-जन्मभूमि के दर्शन में आधा किलोमीटर की दूरी हुई कम
अयोध्या, 30 जुलाई (हि.स.)। जय श्रीराम के जयकारे के साथ रामजन्मभूमि पथ का शुभारम्भ कर दिया गया है। राम भक्तों को अपने आराध्य का दर्शन करने में आधा किलोमीटर की दूरी कम तय करनी होगी।पुराने दर्शन मार्ग में बदलाव करते हुए अब दर्शनार्थी नए मार्ग से रामलला का दर्शन के लिए परिसर में प्रवेश कर रहे हैं। यह मार्ग 566 मीटर लंबा है। यह मार्ग लगभग डेढ़ साल में 39 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार हुआ है।
रामलला का नया दर्शन मार्ग राम जन्मभूमि पथ बिरला धर्मशाला के सामने से सीधे रामलीला दरबार तक पहुंचने वाला सबसे नजदीक और सुविधाजनक मार्ग है। इस मार्ग पर निशुल्क पेयजल, लॉकर, विश्राम और चिकित्सा आदि की सुविधा उपलब्ध है। शुभारम्भ अवसर पर इस भव्य मार्ग को फूलों से सजाया गया है। इसके अलावा इस मार्ग पर पर्याप्त रोशनी की भी व्यवस्था की गई है। पिंक शेड्स स्टोन से यह मार्ग बेहद खूबसूरत बनाया गया है। इसकी चौड़ाई लगभग 100 फिट रखी गई है। यहां फ्री लाकर की भी सुविधा है।
अत्याधुनिक लाइट से युक्त होगा जन्मभूमि पथ
सरकार अयोध्या का संपूर्ण विकास करा रही है। लगभग 32 हजार करोड़ से अधिक की परियोजना एक साथ यहां चल रही है। अत्याधुनिक लाइट से युक्त जन्मभूमि पर एक साइड पत्थरों को लगाया जा रहा है। जन्मभूमि पथ को योगी सरकार ने अयोध्या के गरिमा के अनुरूप तैयार किया है। इस मार्ग पर पर्याप्त उजाला रहे, इसके लिए दो तरह की लाइटों को इंस्टाल किया जा रहा है। पथ के बीच में ऊंचे लैंप लगाए गए हैं। मार्ग पर सुन्दर डिजाइनर व आकर्षक पोल भी लगाए गए हैं। मार्ग पर यात्रियों की सुविधा के लिए स्टोन बेन्च, वाटर कियोस्क एवं प्रसाधन की व्यवस्था स्थापित की जा रही है। इस मार्ग पर विद्युत तार ऊपर नहीं दिखाई देंगे तथा भविष्य में मार्ग बार-बार खोदने की आवश्यकता भी नहीं होगी। यह मार्ग भविष्य में दर्शनार्थियों की भारी संख्या बढ़ने व सुविधाओं को विशेष ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।
इस अवसर पर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्र, अयोध्या राजा ट्रस्ट सदस्य विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, महापौर महंत गिरीश पति त्रिपाठी, पूर्व महापौर ऋषिकेश उपाध्याय, कमिश्नर गौरव दयाल, पदेन ट्रस्ट सदस्य जिलाधिकारी नीतीश कुमार, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राज करण नैयर आदि मौजूद रहे। रामलला के जयकारों के साथ रविवार को द्वितीय बेला में शुरू हुए जन्मभूमि पथ से ही प्रवेश और निकास भी होगा। वहीं राम जन्मभूमि जाने वाले पुराने मार्ग को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया है।