चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। देश के 16वें राष्ट्रपति के लिए 18 जुलाई को चुनाव होगा। चुनाव की अधिसूचना 15 जून को जारी होगी। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 29 जून रखी गई है। वोटों की गिनती 21 जुलाई को होगी। इसका मतलब यह है कि अगले महीने 21 जुलाई को देश को अगले राष्ट्रपति मिलेंगे। बताते चले कि वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है।
राष्ट्रपति चुनाव के तारीखों की घोषणा के साथ ही यह चर्चा शुरू हो गई है कि देश के अगले राष्ट्रपति कौन होंगे? who will the next President of india राजनीति के जानकार अपने-अपने अनुभव के आधार पर कयास लगा रहे हैं। अगले राष्ट्रपति को लेकर अटकलों की ऊंची उड़ान शुरू हो गई है। कई लोग अलग-अलग नामों पर चर्चा कर रहे हैं। सभी के नाम के पीछे सबके अपने-अपने तर्क है। इस बीच कई लोग यह भी कहते दिख रहे हैं कि पीएम मोदी राष्ट्रपति को लेकर एक बार फिर सरप्राइज दे सकते हैं।
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— Election Commission of India #SVEEP (@ECISVEEP) June 9, 2022
एक नजर में जानिए किन नामों की चर्चा-
फिलहाल देश की राजनीतिक फिजा में राष्ट्रपति पद को लेकर जिन नामों की चर्चा सबसे अधिक है उसमें मौजूदा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, कर्नाटक के राज्यपाल और मध्यप्रदेश के दलित नेता थावरचंद गहलोत, तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन शामिल हैं। इनके अलावा छतीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके, झारखंड की राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू के नामों की भी चर्चा है।
दक्षिण भारतीय के पास जा सकता है कि राष्ट्रपति पद-
सियासत के जानकार इन सभी नामों के पीछे अपना-अपना तर्क दे रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि दक्षिण भारत में भाजपा की पकड़ को मजबूत करने के लिए इस बार राष्ट्रपति का पद दक्षिण भारतीयों के पास जा सकता है। इस दावों के तहत मौजूदा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन का दावा ज्यादा मजबूत लग रहा है।
मुस्लिम और आदिवासी समाज पर भी लोग दे रहे जोर-
दूसरी ओर कुछ लोग मुस्लिम और आदिवासी समाज पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा किसी मुस्लिम या आदिवासी को देश के सर्वोच्च पद पर आसीन कर इन दोनों समाजों को अपने पाले में करने की कोशिश करेगी। इस दावे के तहत केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, झारखंड की राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू और छतीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके का नाम शामिल हो रहा है।
आरएसएस बैकग्राउंड से हो सकते हैं अगले राष्ट्रपति-
तीसरी ओर कुछ लोगों का दावा है कि मोदी सरकार आरएसएस ब्रैकग्राउंड के किसी पुराने और कद्दावर नेता को राष्ट्रपित की कुर्सी पर ला सकते हैं। इस दावे के तहत मध्यप्रदेश के दलित नेता और कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत और यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के नामों की चर्चा है। दोनों भाजपा में लंबे समय से है। पीएम मोदी के साथ-साथ आरएसएस से भी इनकी निकटता है।
कुछ लोग नीतीश के नाम भी कर रहे चर्चा-
कुछ लोग बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम की चर्चा भी कर रहे हैं। हालांकि नीतीश कुमार ने बीते दिनों ऐसी किसी संभावना से इंकार किया था। मगर जानकारों का कहना है कि नीतीश को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने की कोशिश एंटी बीजेपी वाले विपक्षी दल भी कर रहे हैं। इस कोशिश में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर लगातार गैर भाजपाई नेताओं से मिल रहे हैं।
फिर से सरप्राइज दे सकते हैं प्रधानमंत्री मोदी-
हालांकि कई लोगों का यह भी मानना है कि पीएम मोदी फिर से किसी ऐसे नेता को राष्ट्रपति पद पर लाएंगे जिनके नाम की चर्चा दूर-दूर तक नहीं हो। पिछली बार भी मोदी ने ऐसा ही किया था। आम तौर पर सभी उच्च पदों पर नियुक्ति के समय पीएम मोदी का रुख कुछ ऐसा ही होता है। बात चुनावी रणनीति और वोटों की करें तो भाजपा के पास राष्ट्रपति पद पर जीत हासिल करने के लिए पर्याप्त संख्या बल है।