लखनऊ (हि.स.)। पिछले दिनों प्रदेश के कई जिलों में आंधी और पानी के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है। कई जगहों पर हरी मटर की बुआई हो गयी है, उन पर प्रभाव पड़ेगा। इसके साथ ही रबी की फसल भी पीछे हो जाएगी। मिर्च और अन्य सब्जी की खेती पर भी इसका खराब प्रभाव पड़ा है।
इस संबंध में सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डा. ए.बी. सिंह का कहना है कि टमाटर की फसल पर इस मौसम ने ज्यादा असर डाला है। इससे फलों में सड़न पैदा होने का अंदेशा बढ़ गया है। किसानों को पौधों के प्रति सचेत रहने के साथ ही टमाटर के फल को मिट्टी से बचाना होगा। कोशिश करनी चाहिए कि टमाटर के फल को एक बार हिला-डुला दें। इसके साथ ही सड़ने से बचाने के लिए दवा का छिड़काव करना चाहिए।
वैज्ञानिक डा. राजेश राय का कहना है कि मिर्च की फसल में बचे हुए फूलों को बचाने का उपाय करना चाहिए। इसके लिए नीम की अर्क का छिड़काव करें तो बेहतर होगा। इसके साथ अन्य सब्जी की फसलों के लिए किसानों को कीटों से सुरक्षा के उपाय करने चाहिए। इस मौसम में कीटों का प्रभाव बढ़ जाता है। हल्की बारिश से खर-पतवार भी खेत में बढ़ने की उम्मीद है। इसके लिए निराई कराते रहने पर ध्यान देना होगा।
उप निदेशक अनीस श्रीवास्तव का कहना है कि किसी भी मौसम से घबराने की जरूरत नहीं है। हमें मौसम के हिसाब से ढलना होगा। हरी मटर की तैयारी करें, जिन किसानों ने हरी मटर लगा दी थी और वह मिट्टी से निकल नहीं पा रहा है तो उसको हटाकर फिर से बुआई कर देना चाहिए, जिन किसानों ने अभी बुआई नहीं की है, उन्हें मिट्टी की तैयारी कर बुआई कर देनी चाहिए।