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ज्ञानवापी मस्जिद केस : जहां शिवलिंग मिला, उस क्षेत्र को सील किया जाए, कोर्ट का आदेश

– वादी पक्ष के पैरोकार का दावा, मस्जिद की दीवारों पर मिले स्वस्तिक के निशान

– दीवारों पर उकेरे गए कलश और घण्टे और खण्डित प्रतिमाओं के टुकड़े मिले

वाराणसी । ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में न्यायालय के आदेश पर तीसरे और अन्तिम दिन सोमवार को ज्ञानवापी मस्जिद में कमीशन (सर्वे) की कार्यवाही का दौरान शिवलिंग और अन्य साक्ष्य मिला।

यह देख वादी पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने तुरंत वाराणसी कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया। न्यायालय में प्रार्थनापत्र के जरिये बताया गया कि सर्वे में मस्जिद परिसर में शिवलिंग मिला है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण साक्ष्य हैं। सीआरपीएफ कमांडेंट को उस जगह को सील करने का आदेश देने की मांग की गई। इस पर सीनियर डिवीजन के न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने तुरंत जिलाधिकारी को उस जगह को सील करने का आदेश दिया है।

अदालत ने आदेश दिया है ‘जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी को आदेशित किया जाता है कि जिस स्थान पर शिवलिंग प्राप्त हुआ है उस स्थान को तत्काल प्रभाव से सील कर दें। सील किए गए स्थान पर किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित किया जाता है। जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी पुलिस कमिश्नर पुलिस कमिश्नरेट वाराणसी तथा सीआरपीएफ कमांडेंट वाराणसी को आदेशित किया जाता है कि इस स्थान को सील किया जाए। उस स्थान को संरक्षित व सुरक्षित रखने की पूर्णता व्यक्तिगत जिम्मेदारी उपरोक्त समस्त अधिकारियों की व्यक्तिगत रूप से मानी जाएगी। उपरोक्त आदेश को सील करने के बाबत निरीक्षण प्रशासन द्वारा क्या-क्या किया गया है। इसके सुपर विजन की जिम्मेदारी पुलिस महानिदेशक पुलिस मुख्यालय उत्तर प्रदेश लखनऊ तथा मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ की होगी। वाद लिपिक को आदेशित किया जाता है कि अविलंब इसकी आदेश की प्रति संबंधित अधिकारीगण को नियमानुसार प्रेषित कर सुनिश्चित करें।

यह आदेश रवि कुमार दिवाकर सिविल जज सीनियर डिविजन वाराणसी की ओर से जारी किया गया है।’

उल्लेखनीय है कि तीसरे दिन के सर्वे के बाद वादी पक्ष के पैरोकार सोहनलाल आर्य ने ज्ञानवापी मस्जिद से बाहर निकलने के बाद हाथों से विजय का इशारा करते हुए कहा कि ‘नंदी जिसका इंतजार कर रहे थे वह बाबा मिल गए’। इतिहास कालखंड में जो भी लिखा था वह मिल गया है। उन्होंने कबीर दास के दोहे ‘जिन खोजा तिन पाइयां, गहरे पानी पैठ’ का उल्लेखकर कहा कि समझिए, जो कुछ खोजा जा रहा था, उससे कहीं अधिक मिला है।

उन्होंने दावा किया कि गुंबद, दीवार और फर्श के सर्वे के दौरान कई साक्ष्य दबे दिखे। उधर,मस्जिद पक्ष के अधिवक्ताओं अभयनाथ यादव और मुमताज अहमद ने वादी पक्ष के सोहन लाल आर्य के दावे को नकार दिया और दो टूक कहा कि सर्वे में अंदर कुछ भी नहीं मिला है।

सोहनलाल आर्य के दावे पर जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने कहा कि अगर किसी ने कोई बात कही है या किसी बात का दावा किया है तो यह उनकी व्यक्तिगत राय है। ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में कोर्ट कमिश्नर द्वारा रिपोर्ट पेश करने के बाद कोई भी बात अदालत के द्वारा ही बताया जाएगा। किसी की बात पर कोई ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है।

इसके पहले सर्वे टीम चौक थाने से कड़ी सुरक्षा के बीच ज्ञानवापी मस्जिद के लिए रवाना हुई। मस्जिद परिसर में प्रवेश के पूर्व सभी सदस्यों के मोबाइल फोन जमा करा लिया गया। सर्वे के चलते लगातार तीसरे दिन ज्ञानवापी मस्जिद से लगभग एक किलोमीटर की दूरी तक मार्ग प्रतिबंधित रहा। काशी विश्वनाथ मंदिर के गेट नंबर चार के दोनों तरफ करीब 500 मीटर पहले ही बैरिकेडिंग की गई। किसी भी वाहन को गोदौलिया-मैदागिन मार्ग पर नहीं जाने दिया गया। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों को गलियों के रास्ते काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश कराया गया। ज्ञानवापी के एक किलोमीटर तक जगह-जगह पुलिस और पीएसी के जवान मुस्तैद रहे। पुलिस अफसरों के अनुसार ज्ञानवापी में पहले दिन सुरक्षा 10 लेयर की थी। दूसरे दिन रविवार को 12 लेयर की कर दी गई। तीसरे और अन्तिम दिन 16 लेयर की सुरक्षा व्यवस्था की गई । तीसरे और अन्तिम दिन के सर्वे के बाद कोर्ट कमिश्नर ने बताया कि कार्यवाही पूरी हो गई है। न्यायालय में रिपोर्ट दाखिल किया जायेगा।

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