कानपुर (हि.स.)। केन्द्र एवं राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से संचालित की जा रही प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत वर्षा जल संचयन के लिए खेत तालाब योजना में वित्तीय वर्ष 2023-24 में लक्ष्य से डेढ़ गुना किसानों ने ऑनलाइन आवेदन किया था। लेकिन तकनीकी खामियों समेत अन्य जांच के दौरान इस वर्ष का लक्ष्य नहीं पूरा हो सकेगा। यह पहले आओ पहले पाओ के आधार पर किसानों को लाभ लेने का सरकार अभियान चला रही है।
कानपुर जिले के भूमि संरक्षण अधिकारी आर.पी.कुशवाहा ने शुक्रवार को बताया कि किसानों को लाभ देने के लिए कई योजनाएं संचालित कर रही है। मेड़ बन्दी योजना, खेत तालाब योजना, किसान सम्मान निधि योजना, बोरिंग योजना, सोलर पम्प योजना समेत अन्य योजनाएं हैं। इन सभी योजनाओं को किसानों तक पारदर्शी तरीके से पहुंचाने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है।
भूमि संरक्षण अधिकारी ने बताया कि केन्द्र सरकार ने इस वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए खेत तालाब योजना हेतु दस किसानों का लक्ष्य रखा है। किसानों से आवेदन करने के लिए विभिन्न माध्यमों से अपील गई। जिसका परिणाम यह रहा कि इस वर्ष किसानों की रुचि में वृद्धि हुई हैं और लक्ष्य से डेढ़ गुना किसानों ने आवेदन ऑनलाइन किया है। लेकिन स्थलीय निरीक्षण और तकनीकी जांच के दौरान खामियाँ तथा अन्य समस्याओं की वजह से लक्ष्य पूरा होना कठिन हो गया है।
निर्धारित मानक
भूमि संरक्षण अधिकारी ने बताया कि केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से चल रही खेत तालाब योजना में 22 मीटर लम्बा और 20 मीटर चौड़ा एवं तीन मीटर गहराई निर्धारित की गई है।
अनुदान राशि का भुगतान
उन्होंने बताया कि खेत तालाब योजना लाभ पहले आओ पहले पाओ के तहत पात्र किसानों को तीन किस्तों में अनुदान की राशि उपलब्ध कराई जाती है। इसके अंतर्गत किसान द्वारा उपलब्ध कराए गए बैंक खाते में केन्द्र सरकार अनुदान की राशि सीधे भेजती है। पहली किस्त योजना का पात्र लाभार्थी बनने के बाद दी जाती है। उसके बाद खुदाई शुरू करने के बाद आनलाइन फोटो अपलोड करनी होती है, जिसका पोर्टल बना हुआ है, जिसमें मानक के अनुरूप न होने पर लाभार्थी को अपात्र भी घोषित किया जा सकता है। पूरी तरह से मानकों के अनुरूप होने पर अंतिम व तीसरी अनुदान की किस्त को लाभार्थी को मिला जाता है। इस योजना में केन्द्र सरकार पारदर्शी तरीके से किसानों को लाभ दे रही है।
उल्लेखनीय है कि गत वित्तीय वर्ष 2022-23 में कानपुर के सात किसान लाभार्थी बन चुके हैं। जबकि नौ लोगों ने आवेदन किया था, जिसमें से तीन किसान लाभार्थी नहीं बन सके। इसकी वजह एक किसान के द्वारा दिए गए तथ्यों में भिन्नता पायी गई। जिससे उनका आवेदन अपने आप आनलाइन निरस्त हो गया था।