यूपी में मौसम वैज्ञानिकों के अनुमान फेल हो रहे हैं। मंगलवार की सुबह पश्चिमी यूपी में मौसम अचानक बदल गया। मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर में तेज बारिश हुई है। सहारनपुर में महज 3 मिनट बारिश हुई, लेकिन गर्मी और उमस से काफी राहत मिली है। मौसम विभाग ने गाजियाबाद, इंदिरापुरम, छपरौला, गौतमबुद्धनगर में नोएडा, दादरी, ग्रेटर नोएडा और आसपास के क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना जताई है।
इसके अलावा नजीबाबाद, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, खतौली, सकोटी टांडा, हस्तिनापुर, चांदपुर, बड़ौत, दौराला, बागपत, मेरठ, किठोर, गढ़मुक्तेश्वर, मोदीनगर, खेकरा, मोदीनगर, रामपुर, हापुड़ में भी बारिश का अलर्ट है।
मेरठ में बारिश के बाद सड़कों पर भरा पानी
भारतीय कृषि अनुसंधान प्रणाली मोदीपुरम मेरठ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ एम शमीम ने बताया कि अगले 24 घंटे में मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, बिजनौर, बागपत में हल्की से मध्यम दर्जे की बारिश की संभावना है।
नोएडा में बारिश से लोगों को मिली राहत
गाजियाबाद में भी तेज बारिश
सहारनपुर में तीन मिनट की बूंदाबांदी
वाराणसी में तेज धूप निकली
वाराणसी का अधिकतम तापमान सामान्य से 3 डिग्री सेल्सियस ज्यादा 37.5 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 3 डिग्री सेल्सियस ज्यादा 29 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। 15 जुलाई को बारिश का अनुमान लगाया गया है।
अयोध्या में सामान्य से चार डिग्री सेल्सियस अधिक है तापमान
झांसी में सोमवार रात को झमाझम बरसात
48 जिलों में महज 40 प्रतिशत बारिश
मौसम में बदलाव का असर खरीफ सीजन की फसल पर भी पड़ रहा है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने अपील की है कि किसान अपनी फसल का बीमा जरूर कराएं। कृषि सांख्यिकी और निदेशक फसल बीमा के मुताबिक, 11 जुलाई तक प्रदेश में सामान्य 115 मिमी बारिश के अनुमान की तुलना में महज 35.8% बारिश ही हुई है।
48 जिलों में छिटपुट बारिश यानी सामान्य से 40 प्रतिशत कम और 20 जिलों में कम यानी सामान्य से 40 से 60 प्रतिशत के बीच बारिश हुई है। इसके चलते खरीफ सीजन में बुआई भी करीब छह हेक्टेयर कम हुई है।
चंद्रशेखर आजाद यूनिवर्सिटी के मौसम विज्ञानी डॉ. सुनील एस पांडेय ने बताया कि अगले एक हफ्ते तक मानसून में तेजी की संभावना नहीं दिख रही है। लो प्रेशर एरिया बनने का कोई चिह्नित सिस्टम भी नहीं दिख रहा। ऐसे में मानसून यह संकेत दे रहा कि इस बार राज्य में सूखे का संकट मंडरा रहा है।
उन्होंने कहा कि जुलाई में पूर्वी उत्तर प्रदेश के अधिकतर जिलों में सामान्य से ऊपर अधिकतम पारा बना हुआ है।
डॉ. पांडेय ने बारिश की भारी कमी के कारणों का विश्लेषण कर बताया कि मानसून की दो शाखाएं भारतीय भू-भाग में आती हैं। एक शाखा अरब सागर की ओर से महाराष्ट्र और देश के अन्य हिस्सों में बारिश कराती है। दूसरी शाखा बंगाल की खाड़ी की ओर से झारखंड के छोटा नागपुर होते हुए बिहार और उत्तर प्रदेश की ओर जाती है।
झारखंड, बिहार और यूपी के अधिकतर भाग में मानसून की बारिश के लिए यही शाखा जिम्मेदार है। इस बार बंगाल की खाड़ी की शाखा शुरू से ही काफी कमजोर रही है। यही वजह है कि सूबे में बारिश की इतनी किल्लत है।
इस मौसम में बारिश मानसून की ट्रफ रेखा के आस-पास होती है। मगर, अब भी मानसून की ट्रफ रेखा अपने वास्तविक स्थान से दूर है और यह ओडिशा और मध्यप्रदेश की ओर बनी हुई है। इसलिए वहां काफी बारिश हो रही है।
जिलों में फिर बढ़ा पारा
जिला | तापमान डिग्री सेल्सियस में |
कानपुर | 39.8 |
लखनऊ | 38.8 |
प्रयागराज | 39.5 |
वाराणसी | 37.6 |
आगरा | 38.2 |
अलीगढ़ | 38.4 |
बांदा | 40.6 |
बरेली | 38.1 |
गोरखपुर | 36.2 |
झांसी | 37.4 |
मेरठ | 37.4 |