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क्या 2013 की तरह इस बार महाकुंभ में पीएम उम्मीदवार के नाम पर लगेगी मुहर?

योगी के नाम पर सभी की रजामंदी, सार्वजनिक रुप से अभी नहीं होगा ऐलान

नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रांत स्तर के एक पदाधिकारी बताया कि प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ में बीजेपी के अगले पीएम उम्मीदरवार के नाम का प्रस्ताव आ सकता है। वे बताते हैं कि योगी आदित्यनाथ के नाम पर सभी की रजामंदी है। अभी लोकसभा चुनाव दूर हैं, इसलिए सीधे तौर पर उनके नाम का ऐलान नहीं होगा। योगी को प्रोजेक्ट करने की पूरी तैयारी चल रही है।
महाकुंभ 13 जनवरी, 2025 से शुरू होगा। 12 साल पहले प्रयागराज में ही आरएसएस ने नरेंद्र मोदी का नाम संतों के सामने रखा था। उनके समर्थन के बाद नरेंद्र मोदी को बीजेपी का पीएम उम्मीदवार घोषित किया गया था। क्या इस बार भी ऐसा ही योगी आदित्यनाथ के लिए होगा।

मीडिया रिपोर्ट से सामने आया है कि लोकसभा चुनाव हों या विधानसभा चुनाव, योगी आदित्यनाथ का नाम बीजेपी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल है। वे राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड से लेकर साउथ में तमिलनाडु और तेलंगाना तक चुनावी रैलियां कर चुके हैं। हाल ही में हुए महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे का असर भी दिखा। यहां उन्होंने 11 रैलियां कर 17 उम्मीदवारों के लिए वोट मांगे थे। इनमें 15 चुनाव जीत भी गए। योगी ने ये नारा यूपी में 9 सीटों पर हुए उपचुनाव के दौरान बार-बार दोहराया था। पीएम मोदी ने 5 अक्टूबर को ठाणे और वाशिम में हुई रैलियों में अलग ढंग से यही बात कही थी।

आरएसएस के पदाधिकारी बताते हैं कि बंटेंगे तो कटेंगे का नारा भले योगी के मुंह से निकला हो, लेकिन इसके पीछे आरएसएस ही है। ये आरएसएस की शाखाओं में गाया जाने वाला बहुत पुराना गीत है। इसे आजादी के समय से गाया जा रहा है। ये गीत था- इतिहास कहता है कि हिंदू भाव को जब-जब भूले, आई विपदा महान, भाई छूटे, धरती खोई, मिटे धर्म संस्थान।

यही बात मथुरा की बैठक में सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कही थी। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज में एकता नहीं रहेगी, तो आजकल की भाषा में बंटेंगे तो कटेंगे हो सकता है। कुंभ में इस बार हिंदू एकता की चर्चा होगी, क्या किसी बड़े मुद्दे पर चर्चा होगी या फिर कोई बड़ा फैसला लिया जाएगा? इस पर होसबोले ने कहा कि इसकी चर्चा तो हम कई साल से कर रहे हैं। ये हमारे करिकुलम में बहुत पहले से है। इस बार चर्चा आरएसएस के उस गीत को दोबारा चर्चा में लाने वाले की होगी। चर्चा होगी कि देश का भविष्य किसके हाथों में सुरक्षित रहेगा। चर्चा होगी कि नया सूर्य कौन होगा।

आरएसएस के पदाधिकारी ने कहा कि ये सब उस तरह नहीं होगा, जैसे मोदी के नाम पर मुहर लगी थी। तब कुंभ के अगले साल लोकसभा चुनाव थे। इसलिए पीएम पद के लिए चेहरे पर पक्की मुहर के लिए उस आयोजन से बेहतर कोई और वक्त नहीं था। इतने बड़े स्तर पर हिंदू समाज के संगठन और साधु-संतों का जमावड़ा फिर कहां मिलता। इस बार कुंभ और चुनाव के बीच चार साल का फासला है। नाम पर तो चर्चा होगी, लेकिन सभी संगठनों के बीच एक प्रस्ताव की तरह इसे लाया जाएगा।। पदाधिकारी ने कहा कि सूची में अब तक तो योगी ही हैं।

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