लखनऊ (हि.स.)। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को ‘आत्मनिर्भर भारत’ सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के डिफेंस कॉरिडोर में अब केवल नट-बोल्ट या कलपुर्जों का निर्माण ही नहीं किया जाएगा बल्कि विमान व ब्रह्मोस मिसाइलें भी बनेंगी। यहां पर यूएवी, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का निर्माण और ड्रोन तैयार करने का काम किया जाएगा।
रक्षामंत्री ने कहा कि “उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारा में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां यूपीडीआईसी एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसके जरिए विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर भारतीय रक्षा क्षेत्र की निर्भरता घटाने का इरादा है। अलीगढ़ में 11 अगस्त, 2018 को एक कार्यक्रम में रक्षा उत्पादन में 3,700 करोड़ रुपये से अधिक निवेश की घोषणा के साथ इस परियोजना की शुरुआत हुई थी।
राजधानी लखनऊ के सूर्य क्लब सभागार कैंट में आयोजित संगोष्ठी में राजनाथ सिंह ने कहा कि साल 1971 और कारगिल युद्ध के समय कुछ देशों ने हमें हथियार नहीं दिया उन देशों का हम नाम नहीं लेंगें। हालांकि आज जब भारत बोलता है तो पूरी दुनिया सुनती है। रक्षा मंत्री ने कहा कि आज जब तकनीक का नाम नया योद्धा युद्ध में आया है, तब हमें कहीं और आगे बड़ा सोचने की आवश्यकता है। हमें क्षितिज से परे सैन्य साजो-सामान के क्षेत्रों में भी आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की आवश्यकता है। जितने महत्वपूर्ण हमारे सैनिकों का शौर्य और प्रदर्शन है, उतने ही महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म, उपकरण और नई-नई तकनीकें भी हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि हमने उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा गलियारा के जरिए रक्षा विनिर्माण के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार किया है। मुझे बताया गया है कि इस गलियारे के लिए करीब 1,700 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की योजना है, जिसमें से 95 प्रतिशत से अधिक भूमि का पहले ही अधिग्रहण किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि इनमें से 36 उद्योगों और संस्थानों को करीब 600 हेक्टेयर भूमि आवंटित कर दी गई है और 16,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के अनुमानित निवेश के साथ 109 सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि अभी तक करीब 2,500 करोड़ रुपये का कुल निवेश विभिन्न इकाइयों द्वारा यूपीडीआईसी में किया गया है।