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काम की बात : इस मौसम में करे सरसो और तोरी की खेती,होगा बंपर मुनाफा, किसान अभी पढ़ें ये खबर

पूर्वी चंपारण, (हि.स.)।खरीफ फसलों की कटाई के साथ ही किसान रबी फसलो की तैयारी में जुट गये है।ऐसे में अक्टूबर माह को सरसों और तोरी की खेती के लिए काफी उपयुक्त माना गया है।खाध्य तेल का सबसे अच्छा स्रोत सरसो की खेती कई दृष्टि से लाभकारी माना गया है।हर साल सरकार द्धारा इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी किये जाने से बाजार में भी इसकी अच्छी कीमत मिल रही है।इस कारण बिहार समेत देश के कई राज्यो में हर साल सरसों की खेती का रकबा बढ रहा है।बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के पीपरा कोठी कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिको की माने तो सरसों के बीज में तेल की मात्रा 30 से 48 प्रतिशत तक पाई जाती है।जिस कारण इसकी खेती किसानो के लिए काफी लाभकारी है।

-कैसे मिट्टी और जलवायु में करे सरसो की खेती

कृषि विशेषज्ञओ की माने तो इसकी खेती सभी मिट्टी में की जा सकती है,लेकिन बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए सर्वाधिक उपयुक्त माना गया है।सरसो की फसल हल्की क्षारीयता को सहन कर सकती है, लेकिन मिट्टी अम्लीय नहीं होनी चाहिए।सरसों की खेती शरद ऋतु में की जाती है,सरसो के अच्छे उत्पादन के लिए 15 से 25 सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है।

-सरसों की उन्नत किस्में

सरसो के बीज काफी महंगे होते है,ऐसे में किसान भाई हर साल बीज खरीदने की बजाय पिछले वर्ष बोये गये बीज की सफाई और ग्रेडिंग करके उसमें से रोगमुक्त ओर मोटे दानों को अलग कर उन बीजो का उपचारित कर बुवाई कर सकते है।अगर उन बीजो को सशंकित हो तो बाजार से आर एच 30,टी 59 (वरूणा),पूसा बोल्ड आशीर्वाद (आर. के. 01से 03),अरावली (आर.एन.393),NRC HB 101,NRC DR 2,R.H-749 जैसे उन्नत बीज खरीद कर बुवाई कर सकते है।

-कैसे करे खेत की तैयारी

सरसों के लिए मिट्टी भुरभुरी होने चाहिए।खरीफ की कटाई के बाद एक गहरी जुताई करे।साथ ही नमी बनाये रखने के लिए इसमें हेगा जरूर लगाये।खेत में दीमक, चितकबरा एवं अन्य कीटो का प्रकोप अधिक हो तो, नियंत्रण हेतु अन्तिम जुताई के समय क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति हेक्टयर की दर से खेत मे मिलाये। साथ ही,2 से 3 किलोग्राम एजोटोबेक्टर एवं पी.ए.बी कल्चर की 50 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मीकल्चर में मिलाकर अंतिम जुताई से पूर्व मिलाये।

-सरसों की कब और कैसे बुवाई

सरसों की बुवाई के लिए उपयुक्त तापमान 25 से 26 डिग्री सेल्सियस तक रहता है।ऐसे में सरसों की बुवाई 05 अक्टूबर से 25 अक्टुबर तक कर देनी चाहिए।इसकी बुवाई कतारो में हो तो बेहतर होता है।कतार से कतार की दूरी 45 सें. मी. तथा पौधों से पौधें की दूरी 20 सें. मी. रखनी चाहिए।सिंचित क्षेत्र में बीज की गहराई 5 से.मी. तक रखा जा सकता है।बुवाई के लिए शुष्क क्षेत्र में 4 से 5 कि.ग्रा तथा सिंचित क्षेत्र में 3- 4 कि. ग्रा बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त है।

-बुवाई पूर्व करे बीजोपचार

पौधे को सड़न रोग से बचाने के लिए बीज को बुवाई के पूर्व फफूंदनाशक बाबस्टीन वीटावैक्स, कैपटान, थिरम, प्रोवेक्स मे से कोई एक 3 से 5 ग्राम दवा प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।साथ ही कीटो से बचाव ईमिडाक्लोरपीड 70 डब्लू पी, 10 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम बीजदर से उपचरित करें।कीटनाशक उपचार के बाद मे एज़ेटोबॅक्टर तथा फॉस्फोरस घोलक जीवाणु खाद, दोनों की 5 ग्राम मात्रा से प्रति किलो बीज को उपचारित कर बोने चाहिए।

-कितना डाले खाद

सिंचित फसल के लिए 7 से 12 टन सड़ी गोबर, 175 किलो यूरिया, 250 सिंगल सुपर फॉस्फेट, 50 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश एवम 200 किलो जिप्सम बुबाई से पूर्व प्रति हेक्टेयर खेत में डाले।यूरिया की आधी मात्रा बुवाई के समय एवम शेष आधी मात्रा पहली सिंचाई के बाद खेत में दें।असिंचित क्षेत्र में वर्षा के पूर्व 4 से 5 टन सड़ी, 87 किलो यूरिया, 125 किलो सिंगल सुपर फॉस्फेट, 33 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से बुबाई के समय खेत में डाले।

-कब करे सिंचाई

प्रथम सिंचाई बुबाई के 35 से 40 दिन बाद एवं द्वितीय सिंचाई दाने बनने की अवस्था में करें।

-कैसे करे खरपतवार नियंत्रण

आमतौर पर सरसों के साथ खरपतवार उगते हैं।ऐसे में बुवाई के तीन सप्ताह बाद नियमित अन्तराल पर 2 से 3 बार निराई गुड़ाई(सोहनी) जरूर करे।साथ ही अंकुरण पूर्व बुवाई के तुरंत बाद खरपतवारनाशी पेंडीमेथालीन 30 ईसी रसायन की 3.3 लीटर मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 800 से 1000 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए।

-कितना होगा उत्पादन

बेहतर जलवायु और फसल रोग, कीट एवं खरपतवार से मुक्त हो तो रहे सरसो का उत्पादन 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिल सकता है।

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