कानपुर, (हि.स.)। जलवायु परिवर्तन की मार सिर्फ मनुष्यों एवं जीव-जन्तुओं पर ही नहीं, उसका फसलों पर भी गहरा असर पड़ा है। खासतौर से गेहूं पर इसका असर पड़ना चिंता का विषय बन चुका है। एक रिसर्च पेपर में बताया गया है कि गेहूं का विकल्प ज्वार हो सकता है।
यह जानकारी शुक्रवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विज्ञान विश्वविद्यालय कानपुर के मौसम वैज्ञानिक डॉ.एस.एन.सुनील पांडे ने दी।
ज्वार हो सकता है गेहूं का विकल्प
पांडे ने बताया कि एक नए रिसर्च पेपर में यह बताया गया कि पारंपरिक रूप से उगाया जाने वाला ज्वार जलवायु परिवर्तन के लिए अपने लचीलेपन की वजह से गेहूं का एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
उन्होंने बताया कि नेचर्स साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित विश्लेषण में तापमान में वृद्धि के लिए गेहूं और ज्वार की पैदावार की संवेदनशीलता की जांच की गई और अलग-अलग परिदृश्यों के तहत पानी की जरूरतों पर गौर किया गया।
श्री पांडेय ने बताया कि बीते वर्ष देश में मार्च के समय आयी लू और रूस-यूक्रेन संघर्ष ने अनाज की जरूरतों खासतौर से गेहूं के लिए देश की निर्भरता को लेकर चिंताएं बढ़ा दी है। मार्च में आयी गर्मी की लहरों ने भी फसलों को बहुत हद तक प्रभावित किया।
रूस-यूक्रेन संकट की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं की आपूर्ति और कीमतों में बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसे में हमें ये समझने की जरूरत है कि क्या आने वाले वक्त में गेहूं की जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी विकल्प की जरूरत होगी। लेकिन सवाल यह है कि क्या गेहूं का कोई विकल्प हो सकता है।
गेहूं का 10वां सबसे बड़ा निर्यातक देश है भारत
पांडे ने बताया 2021 में भारत ने गेहूं निर्यात करने वाला 10वां सबसे बड़ा निर्यातक देश बना, उसी साल गेहूं भारत में 34 वां सबसे ज्यादा निर्यात किया जाने वाला उत्पाद था। भारत से गेहूं निर्यात बांग्लादेश, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात, इंडोनेशिया, और फिलीपींस होता है।