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अचानक गंगा में समा गया अंग्रेजों के जमाने का डबलस्टोरी पुल, अच्छा हुआ कि सेल्फी प्वाइंट नहीं बनाया, वरना…

– जर्जर पुल को यातायात के लिए बंद कर दिया गया था

– सेल्फी प्वाइंट-चटोरी गली बनाने की तैयारी चल रही थी

– योजना साकार होती तो तमाम जिंदगियों पर आफत आती

कानपुर। शुक्लागंज को कानपुर से जोड़ने वाला अंग्रेजों के जमाने का पुल मंगलवार की सुबह अचानक भरभराकर गंगा में समा गया। ऐतिहासिक पुल के संरक्षण की बातें तमाम हुईं, लेकिन जमीन पर काम नहीं हुआ। अच्छा ही हुआ कि, योजनाएं साकार नहीं हुईं, अन्यथा बोझ के कारण हादसा पहले संभावित था। ऐसी स्थिति में तमाम जिंदगियों पर आफत आना लाजिमी था। फिलहाल जर्जर होने के कारण दीवार लगाकर यातायात को बाधित कर दिया गया था, इस नाते कोई जनहानि नहीं हुई।

 

150 बरस थी पुल की उम्र, चार साल से वीरान

गोरी हुकूमत के दौर में कानपुर और उन्नाव जिले को जोड़ने वाला यह एकमात्र पुल था। पुल का निर्माण 1874 में हुआ था, इस समय अवध एंड रूहेलखंड लिमिटेड कंपनी ने पुल को बनाया था। उस समय रेजीडेंट इंजीनियर एस. बी. न्यूटन और असिस्टेंट इंजीनियर ई. वेडगार्ड की देखरेख में आठ सौ मीटर लंबा यह पुल तैयार हुआ था। पुल की आयु 100 वर्ष बताई गई थी, लेकिन यह 150 साल तक खड़ा रहा। इसके बाद पुल की कोठियों का दरकना शुरू हुआ था। पुल की खासियत इसके आधार में बनाई गई कोठियों के साथ-साथ डबलस्टोरी होना था। पुल के गिरने से कानपुर की एक ऐतिहासिक धरोहर जमींदोज हो गई। गौरतलब है कि, वर्ष 2021 में पुल की 2, 10, 17, 22 नंबर की कोठियों में दरार दिखने पर यातायात के लिए बंद कर दिया गया था। पुल की कानपुर और उन्नाव सरहद पर दीवार बनाकर पैदल यात्रियों का रास्ता भी रोक दिया गया था। फिलहाल कानपुर के मुहाने पर पुल को पिकनिक स्पॉट बनाने की योजना थी।

 

मरम्मत के लिए 29.50 करोड़ की दरकार थी

पुल की कोठियों के दरकने के बाद 5 अप्रैल 2021 को मध्यरात्रि में यातायात को पाबंद कर दिया गया। कोठियों में दरार खासतौर पर पुल की कानपुर तरफ की कोठियों – 2, 10, 17 और 22 नंबर की कोठियों में नजर आई थीं। पुल को फिर से चालू करने के लिए दिल्ली से वैज्ञानिकों की टीम ने जांच-पड़ताल के बाद मरम्मत के लिए 29 करोड़ 50 लाख रुपये की अनुमानित लागत बताई थी। स्थानीय प्रशासन ने इसे नजरअंदाज कर दिया, जिसके कारण पुल बंद रहा। नतीजे में मंगलवार सुबह के बीच, पुल का एक हिस्सा अचानक भरभराकर गंगा नदी में समा गया। यह हिस्सा जर्जर हो चुका था और पुल के बीचो-बीच स्थित पिलर के पास गिरा। हादसे के बाद जब कुछ लोग पुल पर पहुंचे, तो उन्होंने गिरते हुए पुल का वीडियो बनाया और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।

 

मरम्मत होती तो ऐतिहासिक धरोहर जिंदा होती

स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल की मरम्मत की दिशा में अगर समय रहते कदम उठाए गए होते, तो इस बड़े हादसे से बचा जा सकता था। अब, इस पुल के गिरने से न सिर्फ ऐतिहासिक धरोहर का नुकसान हुआ है, बल्कि इसके कारण सड़क यातायात के लिए भी नए इंतजाम करने की आवश्यकता होगी। कानपुर की ओर से पुल को पिकनिक स्पॉट बनाने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन यह हादसा उस योजना को भी सवालों के घेरे में डालता है।

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