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ओएसओपी के प्लेटफार्म से दौड़ेगी ओडीओपी एक्सप्रेस, मिलेगी नई पहचान, बढ़ेंगे रोजगार

– बुनकरों के हुनर से विश्व फलक पर है कालीन नगरी विंध्य क्षेत्र की पहचान

– अमेरिका व यूरोपीय देशों के साथ दुनिया भर में निर्यात किया जाता है कालीन

– जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे को विंध्य क्षेत्र की कलात्मक काॅलीन दरी भेंट कर चुके हैं पीएम मोदी

मीरजापुर, (हि.स.)। एक स्टेशन-एक उत्पाद (ओएसओपी) से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बेहद महत्वाकांक्षी योजना एक जनपद-एक उत्पाद (ओडीओपी) को नई पहचान मिलेगी। ओडीओपी एक्सप्रेस अब ओएसओपी के प्लेटफार्म से और तीव्र रफ्तार से दौड़ने जा रही है।

इस योजना के तहत एक जिले में पड़ने वाले सभी रेलवे स्टेशनों पर संबंधित जिले के ओडीओपी उत्पाद उस स्टेशन के सबसे प्रमुख प्लेटफार्म की उस जगह पर उपलब्ध है, जहां सर्वाधिक लोगों का आना-जाना होता है। संबंधित प्लेटफार्म पर ओडीओपी के आकर्षक स्टाॅल लगाए गए हैं। ओएसओपी के प्लेटफार्म से ओडीओपी एक्सप्रेस रफ्तार भरी तो पहचान बढ़ेगा ही, रोजगार भी बढ़ेंगे।

मसलन, अगर आपकी ट्रेन मीरजापुर से गुजर रही है तो इस जिले में पड़ने वाले रेलवे स्टेशन पर जीआई टैग से सुशोभित ओडीओपी में शामिल विंध्य क्षेत्र की आकर्षक कालीन दरी आपका ध्यान जरूर खींचेगी। ओडीओपी स्टाल में एकरूपता के लिए एक स्टैंडर्ड साइज रेलवे ने उपलब्ध कराया है। जरूरत पड़ने पर एक स्टेशन पर ये स्टाॅल एक से अधिक भी हो सकते हैं।

प्रयोग के तौर पर काशी से हुई थी ओएसओपी योजना की शुरुआत

ओएसओपी का जिक्र पहली बार 2022-23 के आम बजट में हुआ था। मकसद था जगह विशेष के खास उत्पादों के पहचान को और मुकम्मल बनाना, इनको बनाने वालों को एक स्थाई बाजार देकर उनको बड़ा मंच देना। इसके बाद प्रयोग के तौर पर अप्रैल 2022 में वाराणसी कैंट स्टेशन पर लकड़ी के खिलौनों और प्रतापगढ़ में आंवला के प्रसंस्कृत उत्पादों के स्टाल से इसकी शुरुआत हुई। अब इसे विस्तार दिया जाने लगा है।

ओएसओपी से ओडीओपी को मिलेगा विस्तार

भारतीय रेलवे देश की एकता एवं अखंडता का प्रतीक है। हर रोज यह लाखों लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाती है। आबादी के लिहाज से सबसे बड़ा प्रदेश होने की वजह से स्वाभाविक रूप से सर्वाधिक संख्या उत्तर प्रदेश के लोगों की होती है। यही नहीं, अब उत्तर प्रदेश पर्यटकों का सबसे पसंदीदा स्थल बन चुका है। जिस तरह से इस क्षेत्र में काम हो रहा है। उसके मद्देजर आने वाले समय में यह संख्या और बढ़ेगी। ऐसे में वन स्टेशन-वन प्रोडक्ट (ओएसओपी) योजना ओडीओपी के दायरे को और विस्तारित करेगी।

शौकीन शौक से ले जाते हैं कालीन-दरी

मीरजापुर रेलवे स्टेशन पर विक्रम काॅरपेट की तरफ से लगाए गए स्टाॅल संचालक कोन ब्लाक के चेकसारी निवासी ज्ञानेंद्र कुमार यादव ने बताया कि स्टाॅल पर टिकाऊ व आकर्षक डिजाइन के 400 से लेकर पांच हजार तक के जूट, तपटेट व नाटेड उपलब्ध हैं। ओडीओपी स्टाॅल मीरजापुर रेलवे स्टेशन के मुख्य प्रवेश द्वार के अंदर प्लेटफार्म नंबर एक पर लगा है, ताकि यात्रियों की नजर रेलवे स्टेशन के अंदर प्लेटफार्म पर प्रवेश करते ही ओडीओपी स्टाॅल पर पड़े। काॅलीन दरी के स्टाॅल पर यात्री आते तो जरूर हैं, लेकिन अभी बिक्री कम है। आदिशक्ति जगत जननी मां विंध्यवासिनी का पावन क्षेत्र होने के नाते कुछ लोग इसे प्रसाद स्वरूप ले जाते हैं तो कुछ जरूरत के अनुसार घर-आंगन की सुंदरता बढ़ाने के लिए खरीदते हैं। शौकीन तो इसे शौक से ले जाते हैं।

हुनर ने दिलाई पहचान, देश-दुनिया में बढ़ी शान

वैसे विंध्य क्षेत्र की विश्व प्रसिद्ध काॅलीन राष्ट्रपति भवन के साथ देश के सर्वोच्च पंचायत नवनिर्मित संसद भवन (सेंट्रल विस्टा) की शोभा बढ़ाने के साथ अपनी चमक बिखेर ही रही है, मीरजापुर की शान भी बढ़ा रही है। हस्तनिर्मित कालीन (हैंड नाटेड कारपेट) विंध्य क्षेत्र की परंपरागत कालीन उद्योग ही नहीं, सांस्कृतिक विरासत है। विंध्य क्षेत्र का काॅलीन अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ दुनिया भर में निर्यात किया जाता है। इसके निर्माण में लाखों हाथ लगे हुए हैं। उन हाथों को यह उद्योग रोजगार उपलब्ध करा रहा है।

हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वोकल फाॅर लोकल का संदेश संपूर्ण भारत को दिया है। उसके बाद देश में निर्मित काॅलीन उत्पाद को घरेलू बाजार में भी पसंद किया जाने लगा है। बुनकरों को हुनर से जहां रोजगार मिल रहा है, वहीं विश्व फलक पर कालीन नगरी विंध्य क्षेत्र की पहचान बनी है। हालांकि 28 अक्टूबर 2018 को खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी जापान पहुंचकर वहां के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे को विंध्य क्षेत्र की कलात्मक कालीन दरी भेंट कर कालीन नगरी की शान बढ़ाई थी।

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