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कैसे होती है संसद की सुरक्षा? चप्पे-चप्पे पर पैनी नजर का दावा तो फिर कैसे हो गई इतनी बड़ी चूक?

नई दिल्ली। संसद भवन की सुरक्षा में बड़ी चूक हुई है। शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा की कार्यवाही जब चल रही थी तब दर्शक दीर्घा से दो अज्ञात लोगों ने छलांग लगा दी जिसके बाद वहां सदस्यों में अफरा तफरी का माहौल बन गया। अब जानकारी मिल रही है कि दोनों युवकों को सुरक्षा बलो ने पकड़ लिया है और उनके बारे में जानकारी इकट्ठा की जा रही है कि ये दोनों किस मकसद से लोकसभा में घुसे थे। अब सवाल उठ रहे हैं कि इतनी सुरक्षा घेरे के बाद भी लोकसभा के कक्ष तक ये दोनों कैसे पहुंचे? क्या इतना आसान है संसद भवन में प्रवेश करना, तो आइए बताते हैं कि सदन की सुरक्षा किन स्तरों पर की जाती है जहां चिड़िया भी पर नहीं मार सकती।

संसद के सुरक्षा अधिकारियों की टीम ने कई देशों का भी दौरा किया और ये जाना कि किसी भी आतंकी हमले या साइबर हमले से निपटने के लिए कौन से सिस्टम बेहतर है। इसके बाद से नए सदन में सुरक्षा को लेकर पूरा रोड मैप तैयार हुआ है। इसी साल मई के महीने में नए सदन का उद्घाटन हुआ था। जिससे सुरक्षा के लिहाज से बेहद ही खास बनाया गया है।

ऐसी होती है सुरक्षा व्यवस्था

  • संसद की नई इमारत में थर्मल इमेजिंग सिस्टम लगाया गया है। इससे संसद भवन परिसर में किसी भी तरह की घुसपैठ का आसानी से पता लगाया जा सकता है।
  • इसके साथ ही संसद भवन परिसर की निगरानी के लिए फेस रिकग्निशन सिस्टम से लैस एडवांस सीसीटीवी कैमरा लगाए गए हैं। ये सीसीटीवी कैमरे 360 डिग्री रोटेट कर निगरानी रखने का काम करता है।
  • संसद और भवन के अंदर मौजूद हर व्यक्ति की सुरक्षा के लिए तैनात सुरक्षा बलों को सभी तरह के आधुनिक हथियार और उपकरण दिए जाते हैं।
  • संसद भवन में साइबर सुरक्षा पर विशेष ध्या दिया गया है। इसके लिए दो अलग-अलग सिक्योिरिटी ऑपरेटिंग सेंटर स्थापित किए गए हैं। इनमें एक इंटरनेट-एकीकृत नेटवर्क के लिए और दूसरा एयरगैप्ड नेटवर्क बाकी नेटवर्क से होगा।
  • एक सुरक्षा संचालन केंद्र का उद्देश्य साइबर खतरों से बचाना है। एसओसी के विश्लेषक इसके नेटवर्क की चौबीसों घंटे निगरानी रखते हैं और किसी भी संभावित सुरक्षा घटनाओं की जांच करते रहते हैं।
  • संसद भवन परिसर में किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को रोकने के लिए नए आई कार्ड से लेकर कई स्तर के सुरक्षा इंतजाम किए जाते हैं। इनमें बैरियर्स, बाड़ और चौकियों पर आधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस सुरक्षा बलों की तैनाती होती है।

पुराने सदन से कई गुना बेहतर सुरक्षा का दावा

पुराने संसद भवन पर 13 दिसंबर 2001 को बड़ा आतंकी हमला हुआ था। जिसमें 9 सुरक्षकर्मी शहीद हो गए थे। तब से संसद की सुरक्षा बंदोबस्त को लेकर सुरक्षाकर्मी चौंकाना रहते हैं। साल 2001 में घटी घटना से सीख लेते हुए और देश दुनिया में सुरक्षा का बदलते हालात के बीच संसद की नई बिल्डिंग में सुरक्षा बंदोबस्त का खास ख्याल रखा गया है। लेकिन फिर भी आज जिस तरह दो शख्स लोकसभा में घुस आए, उससे सवाल उठाना लाजमी है कि आखिर सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई? नई संसद भवन में सुरक्षा के लिए एडवांस टेक्नोलॉजी, आधुनिक हथियारों से लैस सुरक्षा बल, अग्नि शमन प्रणाली समेत कई इंतजाम हैं। संसद की सुरक्षा पुराने सदन के मुकाबले कई गुना बेहतर है फिर भी सुरक्षा में बड़ी लापरवाही हुई है।

विपक्ष ने सुरक्षा पर उठाए सवाल

सदन में सुरक्षा चूक को लेकर विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “दो युवक गैलरी से कूदे और उन्होंने कुछ फेंका, जिससे गैस निकल रही थी। उन्हें सांसदों ने पकड़ा, उसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें बाहर निकाला। सदन दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। यह निश्चित रूप से एक सुरक्षा उल्लंघन है।” वहीं समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने कहा, “यह पूरी तरह से सुरक्षा चूक है। आज सदन के अंदर कुछ भी हो सकता था। जो भी लोग यहां आते हैं चाहे वे आगंतुक हों या रिपोर्टर, किसी के टैग नहीं हैं। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।”

 

 

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