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क्या है श्रीकृष्ण जन्मभूमि का इतिहास, जानिए क्यों अचानक सुर्खियों में छाया

प्रयागराज  (हि.स.)। कहा गया है कि 5132 साल पूर्व भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को राजा कंस के मथुरा कारागार में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। जिस स्थान को कटरा केशव देव के नाम से जाना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के विश्व भर में भक्त हैं।

 

कहा गया है कि 1618 ईसवी में ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला ने जन्मभूमि मंदिर निर्माण कराया था। जिसे मुगल शासक औरंगजेब ने ध्वस्त कर शाही मस्जिद ईदगाह का निर्माण कराया।

इसके बाद गोवर्धन युद्ध के दौरान मराठा शासकों ने आगरा मथुरा पर आधिपत्य जमा लिया। मस्जिद हटा कर श्रीकृष्ण मंदिर का निर्माण कराया। इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन आ गया। ब्रिटिश सरकार ने सन् 1803 में 13.37एकड जमीन कटरा केशव देव के नाम नजूल भूमि घोषित कर दिया। सन् 1815 में बनारस के राजा पटनीमल ने अंग्रेजों से खरीद लिया। मुस्लिम पक्ष की स्वामित्व का दावा खारिज कर दिया गया। और 1860 में बनारस राजा के वारिस राजा नरसिंह दास के पक्ष में डिक्री हो गया। हिन्दू मुस्लिम पक्ष के बीच विवाद चलता रहा। 1920 के फैसले में मुस्लिम पक्ष को निराशा मिली। कोर्ट ने कहा 13.37 एकड जमीन पर मुस्लिम पक्ष का कोई अधिकार नहीं है।

1944 मे पूरी जमीन पं. मदनमोहन मालवीय व दो अन्य को बैनामा किया गया। जे के बिड़ला ने कीमत का भुगतान किया। इससे पहले 1935 में मस्जिद ईदगाह के केस को एक समझौते के आधार पर तय किया गया था। इसके बाद 21 फरवरी 1951 को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बना किंतु 1958 में वह अर्थहीन हो गया। इसी साल मुस्लिम पक्ष का एक केस खारिज कर दिया गया। 1977 में श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ जो बाद में संस्थान बन गया।

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