प्रयागराज (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट से वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के अंतर्गत आने वाले नवग्रह शिवलिंग के पुजारियों को तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने नवग्रह शिवलिंग की पूजा करने और श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए जाने वाले चढ़ावे में हिस्सेदारी की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि याचिका भ्रमित करने वाली है। यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने जितेंद्र गिरि व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
याचियों की ओर से कहा गया कि काशी विश्वनाथ मंदिर के पास नवग्रह शिवलिंग और शनिदेव मंदिर स्थित है। काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के निर्माण के दौरान नौ ग्रह शिवलिंग और शनिदेव मंदिर का जीर्णोंद्धार कराया गया। नवग्रह शिवलिंग को ट्रस्ट में शामिल करते हुए उसके एवज में उन्हें मुआवजा दिया गया। साथ ही तत्कालीन काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने उन्हें नवग्रह और शनिदेव मंदिर में बैठने, पूजा करने और भक्तों की ओर से चढ़ाए जा रहे चढ़ावे लेने का अधिकार दिया था। लेकिन उसके बाद आए मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने नवग्रह शिवलिंग मंदिर में बैठने, पूजा करने पर रोक लगा दी गई।
इसके खिलाफ उन्होंने जिलाधिकारी वाराणसी को प्रत्यावेदन दिया लेकिन डीएम ने उसे अभी तक निस्तारित नहीं किया। काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के अधिवक्ता विनीत संकल्प ने तर्क दिया कि पुजारियों ने कॉरिडोर निर्माण के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की ओर से नवग्रह मंदिर को कॉरिडोर में शामिल करने के बदले पूरा मुआवजा ले लिया है। शनिदेव मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया है। नवग्रह शिवलिंग पर उनका कोई अधिकार नहीं रह गया है। लिहाजा, याचियों का दावा गलत है। अब उन्हें यह अधिकार नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट ने तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए याचिका को खारिज कर दिया।