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कानपुर। ईडी के छापे के दौरान इरफान सोलंकी के घर में कोई नहीं दिखा, लेकिन रिजवान और अशरफ के घर में महिलाएं मौजूद थीं। कार्रवाई के दौरान अशरफ के घर में महिलाएं बालकनी में चाय की चुस्कियां लेती नजर आईं। चेहरे पर अनजाना खौफ था, लेकिन जुबां खामोश थीं। जैसे ही प्रवर्तन अधिकारियों ने बालकनी की ओर चमकते मीडिया के कैमरों को देखा तो महिला सुरक्षाकर्मियों को भेजकर बालकनी का दरवाजा और खिड़कियों को बंद करा दिया। रिजवान के घर से छोटे बच्चे के लिए दूध लेने के लिए एक किशोर को निकलने की आजादी मिली तो सहमा-सहमा दिखा।
वक्त था सुबह के 9.30। जाजमऊ इलाके के गल्ला गोदाम में तीन-चार कोठियां आज कुछ सहमी-सहमी दिख रही थीं। रोजाना की तरह रजिस्ट्रेशन नंबर में 13 अंक की अनिवार्यता वाली गाड़ियां खड़ी थीं, लेकिन रौनक नदारद थी। आमतौर पर चहकने वाली रोड आज बेहद खामोश थी। मासूम चेहरों से लेकर बूढ़ी झुर्रियों तक एक ही सवाल था कि सोलंकी परिवार में अब कौन आफत आई है।
यूं तो 15 महीने पहले से डिफेंस कॉलोनी के पिछले हिस्से में सजने वाला दरबार उजड़ चुका है। हुजूर की गिरफ्तारी के बाद फरियादी दूसरे ठौर की तलाश में हैं, जबकि दरबारी दुबके हुए हैं। बावजूद, रिहाई और राहत की उम्मीद में सोलंकी रेजीडेंसी रोजाना चहकती थीं। …लेकिन 07 मार्च की सुबह ऐसी आफत टूटी कि चेहरों की चमक काफूर हो गई। बालकनी में खूबसूरत चेहरे नजर आए, लेकिन बुझे-बुझे। हाथ में चाय की प्याली थी, लेकिन माहौल से गर्माहट नदारद।
मीडिया ने खौफजदा चेहरों को कैद करना शुरू किया तो उधर से कुछ कहने की ख्वाहिश भी दिखी। कोई भी ओट में नहीं गया। इशारों में कुछ कहना-सुनना होता, इससे पहले ही ईडी चौकन्नी हो गई। तत्काल महिला सुरक्षाकर्मी को भेजा गया और पर्दा गिर गया। …..