिए भी सरकार से सेना संबंधी कई सवाल किए थे। इन सवालों में कौन-सी बटालियन कहाँ तैनात है जैसे सवाल शामिल थे। इन्हीं हरकतों के चलते फैसल एटीएस के रडार पर आया था। कई जगह घूमने के बाद आखिरकार फैसल रहमान साल 2011 में जासूसी के लिए कानपुर पहुँचा, लेकिन स्टेशन पहुंचते ही गिरफ्तार हो गया था।

 

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