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कुल भार की अपेक्षा सब स्टेशनों की क्षमता है कम, इस कारण बिजली व्यवस्था में आ रही गड़बड़ी

लखनऊ,  (हि.स.)। प्रदेश में बिजली के बार-बार फाल्ट होने, ट्रांसफार्मरों के जलने और लो वोल्टेज की समस्या का प्रमुख कारण भार की अपेक्षा सब स्टेशनों की क्षमता का कम होना है। इसके कारण स्थितियां गड़बड़ हो रही हैं और उपभोक्ताओं को इस गर्मी में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

वर्तमान में प्रदेश के लगभग तीन करोड़ 52 लाख 98 हजार 672 विद्युत उपभोक्ता हैं। इनका कुल संयोजित भार लगभग सात करोड 47 लाख 59 हजार 332 किलो वाट के पार है। वहीं पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन के 132 केवी सब स्टेशनों की कुल क्षमता पांच करोड़ 50 लाख 74 हजार 600 किलो वाट के बराबर है। ऊपर से बिजली चोरी का लोड अलग ऐसे में सिस्टम पीक आवर्स में जवाब दे रहा हैं।

सब स्टेशनों की क्षमता से अधिक संयोजित भार के कारण जब उपभोक्ता पीक आवर में फुल लोड का प्रयोग करेगा तो पावर कारपोरेशन की क्षमता मिसमैच करने लग जाएंगे। गर्मी में पीक आवर्स में डायवर्सिटी फैक्टर जब एक अनुपात एक होता है। उस दौरान उपभोक्ता अपना अधिकतम भार का प्रयोग करता है। वहीं दूसरी तरफ सिस्टम पर 17 से 20 प्रतिशत बिजली चोरी का भार भी एकाएक आ जाता है। ऐसे में उपभोक्ताओं को जहां बड़े पैमाने पर लो वोल्टेज का खामियाजा भुगतना पड़ता है। वहीं दूसरी ओर पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन व बिजली कंपनियों का सिस्टम कांपने लगता है। ऐसे में प्रदेश की बिजली कंपनियों को युद्ध स्तर पर अपने सिस्टम को अपग्रेड करना होगा, जिससे प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को सुचारू विद्युत आपूर्ति गर्मी के मौसम में मिलती रहे।

इस संबंध में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि वर्ष 2023-24 की बात कर लें तो प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं द्वारा जो लिया गया कुल संयोजित भार प्रस्तावित किया गया है। उस अनुसार इस वर्ष 28 हजार मेगावाट के पार भी विद्युत मांग जा सकती है। यदि सिस्टम को जल्द अपग्रेड करने का काम शुरू नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में विद्युत व्यवस्था चरमरा सकती है।

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