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कैसे बनाई जाती हैं ‘भूकंप-रोधी’ इमारतें, लगाया जाता है कौन-सा मटिरियल? घर बनाना है तो जान लीजिए

इस साल भारत के कई राज्यों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. NCS के एक डेटा के मुताबिक़, सिर्फ मई 2023 में भारत के अलग-अलग हिस्सों में 41 बार भूकंप के झटके आए. भारत के बाहर सीरिया और तुर्की की सीमा पर 7.5 की तेज तीव्रता से भूकंप आया. सीरिया में तो अक्सर भूकंप आता रहता है. पिछले 24 सालों में भूकंप की वजह से सीरिया में 18000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

मोरक्को में आया भूकंप करीब 3000 मौतों का वजह बना. WHO कहता है कि करीब 2 अरब से ज्यादा लोग ऐसी जगह पर रहते हैं जहां भूकंप का खतरा बना रहता है. इस बीच टिकाऊ मकान बनवाने की बात जोरों पर है. अब ज्यादातर लोग भूकंपरोधी मकान बनवाना चाहते हैं.तो चलिए आज समझते हैं कि भूकंपरोधी मकान कैसे बन सकता है और भूकंपरोधी मकान बनाने में कितना खर्च आता है?

पहले जानते हैं भूकंप आता क्यों है?

दरअसल धरती के अंदर कुल 7 प्लेट्स हैं. और ये प्लेट्स लगातार घूमती रहती हैं. जहां ये प्लेट्स टकराती हैं उस जोन को फॉल्ट लाइन कहा जाता है. बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं. और जब ज्यादा प्रेशर बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं. ऐसी स्थिति में नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता तलाशने लगती है और इस प्रक्रिया कि वजह से भूकंप आता है.

भूकंप में मकान क्यों गिर जाते हैं?

अगर भूकंप जरा सा भी तेज आता है तो मकान गिर जाते हैं. मकान के गिरने की सबसे बड़ी वजह कमजोर नींव होती है. कच्ची फाउंडेशन वाले घर जरा सा भी धरती के डोलने पर गिर जाते हैं. नम या भुरभुरी मिट्टी धरती के अंदर हलचल से दबाव में आ जाती है और वह बिल्डिंग के वजन को उठा नहीं पाती. जिसकी वजह से ढह जाती है. कई बार इमारत के गिरने की वजह खराब स्ट्रक्चर को भी माना जाता है. कम चौड़ाई, ज्यादा ऊंचाई और पतली दीवारों वाले मकान ज्यादा झटका नहीं झेल पाते. इस तरह के मकान में हल्के भूकंप की वजह से भी दरार पड़ जाती है.

भूकंपरोधी मकान कैसे बनाया जाए? (Earthquake Resistant Homes)

1. सबसे पहले मिट्टी की जांच कराए. मिट्टी की जांच से पता लगेगा कि किस जगह पर कितने मंजिल का घर बनना चाहिए.

2. मकान की चौड़ाई और ऊंचाई में एक निश्चित अनुपात का होना जरूरी है. चौड़ाई से तीन गुनी ऊंचाई नहीं होनी चाहिए.

3.  सुरक्षा को बढ़ाने के लिए रेट्रोफिटिंग भी महत्वपूर्ण है. रिट्रोफिट से ओरिजिनल स्ट्रक्चर में बदलाव किया जाता है. रिट्रोफिट मकान की कई कमियों को दूर करता है. पुराने मकान को सीमित छेड़छाड़ के साथ मजबूती देने के लिए रेट्रोफिट किया जाता है. एक कमरे को रिट्रोफिट करने में करीब 2 दिन का वक्त लग सकता है.

4. बेस आइसोलेशन सिस्टम भी बिल्डिंग की नींव को मजबूत करने में सहायक है. इस प्रक्रिया में बिल्डिंग को गिराने की जरूरत नहीं पड़ती. बस ऊपर की मंजिल में रिट्रोफिट किया जाता है यानी सीमित बदलाव किया जाता है. बेस आइसोलेशन सिस्टम को बहुत कारगर माना जाता है.

5. लोड बियरिंग स्ट्रक्चर की जगह फ्रेम स्ट्रक्चर बनाया जाना चाहिए. फ्रेम स्ट्रक्चर से पूरा मकान कॉलम पर खड़ा हो जाता है. कॉलम को जमीन के नीचे दो से ढाई मीटर लगाना चाहिए. 12 मिमी मोटाई के कॉलम में सरिया लगाना चाहिए. 900 बाई 900 का कम से कम नींव होना चाहिए. इसके अलावा लेंटर बीम में किवाड़ के ऊपर न्यूनतम 12 मिमी मोटाई का स्टील लगाना चाहिए.

भूकंपरोधी मकान बनाने में कितना खर्च आता है?

अगर किसी सामान्य मकान को बनाने में एक करोड़ का खर्चा आ रहा है तो उसे भूकंपरोधी बनाने में एक करोड़ 10 लाख का खर्च आएगा. करीब-करीब 10% ज्यादा पैसा लगाकर भूकंपरोधी मकान बनाया जा सकता है. लेकिन सिर्फ 10% अतिरिक्त खर्च करके नया भूकंपरोधी घर बनवाया जा सकता है, पुराना नहीं.

पुराने घर को रेट्रोफिट करने में खर्च 15 से 20% तक खर्च और बढ़ सकता है. फिर भी रेट्रोफिट में 100% की गारंटी नहीं होती. अभी तक कोई ऐसा बिल्डिंग मटेरियल या कोई ऐसी टेक्नोलॉजी डेवलप नहीं हुई है जो तेज गति से आने वाले भूकंप से घर को बचा सके. पर रिट्रोफिटिंग करने के बाद एक मजबूती जरूर मिलती है जो सामान्य तीव्रता वाले भूकंप से घर को बचा लेती है.

भूकंपरोधी मकान बनाने का और क्या तरीका है?

इमारत को बड़े आपदा जैसे भूकंप या cyclone से बचने के लिए कैलिफोर्निया के एक आर्किटेक्चर ने कुदरती तरीका इजात किया. मजबूती के लिहाज़ से इस आर्किटेक्चर ने एक खास तरह के घर का निर्माण किया. आर्किटेक्चर के मुताबिक यह घर समय के साथ मजबूत होता जाएगा. गल्फ की लड़ाई के समय इस तरह के घरों का खूब प्रयोग किया गया.

फिलहाल पश्चिम के देशों में इस तरह के घरों का चलन बढ़ रहा है. यह मकान समतल नहीं होता बल्कि गोलाकार होता है. गोलाकार इसलिए बनाया गया है क्योंकि तूफान या भूकंप में मकान के गिरने की संभावना कम हो जाती है. रेत के बोरों को अलग तरीके से रखें जाने की वजह से भूकंप में इस प्रकार के घर कम प्रभावित होते हैं. इस तरह के घर को बनाने में खर्च भी कम आता है. साथ ही यह काफी टिकाऊ भी होता है.

भूकंपरोधी मकान हमारे लिए जरुरी क्यों है?

Geological faults को देखते हुए माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में भूकंप और प्राकृतिक आपदाएं बढ़ेगी. ऐसी स्थिति में सुरक्षा के लिहाज से भूकंप विरोधी मकान बनाना जरूरी है. भूकंपरोधी मकान पर सामान्य भूकंप के झटकों का ज्यादा असर नहीं पड़ता है. विशेष प्रकार के ले आउट से तैयार होने की वजह से ये मकान सामान्य भूकंप से व्यक्ति की जान बचा लेते हैं.

 

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