लोकसभा 2024 का चुनाव सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव कन्नौज से लड़ेंगे। इसकी पुष्टि भी स्थानीय पदाधिकारियों ने कर दी है। कन्नौज में समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव की तैयारियां भी शुरू कर दी है। यह खबर इसलिए भी अहम है क्योंकि 2022 का विधानसभा चुनाव सपा नहीं जीत पाई थी। विधानसभा चुनाव में वह मैनपुरी के करहल से जीत कर सदन भी पहुंचे थे। जिसके बाद अखिलेश यादव ने आजमगढ़ सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था। यूपी में वह नेता प्रतिपक्ष बन गए थे। अब एक बार फिर वह लोकसभा जाने की तैयारी में हैं।
जिलाध्यक्ष ने की है पुष्टि
इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी कन्नौज के जिलाध्यक्ष कलीम खां ने एक न्यूज़ चैनल से बात करते हुए कहा है कि अखिलेश यादव ही कन्नौज सीट से चुनाव लड़ेंगे। उनसे पूछा गया कि इस बार कन्नौज से कौन चुनाव लड़ेगा तो वह बोले कि हर बार हम ही चुनाव लड़ते हैं। इस बार भी हम ही चुनाव लड़ेंगे। बात खत्म होने से पहले वह बोले कि अखिलेश भैया ही चुनाव लड़ेंगे।
रूठों को मनाने की कवायद कन्नौज में शुरू
कन्नौज लोकसभा सीट से अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने की संभावनाओं के कारण पार्टी नेताओं ने गलतियों को सुधारने और रूठों को मनाने की कवायद शुरू कर दी है। पिछले कुछ समय से सपा मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कन्नौज में स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ काफी वक्त बिताया है। समाजवादी पार्टी के कार्यालय में कार्यकर्ताओं से अलग-अलग मिलकर उन्होंने नब्ज भी टटोली है।
हर महीने कन्नौज पहुंच रहे अखिलेश
2022 विधानसभा चुनाव के बाद से अखिलेश यादव ने कन्नौज जिले में राजनीतिक गतिविधियां तेज कर दी हैं। जुलाई महीने की 25 और 26 तारीख को लगातार दो दिन वह कन्नौज पहुंच कर कार्यकर्ताओं से मिले और उनके साथ काफी वक्त भी गुजारा। समाजवादी पार्टी के जिला कार्यालय में उन्होंने 4 से पांच घण्टे कार्यकर्ताओं के साथ भी गुजारे।
कन्नौज जिले का झौवा गांव में अखिलेश यादव ने बीते अगस्त में तिरंगा यात्रा निकाली और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को सम्मानित किया। 29 अगस्त को भी वह अचानक से कन्नौज जिले के उमर्दा ब्लाक स्थित मिल्क काऊ प्लांट पहुंच गए। इसके बाद उन्होंने तिर्वा में सपा कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और उनके हालचाल लिए।
जिले में कई खेमों में बंटी है पार्टी
जिले में समाजवादी पार्टी कई खेमों में बंटी हुई है। जिसको एकजुट करने की जिम्मेदारी पार्टी के सीनियर नेताओं को देने पर विचार चल रहा है। माना जा रहा है कि इससे पिछले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी व सपा सुप्रीमों की पत्नी डिम्पल यादव को मिली हार की खाई को पाटा जा सके।
12 हजार वोटों से डिंपल को मिली थी हार
वर्ष 2019 लोकसभा चुनवा में भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक ने सपा प्रत्याशी व अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को 12 हजार 086 वोटों से चुनाव हरा दिया था। हालांकि इससे पहले वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा की प्रत्याशी डिंपल यादव ने भाजपा के सुब्रत पाठक को हराया था। कांटे के मुकाबले में डिम्पल यादव को 19,907 वोटों से जीत मिली थी।
इस तरह एक बार फिर कन्नौज लोकसभा सीट बड़े मुकाबले के लिए तैयार हो रही है। माना जा रहा है कि भाजपा फिर से सुब्रत पाठक को अपना प्रत्याशी बनाएगी। ऐसे में ऊंट किस करवट बैठेगा, ये देखने वाली बात होगी।
1998 में पहली बार सपा जीती थी कन्नौज से लोकसभा चुनाव
वर्ष 1996 में कन्नौज लोकसभा सीट भाजपा के खाते में थी। जिसको भाजपा के चंद्रभूषण सिंह ने जीता था लेकिन 1998 में समाजवादी पार्टी के प्रदीप यादव ने चुनाव जीत कर इस सीट पर कब्जा कर लिया। वर्ष 1999 में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने यहां से चुनाव लड़ा और बसपा के अकबर अहमद डम्पी को हराकर सीट पर जीत हासिल कर सपा का भरोसा इस सीट पर स्थापित कर दिया। उनके इस्तीफा देने के बाद वर्ष 2000 के उपचुनाव में उनके बेटे अखिलेश यादव ने जीत हासिल की।
अखिलेश पहली बार यहां से सांसद निर्वाचित हुए थे। इसके बाद वर्ष 2004 और 2009 के चुनाव में लगातार जीत कर उन्होंने पहली बार हैट्रिक लगाकर इतिहास रच दिया था। वर्ष 2012 के उप चुनाव में उनकी पत्नी डिंपल यादव कन्नौज से निर्विरोध चुनकर लोकसभा पहुंची। 2014 के चुनाव में डिम्पल यादव ने जीत हासिल की थी।