
आज ऐसे होगी मतगणना
दरअसल, चुनाव आयोग (Election Commisson) 10 मार्च को पांच राज्यों के जनादेश के लिए मतगणना कराएगा. हर जिले के तहत आने वाली विधानसभा सीटों में वोटों काउंटिंग एक ही जगह पर होती है. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से वोटिंग के बाद मतगणना में बैलेट पेपर से कम वक्त लगता है. मगर वीवीपैट वेरिफिकेशन के कारण आधिकारिक परिणाम जारी होने में समय लगता है. बिहार विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर नतीजा देर रात तक आया था. काउंटिंग के दिन हर किसी के मन में सवाल उठता है कि आखिर ईवीएम से वोटों की गिनती कैसे होती है? ईवीएम को कैसे और कहां सुरक्षित रखा जाता है? वीवीपैट स्लिप से कैसे मिलान होता है? मतगणना के बाद ईवीएम को कैसे खाली किया जाता है. मतगणना के दौरान क्या सभी दलों के एजेंट और कितने निर्वाचन कर्मी होते हैं?
रिटर्निंग अफसर की अहम भूमिका
राज्य के सभी विधानसभा सीटों में चुनाव का दायित्व रिटर्निंग अफसर (Retuning Officer) के पास होता है. RO सरकार या किसी लोकल अथॉरिटी के वे ऑफिसर होते हैं जिन्हें चुनाव आयोग यह जिम्मेदारी सौंपता है. मतदान से लेकर काउंटिंग और नतीजे का ऐलान होने तक वो पूरी जिम्मेदारी संभालता है. वोटिंग पूरी होने के बाद सभी सीलबंद ईवीएम को मतगणना केंद्र के स्ट्रांग रूम तक पहुंचाया जाता है. यूपी में सात चरणों में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं, जिसका आखिरी दौर 7 मार्च को था. मणिपुर में दो चरण, पंजाब, गोवा और उत्तराखंड में एक ही दौर में मतदान हुआ था. काउंटिंग से पहले तक ईवीएम स्ट्रांग रूम में रहती हैं.स्ट्रांग रूम को भी सभी दलों के प्रतिनिधियों औऱ अन्य सभी संबंधित अधिकारियों की मौजूदगी में सीलबंद किया जाता है. यहां पुलिस बल के साथ अर्धसैनिक बल सुरक्षा में तैनात रहते हैं.
काउंटिंग सेंटर की चाकचौबंद सुरक्षा
चुनाव आयोग के अनुसार, काउंटिंग सेंटर के 100 मीटर में बैरिकेडिंग कर पैदल जोन होता है.
काउंटिंग सेंटर पर त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरा रहता है. पहला घेरा फुट जोन की सीमा पर, दूसरा परिसर के गेट पर और तीसरा काउंटिंग हाल के द्वार पर. मतगणना केंद्र की सुरक्षा में राज्य पुलिस बल और केंद्रीय बल (CRPF, CISF, ITBP) के जवान रहते हैं.स्ट्रांग रूम से ईवीएम को काउंटिंग हाल तक के रास्ते में पारदर्शी बैरिकेडिंग होती है. ताकि कोई भी किसी तरह की गड़बड़ी न करने पाए.
Counting Hall में वोटों की गिनती
मतगणना केंद्र के काउंटिंग हॉल में अलग-अलग जगह वोटों की गिनती होती है. एक काउंटिंग हॉल एक विधानसभा क्षेत्र की मतगणना होती है. इसमें अधिकतम 14 काउंटिंग टेबल होती हैं. काउंटिंग हॉल के भीतर चुनाव आयोग के पर्यवेक्षक को छोड़कर अन्य किसी को मोबाइल फोन, लैपटॉप या अन्य इलेक्ट्रानिक गैजेट ले जाने की पाबंदी होती है.
काउंटिंग हॉल में कौन उपस्थित रहेगा
हॉल में काउंटिंग सुपरवाइजर, काउंटिंग सहायक और माइक्रो ऑब्जर्वर की ड्यूटी लगाई जाती है. चुनाव ड्यूटी पर लगे सरकारी कर्मी (पुलिस और उससे जुड़े अधिकारी इसमें शामिल नहीं किए जाते हैं)इसके अलावा संबंधित विधानसभा सीट के प्रत्याशी,चुनाव एजेंट, काउंटिंग एजेंट भी वहां होते हैं.
माइक्रो आब्जर्वर की तैनाती
मतगणना के लिए रिटर्निंग अफसर स्टाफ की नियुक्ति करते हैं. कुछ स्टाफ रिजर्व भी होता है. हर टेबल पर एक काउंटिंग सुपरवाइजर रहता है जो चुनाव आयोग के अनुसार राजपत्रित अधिकारी होता है. टेबल पर एक काउंटिंग सहायक और एक माइक्रो ऑब्जर्वर भी होता है जो सरकारी कर्मचारी होता है. माइक्रो ऑब्जर्वर का काम मतगणना प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता का ध्यान रखना होता है.
