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Raksha Bandhan 2022 Date: रक्षा बंधन कब मनाएं, 11 या 12 अगस्त को, क्‍या है शुभ तिथि

लखनऊ, । इस साल रक्षाबंधन को लेकर पंडितों में मतभेद हैै। किसी के अनुसार 11 अगस्त को रक्षा बंधन करना शुभ होगा तो किसी के मत से 12 अगस्त को त्योहार मनाना श्रेष्ठ होगा। कारण इस बार 11 तारीख को भद्रा लग रही है और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भद्रा में कोई भी शुभ काम नहीें होता है।

उ.प.्र संस्कृत संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं. महेंद्र कुमार पाठक के अनुसार 12 अगस्त को रक्षाबंधन करना शुभ होगा। कारण 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट से भद्रा लग रही है, जो रात 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगी। उन्होंने बताया कि भ्रदा में कोई भी शुभ कार्य करना शुभ नहीं होता है। इसके अलावा 11 को सूर्योदय के समय चतुर्दशी रहेगी। ज्योतिष शास्त्र मंे जो तिथि सूर्योदय के समय होती है, वहीं तिथि पूरे दिन मानी जाती है। 11 अगस्त को पूर्णिमा सुबह 9 बजे के बाद लग रही है जो दूसरे दिन 12 अगस्त को सूर्योदय के समय तक रहेगी।

निशातगंज के बजरंग पंडित भी काशी के महावीर पंचांग के अनुसार बताते हैं कि 11 अगस्त को सूर्योदय के समय चतुर्दशी रहेगी और उसी दिन सुबह 10:30 बजे के लगभग भद्रा लग जाएगी तो रात लगभग 9 बजे तक रहेगी। उन्होंने बताया कि भद्रा में त्योहार मनाना शुभ नहीं होता है। दूसरे दिन पूर्णिमा सूर्योदय तक रहेगी। इस लिए 12 को ही रक्षाबंधन करें।

चिंता हरण जंत्री में भी रक्षाबंधन 12 को मनाना बताया गया है। पंचाग में बताया गया कि 11 अगस्त को सुबह 10:38 मिनट से लेकर रात को 8 बजकर 51 मिनट तक भद्रा रहेगी।

वहीं कर्मकाण्डी पंडित एवं ज्योतिषाचार्य पं. अनिल कुमार पाण्डेय श्रीहृषीकेश पंचाग देखकर बतातेे हैं कि बताते हैं कि 11 अगस्त को सुबह 9 बजकर 35 मिनट से पूर्णिमा लग जाएगी, इसलिए उसके बाद रक्षाबंधन मना सकते है। पंडित जी बताते हैं 11 तारीख को भद्रा का वास पाताल लोक में है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भद्रा का वास पाताल लोेक में हो तो, पृथ्वी पर शुभ कार्य हो सकते है। इसकी मनाही नहीं है। पंडित अनिल पाण्डेय श्रीहृषीकेष पंचाग के अनुसार बताते हैं कि जब चंद्रमा कन्या ,तुला, धनु, , राशि में हो तो भद्रा का वास पाताल लोक में होता है।

पं. अनिल कुमार पाण्डेय बताते हैं कि ज्योतिष शास़्त्र में भद्रा एक करण है। जिस तरह से पंचाग में तिथि होती है उसी प्रकार से तिथि के आधे भाग को करण कहते है। एक करण विष्टी नाम से होता है, इसी करण को भद्रा कहते है। ज्योतिष में इस करण में सभी शुभ कार्य वर्जित होते हैं।

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