नई दिल्ली, (हि.स.)। दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने गोरखपुर में कथित तौर पर पुलिस की ओर से कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की पीटकर हत्या करने के मामले की सुनवाई टाल दिया है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को करने का आदेश दिया।
आज कोर्ट को सूचित किया गया कि सीबीआई ने इस मामले में पूरक चार्जशीट दाखिल की है। कोर्ट को ये भी बताया गया कि हाई कोर्ट में मनीष गुप्ता की पत्नी की ओर से दाखिल याचिका अभी लंबित है और हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट में सुनवाई पर रोक लगा दी है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने 01 फरवरी को इस मामले में ट्रायल कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के 22 दिसंबर 2022 और 9 जनवरी 2023 के दो आदेशों पर भी रोक लगाई थी। हाई कोर्ट ने इस बात पर गौर किया था कि ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में छह पुलिसकर्मियों में से पांच के खिलाफ हत्या का आरोप तय नहीं किया।
राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 22 दिसंबर 2022 को मृतक मनीष गुप्ता के परिवार वालों की उस अर्जी को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने कोर्ट की मदद करने की अनुमति मांगी थी। 09 जनवरी को कोर्ट ने मामले के छह आरोपितों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 323 और 34 के तहत आरोप तय किए थे। ट्रायल कोर्ट ने हत्या की धारा 302 के तहत केवल आरोपित और थाना प्रभारी जगत नारायण सिंह के खिलाफ ही आरोप तय किया था।
राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 4 अप्रैल 2022 को सीबीआई से अतिरिक्त चार्जशीट दाखिल करने को कहा था। 14 मार्च 2022 को चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अंबिका सिंह की कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत मामले पर सुनवाई करने के लिए इस मामले को सेशंस कोर्ट में भेजने का आदेश दिया था। 11 मार्च 2022 को हुई सुनवाई में कोर्ट ने सीबीआई द्वारा पेश आरोप पत्र पर संज्ञान लिया था। इस मामले में राऊज एवेन्यू कोर्ट ने आरोपी पुलिसकर्मियों थाना प्रभारी जगत नारायण सिंह, दारोगा अक्षय कुमार मिश्रा, विजय यादव, राहुल दुबे, कमलेश सिंह यादव और प्रशांत कुमार को तिहाड़ शिफ्ट करने का निर्देश दिया था।
कानपुर के रहनेवाले कारोबारी मनीष गुप्ता 27 सितंबर 2021 की सुबह आठ बजे गोरखपुर अपने दो दोस्तों हरवीर और प्रदीप के साथ घूमने गए थे। तीनों युवक गोरखपुर के रामगढ़ताल में एक होटल में ठहरे थे। 27 सितंबर 2021 की रात छह पुलिसवाले आधी रात के बाद होटल में चेकिंग करने पहुंच गए थे। कमरे की तलाशी लेने पर मनीष ने आपत्ति जताई तो पुलिसकर्मियों से उनका विवाद हो गया। आरोप है कि पुलिस वालों ने उनकी पिटाई कर दी थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी। इस मामले में रामगढ़ताल थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष सहित छह पुलिसकर्मी गिरफ्तार किए गए थे।