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इस राज्य में वर्ष 2021 की तुलना में 2022 में कुल अपराधों में आई 1.8 फीसदी की कमी, अभी-अभी आई ये रेपर्ट

– महिलाओं और एससी-एसटी के प्रति अपराध वृद्धि दर भी घटी

– राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो ने जारी किए आंकड़े

भोपाल  (हि.स.)। राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो नई दिल्ली ने देशभर के 2022 के अपराध के आंकड़े जारी किए हैं, जिनके अनुसार मध्य प्रदेश में पिछले वर्षों की तुलना में प्रदेश में हत्या, हत्या के प्रयास, लूट, गृहभेदन जैसे गंभीर अपराधों में उल्लेखनीय कमी आई है। वहीं, कुल अपराधों में 1.80 प्रतिशत की कमी आई है। यह जानकारी सोमवार को मप्र पुलिस के जनसम्पर्क अधिकारी आशीष शर्मा ने दी।

उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय अपराध अभिलेख द्वारा वर्ष 2022 के प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, मप्र में वर्ष 2021 की तुलना में आईपीसी के अपराध घटे हैं। जहां वर्ष 2021 में प्रदेश में कुल तीन लाख चार हजार 66 अपराध घटित हुए थे, वहीं वर्ष 2022 में अपराध घटकर मात्र दो लाख 98 हजार 578 अपराध दर्ज किए गए। यानी वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में अपराधों में 1.80 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में जहां के मामलों में हत्या में 2.75 प्रतिशत की, हत्या के प्रयास में 3.19 प्रतिशत, डकैती में 20.24, लूट के मामलों में 5.41, गृह भेदन के मामलों में 2.46 और भारतीय दंड विधान के तहत आने वाले अन्य अपराधों में 1.42 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।

महिलाओं के प्रति अपराध वृद्धि दर घटकर एक तिहाई

उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों की वृद्धि दर वर्ष 2020-21 में जहां 19.63 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2021-22 में घटकर लगभग एक तिहाई मात्र 6.82 प्रतिशत ही रह गई। वर्ष 2022 के प्रथम छह माह में जहां 4160 दुष्कर्म के मामले सामने आए थे, वहीं 2023 में जनवरी से जून तक 17.07 प्रतिशत कमी के साथ 3450 मामले दर्ज किए गए हैं। इसी प्रकार पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत घटित अपराधों में 1.22 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। मप्र पुलिस द्वारा महिलाओं को समय पर सहायता उपलब्ध करवाने और उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से जहां सभी थानों में ऊर्जा महिला हेल्प डेस्क बनाई गई है, वहीं आशा, मुस्कान और अभिमन्यु जैसे विशेष अभियान भी संचालित किए जा रहे हैं।

अनुसूचित जाति के प्रति अपराध वृद्धि दर घटकर एक चौथाई रही

अनुसूचित जाति (एससी) के प्रति प्रदेश में हुए अपराधों की वृद्धि दर में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई। जहां 2019-20 में अनुसूचित जाति के प्रति अपराध वृद्धि दर 30 प्रतिशत थी, वहीं वर्ष 2021-22 में यह घटकर एक चौथाई मात्र 7.19 प्रतिशत रह गई। इसी प्रकार वर्ष 2022 के प्रथम छह माह से तुलना की जाए तो वर्ष 2023 में प्रथम छह माह में प्रदेश में अनुसूचित जाति (एससी) के विरुद्ध होने वाले अपराधों में 5.29 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2022 के प्रथम प्रथम छह माह में अनुसूचित जाति के विरुद्ध 2213 अपराध घटित हुए, जबकि 2023 के प्रथम प्रथम छह माह में 2096 अपराध घटित हुए हैं। मध्य प्रदेश में वर्ष 2022 में हॉट स्पॉट की संख्या 906 थी, जो वर्ष 2023 में 566 रह गई है। यानी इनमें 37 प्रतिशत की कमी आई है। इसी प्रकार हॉट स्पॉट क्षेत्रों में कुल घटित औसत मासिक अपराध वर्ष 2021 में 96 थे, जो वर्ष 2023 में घटकर 65 रह गए हैं। इनमें 31 प्रतिशत की कमी आई है।

अनुसूचित जनजाति के प्रति अपराध वृद्धि दर 24 से घटकर 13 प्रतिशत पर आई

अनुसूचित जनजाति (एसटी) के विरुद्ध हुए अपराधों की वृद्धि दर के पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो निरंतर अपराधों में कमी दर्ज की गई। जहां वर्ष 2019-20 में अनुसूचित जाति के प्रति हुए अपराधों की वृद्धि दर 24 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2021-22 में घटकर मात्र 13.40 प्रतिशत रह गई। इसी प्रकार वर्ष 2022 के प्रथम छह माह से तुलना की जाए तो 2023 में अनुसूचित जनजाति के प्रति होने वाले अपराधों में 14.99 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2022 में अनुसूचित जनजाति के विरुद्ध घटित अपराधों की संख्या जहां 1094 थी, जबकि इस वर्ष प्रथम छ: माह में इन अपराधों की संख्या 930 दर्ज की गई है।

मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के विरुद्ध घटित अपराध कुल 2979 रहे हैं। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति की कुल जनसंख्या (153 लाख) देश में सबसे अधिक है। मप्र में अनुसूचित जनजाति के विरुद्ध अपराध की दर देश में तीसरे नंबर पर है। यही दर केरल राज्य में 35.5 है तथा राजस्थान में 27.3 है जो कि मध्यप्रदेश में 19.4 है।

प्रतिबंधात्मक कार्यवाहियों में वृद्धि

वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में प्रतिबंधात्मक कार्यवाहियों में वृद्धि हुई है। जहां वर्ष 2021 में 9,07,990 प्रतिबंधात्मक कार्यवाहियां की गई थी, वहीं 2022 में पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए 9,37,284 प्रतिबंधात्मक कार्यवाहियां की।

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