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कौशांबी लोकसभा सीट पर उम्मीदवारों की घोषणा न होने से बढ़ीं धड़कने

कौशांबी  (हि.स.)। देश की सबसे बड़ी पंचायत यानि लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है, इसके बावजूद कौशांबी में चुनाव प्रचार कछुए की चाल से भी नहीं चल पा रहा है। जानकार, इसके पीछे प्रमुख राजनैतिक दलों का उम्मीदवार घोषित न होना बता रहे हैं। हालत यह है कि प्रचार के नाम पर भाजपा गठबंधन एवं आईएनडीआईए गठबंधन में उम्मीदवारी की ताल ठोंक नेता सोशल मीडिया में सुर्खियां बटोर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग ने कौशांबी लोकसभा क्षेत्र में 20 मई को मतदान की तिथि घोषित किया है।

 

 

 

गौरतलब है कि कौशांबी लोकसभा सीट साल 2014 में अस्तित्व में आई। इसके पहले इसे चायल (सुरक्षित) सीट के नाम से जाना जाता था। मौजूदा समय में कौशांबी की तीन विधानसभा सिराथू, मंझनपुर, चायल के साथ प्रतापगढ़ जनपद की दो विधानसभा बाबागंज एवं कुंडा को जोड़कर लोकसभा—50 कौशांबी तैयार की गई है। प्रतापगढ़ की दोनों विधानसभा सीट रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के प्रभाव वाली सीट मानी जाती है। जिसके चलते लोकसभा 50 में जीत हासिल करने वाले नेता को नाको चने चबाने वाली स्थिति से गुजरना पड़ता है।

 

उत्तर प्रदेश के लोकसभा-50 का इतिहास भी बड़ा दिलचस्प है। जिसमें 1962 में मसूरियादीन कांग्रेस से पहली बार जीत कर लोकसभा पहुंचे। इसके बाद जनसंघ से छोटे लाल को 1971 में विजय मिली। राम निहोर राकेश ने जनता पार्टी से जीत 1977 में दर्ज की। इसके बाद बिहारी लाल शैलेश (कांग्रेस), राम निहोर राकेश (कांग्रेस), शशि प्रकाश (जनता दल), अमृत लाल भारतीय (भाजपा), शैलेंद्र कुमार (सपा), सुरेश पासी (बसपा), साल 2004 व 2009 में लगातार शैलेंद्र कुमार (समाजवादी पार्टी) सांसद रहे। मौजूदा समय में पूर्व सांसद शैलेंद्र कुमार रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के सक्रिय नेता है। पूर्व सांसद शैलेंद्र कुमार के पिता स्व. धर्मवीर भारती पूर्व केंद्रीय मंत्री कांग्रेस पार्टी में रहे हैं।

 

इस लोकसभा सीट पर मौजूदा समय में भाजपा के विनोद सोनकर का कब्जा पिछले दो लोकसभा चुनाव से है। वह साल 2014 में मोदी लहर में चुनाव जीतकर भाजपा नेता के रूप में अपनी पहचान कायम की। मौजूदा समय में विनोद सोनकर कौशांबी सीट पर तीसरी बार किस्मत आजमाने के लिए दिल्ली दरबार की शरण में है। उन्हें उम्मीद है पार्टी के शीर्ष नेतृत्व उन्हें एक बार फिर मौका देकर जीत की हैट्रिक लगवाएगा। लेकिन फिलहाल भाजपा ने अपने उम्मीदवार की घोषणा न कर मौजूदा सांसद की धड़कने बढ़ा दी है।

 

सोशल मीडिया में भाजपा से टिकट की दौड़ लगाने वालों के रोज सेंसेक्स की तरह नाम उछाले जा रहे हैं। चर्चाओं पर जायें तो बीजेपी की सूची में एमएलसी कविता पासवान, पूर्व अध्यक्ष रमेश पासी, जिला पंचायत अध्यक्ष पति जितेंद्र सोनकर, नपा अध्यक्ष कविता सरोज समेत कई नाम जनपद की सोशल मीडिया में प्रतिदिन तैरतें दिखाई पड़ते हैं। फिलहाल भाजपा ने अपना उम्मीदवार घोषित न कर विपक्ष के नेताओं के साथ पार्टी नेताओं की धड़कने बढ़ा दी है।

 

जिला निर्वाचन अधिकारी राजेश राय के मुताबिक, कौशांबी का चुनाव कराने के लिए नामांकन 26 अप्रैल से शुरू हो जाएंगे। जिसमें नाम वापस लेने की अंतिम तारीख छह मई निर्धारित है। 20 मई को कौशांबी के 1904466 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर अपनी पसंद का उम्मीदवार की किस्मत ईवीएम मशीन में लॉक करेंगे। जो 4 जून को काउंटिंग के बाद नतीजे की रूप में सामने आयेगी।

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