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काशी में आदिशक्ति मां विशालाक्षी का प्राकट्य उत्सव और हरियाली शृंगार आज, जानिए क्या है तैयारी

वाराणसी, (हि.स.)। आदि शक्ति मां विशालाक्षी का प्राकट्य उत्सव और हरियाली शृंगार भाद्रपद कृष्ण तृतीया तिथि (2 सितंबर) को मनाया जाएगा। मीरघाट स्थित शक्तिपीठ में रात्रि 12 बजे माता की महाआरती होगी।

मंदिर के महंत पंडित सुरेश तिवारी ने शुक्रवार को बताया कि प्राकट्य उत्सव में शाम 6 बजे से 11 ब्राह्मण बसंत पूजा करेंगे। रात्रि 9 बजे से भजन संध्या की शुरुआत होगी। मां विशालाक्षी के बारे में देवी पुराण में कहा गया कि इनकी पूजा उपासना से सौंदर्य और धन की प्राप्ति होती है। यहां दान, जप और यज्ञ करने पर मुक्ति प्राप्त होती है। ऐसी मान्यता है कि यदि यहां 41 मंगलवार श्रद्धालु कुमकुम का प्रसाद चढ़ाते हैं तो इससे देवी मां आपकी झोली भर देंगी। विशाल नेत्रों वाली मां विशालाक्षी का यह स्थान मां सती के 51 शक्ति पीठों में से एक है। इनका महत्व कांची की मां (कृपा दृष्टा) कामाक्षी और मदुरै की (मत्स्य नेत्री) मीनाक्षी के समान है।

शास्त्रों के अनुसार बाबा विश्वनाथ मां विशालाक्षी के मंदिर में ही विश्राम करते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार जब ऋषि व्यास को वाराणसी में कोई भी भोजन अर्पण नहीं कर रहा था, तब विशालाक्षी एक गृहिणी की भूमिका में प्रकट हुईं और ऋषि व्यास को भोजन दिया। विशालाक्षी की भूमिका बिलकुल अन्नपूर्णा के समान थी। मान्यता के अनुसार इस स्थान पर मां सती का कर्ण कुंडल और उनकी आंख गिरी थी। काशी के नवशक्ति पीठों में मां विशालाक्षी का महत्वपूर्ण स्थान है।

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