कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप और मर्डर मामले में दोषी संजय रॉय को सजा सुनाई गई है। सियालदह की सत्र अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा दी है। फैसले की सबसे खास बात यह है कि संजय को अब जीवनभर जेल में ही रहना होगा।
जज ने दी दोषी को स्पष्ट चेतावनी
सजा सुनाने से पहले जज अनिर्बान दास ने संजय रॉय से कहा, “मैंने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि तुम पर बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर आरोप साबित हो चुके हैं। सजा के बारे में तुम्हारी कोई बात हो तो बताओ।”
संजय ने अपनी सफाई में कहा, “मुझे गलत तरीके से फंसाया गया है। मैं हमेशा रुद्राक्ष की माला पहनता हूं। अगर मैंने अपराध किया होता, तो माला क्राइम सीन पर ही टूट जाती। मुझे बोलने नहीं दिया गया और कई दस्तावेजों पर जबरदस्ती साइन करवाए गए।”
जज ने उसकी दलील खारिज करते हुए कहा, “मैंने तुम्हें अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त समय दिया। मैंने तीन घंटे तक तुम्हारी बात सुनी। आरोप, सबूत और गवाहों की गहन जांच के बाद तुम्हें दोषी पाया गया। अब केवल सजा पर बात हो सकती है। तुम पहले ही दोषी साबित हो चुके हो।”
सीबीआई ने मांगी थी फांसी की सजा
सीबीआई के वकील ने इस मामले को “दुर्लभतम” करार देते हुए संजय रॉय के लिए फांसी की सजा की मांग की। उन्होंने कहा:
- “पीड़िता एक मेधावी छात्रा थी। यह घटना समाज को झकझोरने वाली है।”
- “अगर डॉक्टर जैसे पेशेवर सुरक्षित नहीं हैं, तो यह समाज के लिए चिंता का विषय है। केवल फांसी की सजा ही ऐसा अपराध दोबारा होने से रोक सकती है।”
पीड़िता के परिवार की भावनाएं
पीड़िता के परिवार ने अदालत से अपील की थी कि दोषी को सबसे कड़ी सजा दी जाए। उनका कहना था कि संजय ने उनके परिवार को जो पीड़ा दी है, उसके लिए उसे फांसी मिलनी चाहिए।
बचाव पक्ष का तर्क
संजय रॉय के वकील ने फांसी की सजा का विरोध करते हुए कहा:
- “यह मामला दुर्लभतम नहीं है।”
- “सुप्रीम कोर्ट ने सुधार की संभावना को ध्यान में रखने की बात कही है। फांसी के बजाय उम्रकैद जैसी वैकल्पिक सजा पर विचार किया जाना चाहिए।”
57 दिनों में तय हुआ न्याय
यह मामला न्यायिक प्रक्रिया के लिहाज से काफी तेजी से निपटा।
- मुकदमे की शुरुआत से लेकर फैसला आने तक केवल 57 दिन लगे।
- 18 जनवरी को अदालत ने संजय को बलात्कार और हत्या के आरोपों में दोषी करार दिया।
- जज ने उसे भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 64 (बलात्कार), 66 (मृत्यु का कारण बनना), और 103 (हत्या) के तहत दोषी ठहराया।
जज की टिप्पणी और सजा का महत्व
फैसला सुनाते हुए जज ने कहा, “मैंने सभी सबूतों और गवाहों की गहन जांच की है। मुकदमे के दौरान सभी पक्षों को सुना। इन सभी तथ्यों के आधार पर यह स्पष्ट है कि तुम दोषी हो और तुम्हें सजा मिलनी ही चाहिए।”
समाज पर प्रभाव
इस घटना ने न केवल कोलकाता बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।
- यह मामला डॉक्टरों और अन्य पेशेवरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाता है।
- दोषी को दी गई कड़ी सजा से समाज को एक मजबूत संदेश मिला है कि कानून ऐसे अपराधों पर कोई नरमी नहीं दिखाएगा।