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इस तरह रोका जा सकता है हेपेटाइटिस, सिफलिस एवं एचआईवी का संक्रमण, खबर पढ़कर लीजिये पूरी जानकारी

 

Getty Images/Maskot

– एम्स में हुआ हेपेटाइटिस, सिफलिस एवं एचआईवी पर प्रशिक्षण

भोपाल  (हि.स.)। राष्ट्रीय हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत बुधवार को कम्युनिटी हेल्थ ऑफीसर हेतु हेपेटाइटिस, सिफलिस एवं एचआईवी प्रशिक्षण एम्स चिकित्सालय में सम्पन्न हुआ। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय भोपाल द्वारा आयोजित इस प्रशिक्षण में गंभीर बीमारियों से बचाव, ट्रिपल टेस्टिंग और इलाज के संबंध में जानकारी दी गई। प्रशिक्षण एम्स के चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा प्रदान किया गया।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि हेपेटाईटिस बी, एच आई वी संक्रमित मां से, गर्भस्थ शिशु में संक्रमण पहुंचने की संभावना होती है। इसके लिए भोपाल जिले ने सर्वप्रथम ट्रिपल टेस्टिंग की शुरुआत की है, जिसके अंतर्गत गर्भवती महिलाओं में हेपेटाईटिस बी, एचआईवी, सिफलिस की जांच अनिवार्य रूप से की जा रही है। राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में 20 हजार से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। जिसमें 71 गर्भवती महिलाओं सहित कुल 226 लोग हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव पाए गए हैं। शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में हेपेटाइटिस एचआईवी एवं सिफलिस की जांच एवं उपचार निःशुल्क उपलब्ध करवाया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस बी से सुरक्षा के लिए शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में जन्म के समय बच्चों को निशुल्क टीका लगाया जाता है । हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव पाए जाने पर निशुल्क वायरल लोड टेस्टिंग की जाती है। मां के संक्रमित होने पर नवजात बच्चे को एच. बी. इम्यूनोग्लोबिन और पी.पी.टी. सी.टी. की सुविधा निशुल्क प्रदान की जा रही है। हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स को टीके की पहली डोज लगाई जा चुकी है। जिले के पांच एस.टी.आई. केंद्रों में सिफलिस की निशुल्क जांच सुविधा उपलब्ध है।

उन्हों ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य संस्थानों में पदस्थ कम्युनिटी हेल्थ ऑफीसर द्वारा जन समुदाय को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रशिक्षण में कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर को इन गंभीर बीमारियों के प्रारंभिक लक्षण, जांच एवं बचाव के साथ साथ उपचार एवं रिपोर्टिंग के संबंध में जानकारी दी गई।

प्रशिक्षण में एम्स के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अभिषेक सिंघई ने बताया कि हेपेटाईटिस एक वायरल संक्रमण है, जो लीवर को संक्रमित करता है। हेपेटाईटिस बी के मरीज़ों में वर्षों तक कोई लक्षण प्रगट नहीं होते हैं। इसलिए समय-समय पर चिकित्सकीय परामर्श अनुसार जांच करवाना बेहद आवश्यक है। हेपेटाईटिस बी होने पर शरीर में दर्द, पीलिया, पेट में पानी भर जाना, लीवर में दर्द होना, खून की उल्टियां होना, भूख ना लगना, पेट में सूजन आना जैसे लक्षण हो सकते हैं। माइक्रोलॉजी विभाग की एडिशनल प्रोफेसर डॉ. शाश्वती नेमा ने बताया कि एचआईवी संक्रमण,असुरक्षित यौन संबंध, असुरक्षित समलैंगिग संबंध, संक्रमित इंजेक्शन, संक्रमित ख़ून से होता है। एचआईवी के प्रसार को रोकने के लिए हाई रिस्क ग्रुप को लक्षित कर प्रयास जरूरी हैं। सीएफएम विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. संजीव कुमार ने सिफलिस के लक्षणों, जांच और उपचार के बारे में जानकारी दी।

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