प्रयागराज (ईएमएस)। मशरूम शुद्ध शाकाहारी भोजन करने वालों का पसंदीदा बन चुका है। यही नहीं इसकी खेती में सरकार भी मदद करती है। पनीर के बाद मशरूम ही है जिसकी शाकाहारियों में सबसे ज्यादा डिमांड होती है। इसकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए किसान भी मशरूम की खेती करने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। हालांकि यह अन्य प्रकार की फसलों से काफी अलग होता है। इसलिए इसकी खेती करने के लिए किसानों को गहन प्रशिक्षण की जरूरत होती है।
प्रयागराज में स्थित औद्योगिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र खुसरो बाग में मशरूम की खेती का प्रशिक्षण मुख्य उद्यान विशेषज्ञ विजय किशोर सिंह के द्वारा किया गया है। ये प्रशिक्षण 14 फरवरी से 16 फरवरी तक चला। इस दौरान कई किसानों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लिया और मशरूम की खेती करने में दिलचस्पी दिखाई। विजय किशोर सिंह बताते हैं कि मशरूम की खेती करने वाले किसानों को सरकार की ओर से विशेष अनुदान दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि किसानों को प्रशिक्षण के दौरान मशरूम की खेती से संबंधित बारिकियों को समझाया गया। ताकि वह अच्छी फसल उगा सके और लागत से ज्यादा मुनाफा कमाने सफल हो सके। इस समय मशरूम की डिमांड लोगों के बीच काफी बढ़ गयी है। अब शादियों में भी अन्य सब्जियों के साथ मशरूम भी एक ऑप्शन बन गया है। मुख्य उद्यान विशेषज्ञ विजय किशोर सिंह बताते हैं कि विश्व में मशरूम की करीब 14 हजार प्रजातियां मौजूद हैं। लेकिन सभी मशरूम खाने के योग्य नहीं होते हैं। खाने योग्य मशरूम विश्व में लगभग 2000 और भारत में 280 प्रकार की मौजूद हैं। ऐसे में इनकी खेती कैसे करनी है मशरूम की औषधि गुण क्या है, मशरूम में पाए जाने वाले प्रमुख विटामिन और प्रोटीन कौन-कौन से हैं, यह सभी बातें प्रशिक्षण के दौरान किसानों को बताई गई हैं।