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एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर केन्द्र का समर्थन करेगी बसपा : मायावती

-कांग्रेस और सपा देश के एससी-एसटी व ओबीसी वर्गों के आरक्षण को लेकर काफी कुछ हवा-हवाई बातें कर रही है, इसमें रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है

लखनऊ । बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने रविवार को कहा कि ‘एक देश एक चुनाव’ के मुद्दे पर उनकी पार्टी केन्द्र सरकार का समर्थन करेगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यदि सरकार कोई संविधान में संशोधन अपनी पार्टी या किसी विशेष व्यक्ति व संस्था को फायदा पहुंचाने के लिए करती है तो बसपा इसका समर्थन नहीं करेगी।

मायावती ने लखनऊ स्थित अपने आवास पर पत्रकार वार्ता के दौरान संसद में संविधान को लेकर हुई चर्चा का जिक्र करते हुए राजनीतिक दलों पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि संविधान की 75 वर्षों की गौरव यात्रा पर इस साल भी संसद में काफी गरम चर्चा चल रही है। इस चर्चा का महत्व व उसकी उपयोगिता तभी संभव है जब खुले मन से यह स्वीकार किया जाए कि क्या शासक वर्ग मानवतावादी व कल्याणकारी संविधान की पवित्र मंशा के हिसाब से देश के करोड़ों लोगों को रोजगार, न्याय तथा आत्मसम्मान एवं स्वाभिमान का जीवन दे पाया है ?

उन्होंने कहा कि देश में अब तक राज करने वाली पार्टियों ने संविधान पर सही से अमल करने के मामले में अपनी सच्ची निष्ठा, ईमानदारी व देशभक्ति अगर निभायी होती तो फिर अपने देश का हाल आज इतना बदहाल नहीं होता। यहां लगभग 80 करोड़ लोगों को रोजगार के अभाव में अपनी भूख मिटाने के लिए थोड़े से सरकारी अनाज का मोहताज जीवन गुजराने को मजबूर नहीं होना पड़ता।

अभी भी यहां के किसान, मजदूर, व्यापारी और मेहनतकश लोगों के साथ-साथ छात्र व युवा वर्ग, महिलाएं एवं बुजुुर्ग, ये सभी अपनी समस्याओं को लेकर काफी ज्यादा परेशान व चिंंतित हैं। इससे यह स्पष्ट है कि संविधान विफल नहीं रहा बल्कि देश पर राज करने वाले लोगों व पार्टियों ने ही देश के संविधान को फेल करने का काम किया है।

मायावती ने आगे कहा कि यही कारण संसद में जब अब संविधान को लेकर विशेष चर्चा हो रही है तो खासकर कांग्रेस और भाजपा के बीच वही घिसे-पिटे पुराने अलाप हाे रहेे हैं। आरोप—प्रत्यारोप लगा रहे हैं कि हमसे ज्यादा तुम दोषी, जैसी संकीर्ण राजनीति कर रहे हैं।

बसपा प्रमुख ने कहा कि संसद में हो रही इस चर्चा में सत्ता व विपक्ष को सुनकर ऐसा लगता है कि इन्होंने अपने—अपने राजनैतिक स्वार्थ में अब संविधान का ही काफी हद तक राजनीति करण कर दिया है। इस मौके पर कोई संविधान की काॅपी अपने माथे पर लगा रहा है तो कोई इसे अपने हाथ में लेकर दिखाने में लगा है। अब इसकी आड़ में देश व जनहित के जरूरी मुद्दे भी दर किनार कर दिए जा रहे हैं।

मायावती ने कहा कि हमारी पार्टी लोगों को सावधानी के तौर पर यह कहना चाहती है कि इस बार संसद में संविधान को लेकर हुई चर्चा के दौरान सत्ता—​विपक्ष भी इन वर्गों के वोटों को लुभाने के लिए, खासकर कांग्रेस-सपा ने देश के एससी-एसटी व ओबीसी वर्गों के आरक्षण को लेकर काफी कुछ हवा-हवाई बातें कही हैं। इसमें रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है।

भाजपा की भी आरक्षण विरोधी मानसिकता साफ झलकती है, जो इसे पास कराने के कतई मूड में नहीं है। वहीं, राहुल गांधी ने भी इन वर्गों के आरक्षण को ही सही वक्त आने पर खत्म करने का ऐलान किया है। जबकि इस मामले में भाजपा व अन्य विरोधी पार्टियां भी कोई कम नहीं हैं। अभी भी सत्ता व विपक्ष द्वारा आरक्षण को निष्प्रभावी बनने व इसे खत्म करने के लिए इन सबकी सोच लगभग एक जैसी दिखती है।

मायावती ने कहा कि मैं देश के संविधान में सत्ता व विपक्ष द्वारा अब तक किए कई संशोधनों के संदर्भ में यह कहना चाहूंगी कि यदि सरकार द्वारा संविधान में संशोधन अपनी पार्टी या किसी विशेष व्यक्ति व संस्था को फायदा पहुंचाने के लिए किया जाता है तो हमारी पार्टी इसका समर्थन नहीं करेगी। उसका डटकर विरोध करेगी।

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