इसमें कोई दोराय नहीं कि मैरिड लाइफ को सक्सेसफुल बनाने के लिए यौन जीवन में बैलेंस बनाए रखना बेहद ज़रूरी है। मगर उम्र के साथ शरीर में आने वाले बदलाव सेक्सुअल लाइफ को असंतुलित करने लगते है। इसका असर फिज़िकल और मेंटल बॉन्ड दोनों पर नज़र आने लगता है। इन्हीं सेक्सुअल बदलावों में से एक है फीमेल सेक्सुअल अराउजल डिसऑर्डर, जिसमें महिलाओं में सेक्स डिज़ायर में कमी आने लगती है। जानते हैं फीमेल सेक्सुअल अराउजल डिसऑर्डर के लक्षणों और कारणों से लेकर उपचार तक सब कुछ।
महिलाओं में कम होने वाली कामेच्छा फीमेल सेक्सुअल अराउजल डिसऑर्डर कहलाता है। इसमें महिलाएं सेक्सुअली स्टीम्यूलेट नहीं हो पाती हैं और सेक्सुअल डिज़ायर की कमी का सामना करना पड़ता है। इसे हाइपोएक्टिव सेक्सुअल डिज़ायर डिसऑर्डर भी कहा जाता है। इस समस्या के चलते महिलाओं को ऑर्गेज्म की कमी और पेनफुल इंटरकोर्स का सामना करना पड़ता है।
स्टैंफोर्ड मेडिसिन अब्स्टेट्रिक्स एंव गाइनेकोलॉजी के अनुसार मतलब फीमेल सेक्सुअल अराउजल डिसऑर्डर महिलाओं में पाया जाने वाला दूसरा सबसे आम यौन रोग है। इसे तीन सबसेट में विभाजित किया गया है, जिसमें जेनिटल अराइज़ल डिसऑर्डर, एब्जेक्टिव अराउज़ल डिसऑर्डर और कंबाइड अराउज़ल डिसऑर्डर है।
इस बारे में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ अंजुम के अनुसार सेक्सुअल अराउज़ल में आने वाली कमी महिला की उम्र, खानपान, मेंटल हेल्थ और रिलेशनशिप की समय अवधि पर निर्भर करता है। यानि वे महिलाएं जिनका लाइफस्टाइल अनियमित है और सेक्सुअल लाइफ हेल्दी नहीं रहती, उनमें यौन रुचि और उत्तेजना कम होने लगती है। खासतौर पर मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को फीमेल सेक्सुअल अराउजल डिसऑर्डर का सामना करना पड़ता है।
1. सेक्सुअल डिज़ायर का कम होना
फीमेल सेक्सुअल अराउजल डिसऑर्डर समस्या से ग्रस्त महिलाओं में कामेच्छा में कमी आने लगती है। सेक्स करने के दौरान अराउजल की कमी के चलते उन्हें तनाव और एंग्ज़ाइटी का सामना करना पड़ता है। उम्र बढ़ने के साथ ये समस्या गंभीर होने लगती है।
2. सेक्सुअल एक्टीविटी में इनिशिएटिव न लेना
सेक्स डिज़ायर कम होने से महिलाएं यौन जीवन के बारे में सोच नहीं पाती हैं। ऐसे में पार्टनर के साथ पॉर्न देखना या सेक्स एजॉय करना उन्हें पसंद नहीं आता है। उनके अंदर यौन उत्तेजना कम हो जाती है। इसका असर कपल्स की मैरिड लाइफ पर दिखने लगता है।
वे महिलाएं, जो फीमेल सेक्सुअल अराउजल डिसऑर्डर की शिकर है, उन्हें सेक्स के दौरान उन्हें जेनिटल्स और इरोजेनस ज़ोन में किसी प्रकार की सेंसेशन महसूस नहीं हो पाती है। लंबे वक्त तक अराउज़ न रहने के चलते इंटरकोर्स पेनफुल होने लगता है।
क्या हैं इस समस्या के लक्षण
1. हार्मोन असंतुलन
हार्मोन इंबैलेंस सेक्स डिज़ायर कम होने का मुख्य कारण साबित होता है। खासतौर से मेनोपॉज, प्रेगनेंसी और गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन इस समस्या का मुख्य कारण साबित होते हैं। इससे अराउज़ल में कमी आने लगती है और सेक्स के प्रति रूचि कम होने लगती है।
2. ल्यूब की कमी
वेजाइना में ल्यूब्रिकेशन की कमी पेनफुल सेक्स का कारण बनती है, जिससे महिलाओं में कामेच्छा कम होने लगती है। जर्नल ऑफ़ सेक्स एंड मेरिटल थेरेपी के मुताबिक ल्यूब्रिकेट का प्रयोग करने से फेंटोलामाइन बढ़ने लगता है। इससे सेक्सुअल सेंसेशन में भी सुधार होने लगता है, जिससे सेक्सुअल लाइफ स्मूद होने लगती है।
3. मेडिकेशंस
कई प्रकार की दवाओं का सेवन करने से शरीर में बदलाव आने लगते है। इसका असर सेक्सुअल हेल्थ पर भी नज़र आने लगता है। इससे चलते महिलाओं को यौन उत्तेजना विकार कासामना करना पड़ता है।
रिश्तों में बढ़ने वाला तनाव सेक्सुअल हेल्थ का प्रभावित करता है। इससे पार्टनर के साथ इमोशनल अटैचमेंट में कमी आने लगती है, जिसका असर सेक्सुअल लाइफ पर नज़र आने लगता है। इसके अलावा किसी भी चीज को लेकर होने वाला डिप्रेशन और गिल्ट इस समस्या का कारण बन जाता है।
जानें इस समस्या से कैसे बाहर आएं
इस समस्या से बाहर आने के लिए हार्मोनल थेरेपी की मदद ली जा सकती है। शरीर में एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर में गिरावट आने से इस समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में डॉक्टरी जांच और सलाह के बाद हार्मोनल थेरेपी मददगार साबित होती है। इसके अलावा साइकोथेरेपीज़ तनाव और एंग्जाइटी को दूर करने में मदद करती है। साथ ही जेनिटल स्टीम्यूलेशन को बनाए रखने के लिए सेक्स थेरेपिस्ट के संपर्क में रहें।