नई दिल्ली (ईएमएस)। दुनिया के सारे न्यूक्लियर हथियारों में कैसल ब्रावो को दुनिया का दूसरा सबसे शक्तिशाली परमाणु बम माना जाता था। इसका कुल वजन 10 टन था। इसकी लंबाई 5 मीटर थी और आकार बेलनाकार था। अमेरिका ने इस बम का परीक्षण मार्च 1954 में बिकनी एटोल के क्षेत्र में किया गया था। इससे 15 मेगाटन की ऊर्जा निकली थी। बता दें कि अमेरिका ने साल 1954 में कैसल प्रोजेक्ट के तहत परमाणु बम के कई परीक्षण किए थे।
इस दौरान ही उन्होंने दुनिया के पांचवें सबसे शक्तिशाली परमाणु बम कैसल रोमियो का परीक्षण किया था। ये 11 मेगाटन का है। दुनिया का तीसरा सबसे शक्तिशाली परमाणु कैसल यांकी है। अमेरिका ने इस बम को भी कैसल प्रोजेक्ट के तहत ही तैयार किया था, इसके बाद इसका परीक्षण किया गया था। इसकी विस्फोट की शक्ति 13 मेगाटन से ज्यादा थी। इसी तरह अमेरिका का आइवी माइक थर्मोन्यूक्लियर फ्यूजन के सिद्धांत पर आधारित दुनिया का पहला न्यूक्लियर बम था। इसकी क्षमता 12 मेगाटन टन थी। इसके टेस्ट के दौरान 7 किमी ऊंचा एक बड़ा न्यूक्लियर मशरूम पैदा हुआ था।
जानकार बताते हैं कि एक न्यूक्लियर बम के इस्तेमाल किए जाने पर विनाशकारी मानवीय परिणामों के साथ हजारों लोगों मर सकते हैं। आज पूरी दुनिया में कुल मिलाकर 12,700 परमाणु हथियार हैं। भारत के पास मौजूदा वक्त में कुल 164 न्यूक्लियर वेपन हैं। हालांकि भारत ने कभी भी अपने परमाणु भंडार के आकार का खुलासा नहीं किया है। आज पूरी दुनिया में पाकिस्तान में कुल मिलाकर 170 न्यूक्लियर वेपन है, जिनमें से गौरी और शाहीन सबसे शक्तिशाली माने जाते हैं। इनकी मारक क्षमता 900 से 2700 किलोमीटर है।वहीं रूस ने साल 1961 में जार बॉम्बा न्यूक्लियर बम का परीक्षण किया था। उन्होंने इसे आर्कटिक क्षेत्र में एक दूर दराज के द्वीप पर टीयू-95 एम विमान से 10 किमी की ऊंचाई पर गिराया था। इस बम की हाइट 8 मीटर थी। इसकी क्षमता 58 मेगाटन से अधिक थी। किम जोंग के देश नॉर्थ कोरिया के पास भी न्यूक्लियर वेपन की भरमार है। इस वक्त नॉर्थ कोरिया के पास 30 न्यूक्लियर वेपन है।