काउंटिंग के अहम दिन क्या-क्या जिम्मेदारी
10 मार्च 2022 की सुबह 5 बजे काउंटिंग सुपरवाइजर्स और सहायक को जिम्मेदारी दी जाती है. तय समय पर रिटर्निंग अफसर, उम्मीदवार/इलेक्शन एजेंट और EC ऑब्जर्वर की उपस्थिति में स्ट्रांग रूम खोला जाता है. लॉग बुक में एंट्री के बाद ताले की सील चेक कर तोड़ी जाती है. इस प्रासेस की वीडियोग्राफी भी होती है.
8 बजे मतगणना शुरू
ईवीएम को काउंटिंग हॉल में टेबल तक लाया जाता है. रिटर्निंग अफसर की निगरानी में सुबह 8 बजे मतगणना शुरू होती है. सबसे पहले रिटर्निंग अफसर की टेबल पर ई पोस्टल बैलट पेपर (ETPB) और पोस्टल बैलट (Postal Ballot) की गिनती होती है. ईवीएम के वोटों की गिनती 30 मिनट बाद शुरू हो सकती है, अगर तब तक पोस्टल बैलट की गिनती पूरी नहीं हुई है तो भी.हर राउंड की मतगणना में ईवीएम में पड़े वोट गिने जाते हैं. उस राउंड की सभी ईवीएम की गिनती के बाद ऑब्जर्वर कोई भी दो रैंडम ईवीएम की अलग से काउंटिंग कराते हैं फिर परिणाम की टेबल बनती है.
वीवीपैट वैरीफिकेशन
हर राउंड के नतीजों पर सुपरवाइजर, काउंटिंग एजेंट या कैंडिडेट के साइन होते हैं. फिर रिटर्निंग अफसर हस्ताक्षर करता है. फिर सार्वजनिक किया जाता है कि किस सीट पर कौन कितने वोट से आगे चल रहा है. फिर इसी तरह अगले राउंड के लिए स्ट्रांग रूम से ईवीएम काउंटिंग हॉल में लाकर गणना कराई जाती है. इस पूरी प्रक्रिया सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में होती है. फिर वीवीपैट वेरिफिकेशन की अनिवार्य प्रक्रिया पूरी की जाती है.
वीवीपैट क्या है?
बूथ पर वोट डालने के दौरान जब मतदाना ईवीएम में कोई बटन दबाता है तो उसके साथ जुड़ी वीवीपैट मशीन से पर्ची निकलती है. पर्ची पर जिसे वोट दिया गया है, उस प्रत्याशी का नाम और चुनाव चिन्ह होता है. इससे वोटर को पुष्ट हो जाता है कि उसका वोट सही जगह गया है. वोटर को वीवीपैट पर 7 सेकेंड के लिए पर्ची दिखती है, उसके बाद वो पर्ची वीवीपैट मशीन के ड्रॉप बॉक्स में चली जाती है और बीप सुनाई देती है.
वीवीपैट पर्चियों का मिलान
हर विधानसभा क्षेत्र के किन्हीं पांच पोलिंग स्टेशन की VVPAT पर्चियों का मिलान वहां की ईवीएम के नतीजों से किया जाता है. वीवीपैट वेरिफिकेशन अनिवार्य है. इसके बिना चुनाव अधिकारी आधिकारिक परिणाम जारी नहीं कर सकता.अगर ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों के आंकड़ों में अंतर होता है तो पर्चियां फिर से गिनी जाती हैं. फिर चुनाव निशानों की पर्चियां देखी जाएंगी. फिर भी अगर आंकड़े नहीं मिलते तो इन पर्चियों की गिनती ही अंतिम मानी जाती है.
परिणाम के बाद ईवीएम कैसे खाली होती हैं?
मतगणना पूरी होने के बाद रिटर्निंग अफसर विजयी उम्मीदवार को जीत का सर्टिफिकेट देते हैं. किसी प्रत्याशी को नतीजों पर संदेह है तो वह फिर से मतगणना की मांग कर सकता है. लेकिन यह चुनाव आयोग देखता है कि इसे स्वीकार किया जाए या नहीं.नतीजों की घोषणा होने के बाद ईवीएम को स्ट्रॉन्ग रूम में रखी जाता है. तब भी निर्वाचन अधिकारियो, उम्मीदवार या उनके एजेंट के साइन होते हैं. चुनाव नतीजों के ऐलान के 45 दिन तक ईवीएम उसी स्ट्रांग रूम में रहती हैं. फिर चुनाव आय़ोग द्वारा तय तय जगह पर उन्हें भेजा जाता है. ईवीएम का कहीं अन्य इस्तेमाल करने के पहले और मतदान शुरू होने के वक्त भी यह दिखाया जाता है कि उसमें पहले से कोई वोट नहीं पड़ा है.