– सोशलिस्ट पार्टी ने तोड़ी थी रामपुरखास में कांग्रेस के विजय की कड़ी
– तीन बार चुने गए थे कुंवर तेजभान सिह विधायक, 18 बार जीती है कांग्रेस
कुंवर तेजभान सिंह (फाइल फोटो) व प्रमोद तिवारी
लालगंज, प्रतापगढ़। आजादी के बाद से रामपुर खास में कांग्रेस दल के विजय की कड़ी को सोशलिस्ट पार्टी ने तोड़ी थी। वहीं बीजेपी प्रत्याशी मैदान में उतारती रही, लेकिन कोई सफलता नहीं मिल सकी। अब तक 18 बार हुए। विधान सभा चुनाव में 15 बार काग्रेस की ही जीत हुई है। जब कि दो बार सोशलिस्ट पार्टी से व एक बार निर्दल लड़कर कुंवर तेजभान सिंह ने तीन बार जीत हासिल की थी।
जिले की विधान सभा सीट रामपुर खास आजादी से अब तक कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। 1952-2017 तक 18 बार विधान सभा के हुए चुनाव में कांग्रेस ने 15 बार जीत हासिल की। वहीं कांग्रेस के विजय रथ को अगई में जन्में स्थानीय नेता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कुंवर तेजभान सिहं ने रोका था। कुंवर साहब एक साधारण परिवार के थे। उनका जीवन एक सन्यासी की भाँति बीता। वह कभी घर पर नहीं रहते थे। घर से दूर बाग में कुटिया बनाकर संयासी की भाँति गेरूआ वस्त्र में रहकर लोगो की सेवा की थी। कुंवर साहब पैदल गाँव-गाँव घूमकर कार्याकर्ताओं के साथ प्रचार करते थे।
चुनाव में जो जल-पान में खर्च आता था वह चन्दे से इकट्ठा होता था। कुंवर साहब तो अपनी पेंशन भी गरीबों में बाँट दिया करते थे। उन्होने विवाह भी नही किया था। अपना पूरा जीवन जनता की सेवा में समर्पित कर दिया था। कुंवर साहब ने सोशलिस्ट पार्टी से 1962 में काग्रेस प्रत्याशी राजाराम किसान को पराजित किया था। दूसरा चुनाव 1970 में अमोला देवी को को हराया था व 1977 में कुंवर साहब ने सोशलिस्ट पार्टी को छोड़ दिया था। वह निर्दल ही चुनाव लड़े और जनता पार्टी के प्रत्यासी राजाराम किसान को पराजित किया था। उसके बाद कुंवर साहब ने राजनीति के बिगड़ते परिवेश को देखकर अलविदा कह दिया था। उसके बाद 1980-2012 तक के चुनाव में काग्रेस के प्रमोद तिवारी नौ बार कांग्रेस का झण्डा फहराया। 2014 व 2017 में हुए चुनाव में उनकी बेटी आराधना मिश्रा ने जीत अपने दर्ज कर कांग्रेस की लगातार जीत को बरकारार रखा।
क्या मोना की लगेगी जीत की हैट्रिक?
आराधना मिश्र मोना
लालगंज, प्रतापगढ़। क्या मोना मिश्रा जीत की हैट्रिक लगा पायेगी, एक तरफ मोना जीत को कायम रखने के लिए मेहनत कर रही है तो दूसरी तरफ दो बार से दूसरे स्थान पर चुनौती दे रहे नागेश सिंह छोटे सरकार भी इस बार पुनः बीजेपी से मैदान डटे हुए है।दो बार मिली हार में हुई चूक को इस बार दोहराना नही चाह रहे है।