मोदी सरकार संसद के विशेष सत्र में ला सकती है महिला आरक्षण बिल
नई दिल्ली (ईएमएस)। इस साल के अंत में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान सहित पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और अगले साल 2024 में होने वाला लोकसभा चुनाव महिलाओं के इर्द-गिर्द लड़ा जाएगा। जिस तरह से मोदी सरकार संसद के 18 से 22 सितंबर को होने वाले विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल लाने की तैयारी कर रही है, उससे तो यही लगता है। हालांकि मोदी सरकार ने अब तक विशेष सत्र में क्या करने वाली है, इसका कार्यक्रम घोषित नहीं किया है। लेकिन, विपक्षी दलों का मानना है कि इस साल के अंत में मध्यप्रदेश सहित पांच राज्यों और अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अपना पलड़ा भारी करने के लिए मोदी सरकार महिलाओं के लिए लोकलुभावन महिला आरक्षण बिल ला सकती है। इसके साथ मोदी सरकार सियासी लाभ के लिए कुछ और मुफीद फॉर्मूले ला सकती है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के उस बयान से भी विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल लाए जाने की चर्चा को और बल मिला है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वो दिन बहुत नजदीक है, जब संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को बराबर प्रतिनिधित्व मिलेगा।
राजनीतिक विज्ञानियों का कहना है कि, यदि मोदी सरकार महिला आरक्षण बिल संसद के विशेष सत्र में बहुमत से पास करा लेती है, तो यह भाजपा का आगामी दिनों में मध्यप्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा जीत के लिए मास्टर स्ट्रोक साबित होगा। तथा विधानसभा और लोकसभा चुनाव में टिकट के वितरण का गणित बदल जाएगा। हम बता दें कि इसके पहले शिवराज सरकार महिलाओं को लुभाने के लिए लाड़ली बहना सहित कई योजनाएं लागू कर चुकी है।
-बदल जाएगा आगामी चुनाव का परिदृश्य
लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पारित हो जाता है, तो आने वाले दिनों में पांच राज्यों होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव का परिदृश्य बदल जाएगा। राजनीतिक दलों को सभी राज्यों के विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में महिला को 33 प्रतिशत आरक्षण के साथ टिकटों का वितरण करना होगा। उदाहरण के लिए अभी लोकसभा में 543 लोकसभा सीटें हैं। 33 प्रतिशत महिला आरक्षण बिल लागू होने पर महिला सांसदों की संख्या 179 हो जाएगी। इसी तरह मध्यप्रदेश विधानसभा में विधायकों की संख्या 230 है। महिला आरक्षण बिल लागू होने पर महिला विधायकों की संख्या 73 तक हो जाएगी।
-क्या है महिला आरक्षण बिल
महिला आरक्षण बिल संसद में पेश किया गया वह बिल है, जिसके पारित होने से संसद में महिलाओं की भागीदारी 33 प्रतिशत सुनिश्चित हो जाएगी। गौरतलब है कि इस बिल को पहले भी कई बार संसद में प्रस्तुत किया जा चुका है और राज्यसभा से ये बिल पास हो चुका है। साल 2010 में कांग्रेस ने भाजपा, जेडीयू और वामपंथी दलों के सहयोग से राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल भारी बहुमत से पारित कराया । हालांकि, लोकसभा ने कभी भी बिल पास नहीं हो सका। माना जा रहा है कि मोदी सरकार महिला आरक्षण बिल को लोकसभा में पारित कराने की तैयारी कर ली है।
विधेयक लागू होता है तो क्या होगी स्थिति?
अभी लोकसभा में सांसदों की संख्या 543 है। इसके साथ महिला सांसदों की संख्या 78 है। फीसदी में देखा जाए तो 14 प्रतिशत। राज्यसभा में 250 में से 32 सांसद ही महिला हैं यानी 11 फीसदी। मोदी कैबिनेट में महिलाओं की हिस्सेदारी 5 फीसदी के आसपास है। अगर विधेयक लागू हो जाता है तो लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 179 तक हो जाएगी।
-पांच राज्यों में विधानसभा-लोकसभा और राज्यसभा की सीटें
-मध्य प्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं। यहां लोकसभा की 29 और राज्यसभा की 11 सीटें हैं।
-राजस्थान में विधानसभा की कुल 200 सीटें हैं। यहां लोकसभा की 25 और राज्यसभा की 10 सीटें हैं।
– छत्तीसगढ़ में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। यहां लोकसभा की 11 और राज्यसभा की 5 सीटें हैं।
– तेलंगाना में विधानसभा की कुल 119 सीटें हैं। यहां लोकसभा की 17 और राज्यसभा की 7 सीटें हैं।
-मिजोरम में विधानसभा की कुल 40 सीटें हैं। यहां लोकसभा की 1 और राज्यसभा की 1 सीट हैं।
-महिलाओं के लिए लोक-लुभावन योजनाएं
महिलाओं के लिए शिवराज सरकार की योजनाएं
मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजन, लाडली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना, नारी सम्मान योजना और मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना।
-महिलाओं के लिए मोदी सरकार की योजनाएं
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना, फ्री सिलाई मशीन योजना, महिला शक्ति केंद्र योजना और सुकन्या समृद्धि योजना।