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क्षुद्रग्रह की भीषण तबाही से बच गई पृथ्वी, 77 हजार किमी प्रति घंटे की गति से ‎निकल गया 180 फीट का एस्टेरॉयड

केप कैनावेरल(ईएमएस)। अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बताया है कि बुधवार 13 सितंबर को पृथ्‍वी के पास से करीब 180 फीट का स्‍पेस रॉक (एस्टेरॉयड) गुजर गया ‎जिसे एस्टेरॉयड 2023 आरएच2 नाम दिया गया है। यह पहले से ही पृथ्वी की ओर बढ़ रहा था और यह सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा में 77 हजार 303 किमी प्रति घंटे की गति से यात्रा कर रहा है। यह पृथ्वी के लगभग 4.3 मिलियन किलोमीटर की दूरी से गुजर गया।

नासा के अनुसार धरती पर आए दिन स्‍पेस से एस्टेरायड जैसे कोई न कोई खतरे के संकेत आते ही रहते हैं। रोजाना पृथ्वी के करीब से कई छोटे बड़े एस्टेरॉयड्स गुजरते हैं लेकिन, एस्टेरॉयड्स का छोटा-सा भी हिस्सा अगर धरती पर गिरता है तो तबाही आ सकती है। एस्टेरॉयड (क्षुद्रग्रह) हमारे सौर मंडल के निर्माण के बाद बचे चट्टानों के टुकड़े हैं। चार मीटर से अधिक व्यास वाले लगभग आधा अरब एस्टेरॉयड सूर्य की परिक्रमा करते रहते हैं, जो हमारे सौर मंडल से गुजरते हैं।

नासा ने बताया कि एस्‍टेरॉयड का आकार करीब 180 फीट था। यह किसी विमान के बराबर माना जा सकता है जो अगर यह पृथ्‍वी से टकराता तो बड़ी तबाही मच जाती। अगर इतना बड़ा एस्‍टेरॉयड किसी घनी बस्‍ती में गिर जाए तो बहुत बड़ा नुकसान हो सकता था। इनको अपोलो एस्‍टेरायड का हिस्‍सा माना जाता है जो उसी आधार पर रखे जाते हैं ‎जिनकी शुरुआत 1930 के दशक में जर्मन खगोलशास्त्री कार्ल रेनमुथ ने की थी।

उल्लेखनीय है ‎कि नासा समेत अन्‍य अंतरिक्ष एजेंसियां विभिन्न टेलीस्कोपों की मदद से एस्टेरॉयड पर निगरानी रखते हुए अलर्ट जारी करती रहती हैं। ये एस्‍टेरॉयड मुख्य रूप से बृहस्पति और मंगल ग्रह की कक्षा के बीच स्थित एस्टेरॉयड बेल्ट में पाए जाते हैं। एस्‍टेरॉयड तीन (सी, एस और एम) प्रकार के होते हैं, जिनका निर्माण मुख्‍य रूप से निकल और लोहे जैसी धातु से होता है। इसमें सी-प्रकार के एस्‍टेरॉयड कार्बन एस-प्रकार के एस्‍टेरॉयड सिलिकेट और एम-प्रकार के एस्‍टेरॉयड धातु के बने होते हैं।

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