ब्रिसबेन (ईएमएस)। स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने गाबा टेस्ट के बाद अचानक संन्यास का ऐलान किया, तब हर कोई हैरान रह गया। आमतौर पर परंपरा है कि कोई खिलाड़ी मैच का हिस्सा बनने के बाद उसके समापन पर संन्यास की घोषणा करता है या फिर सीरीज के अंत में ऐलान करता है। अश्विन गाबा टेस्ट का हिस्सा भी नहीं थे। फिर उन्होंने संन्यास का ऐलान क्यों किया। खैर इसका जवाब खुद अश्विन या फिर कप्तान रोहित शर्मा व कोच गौतम गंभीर ही दे सकते हैं। बीते 15 दिनों में जो कुछ घटनाक्रम हुए हैं, वे इस आरे इशारा कर रहे हैं कि टीम इंडिया में सबकुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। गाबा टेस्ट मैच खत्म होने के बाद रोहित शर्मा जब प्रेसवार्ता के लिए आए, तब रविचंद्रन अश्विन को लेकर भी सवाल पूछे गए।
इसपर रोहित ने कहा कि अश्विन एडिलेड में खेले गए पिंक बॉल टेस्ट से पहले ही संन्यास लेना चाहते थे। पर्थ मुकाबले के दौरान उन्होंने संन्यास की इच्छा जाहिर की। मैंने अश्विन से कहा था कि ये मैच खेल लो। इसके बाद अश्विन भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज के दूसरे मैच में खेलते हुए दिखाई दिए। हालांकि तीसरे मैच में अश्विन को फिर ड्रॉप कर दिया गया। अश्विन इस टूर पर अबतक खेले गए तीन मैचों में से केवल दूसरे मुकाबले में मैदान में उतर सके। अब सवाल यह है कि क्या अश्विन यह उम्मीद कर रहे थे कि उन्हें आगे भी टूर्नामेंट में मौका दिया जाएगा, जिसके कारण उन्होंने पिंक बॉल टेस्ट के बाद भी संन्यास नहीं लिया।
जब गाबा में उन्हें मौका नहीं दिया गया तब उन्होंने संन्यास का ऐलान कर दिया। रोहित की बात से यह समझ में आता है कि पर्थ टेस्ट में ना चुने जाने उनके स्थान में महज 7 टेस्ट मैचों के करियर वाले वाशिंगटन सुंदर को तरजीह देने से वे नाराज थे। इसकारण वे पहले ही संन्यास लेना चाहते थे। अश्विन द्वारा पर्थ टेस्ट से पहले ही रोहित को संन्यास की बात कहने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि अगर ऐसा होता तब फिर वे ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज खेलने आते ही क्यों। इसके बाद यह भी सवाल उठता है कि क्या एक ही ड्रेसिंग रूम शेयर करने के बावजूद अश्विन और रोहित की आपस में बातचीत नहीं होती। मतलब साफ है कि कप्तान और रविचंद्र अश्विन के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।