माओवादी विचारधारा को शहरी इलाके में फैलाने और देश की चुनी हुई सरकार के खिलाफ साजिश रचने के इनपुट को आधार बनाकर एनआईए ने उत्तर प्रदेश के पांच जिलों के आठ ठिकानों पर छापेमारी कर एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। इस कार्रवाई के दौरान तीन लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में भी लिया लेकिन बाद में छोड़ दिया और दोबारा पूछताछ के लिए भी बुलाया है। इसके साथ ही एनआईए ने बड़े पैमाने पर सुबूत भी इकट्ठा किए हैं। यह छापेमारी मंगलवार को गई।
नक्सलियों की बढ़ती सक्रियता पर रोक लगाने के उद्देश्य से एनआईए ने सीपीआई (माओवादी) के पांच शहरों उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, वाराणसी, चंदौली, आजमगढ़ और देवरिया के आठ ठिकानों पर छापेमारी की है। इसके साथ ही एनआईए ने भारत सरकार के खिलाफ युद्ध की साजिश, आपराधिक षड्यंत्र व यूएपीए एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है । इनके पास से एक मोबाइल, दो लैपटॉप, मेमाेरी कार्ड, पेन ड्राइव, कंपैक्ट डिस्क, मोबाइल सिम, पंपलेट, माओवादी से संबंधित पुस्तकें, पाकेट डायरी, रसीद बुक व कागजात जब्त किए हैं।
एनआईए टीम को जांच में पता चला है कि आतंक और भय का माहौल पैदा करने के लिए संगठन को खड़ा किया जा रहा है। इसके लिए युवाओं की भर्ती की जा रही है और प्रमोद मिश्र इस माओवादी कैडर को मजबूत करने के उद्देश्य से काम कर रहे हैं। इस मामले में बिहार पुलिस ने एक माह पहले रोहित विद्यार्थी को गिरफ्तार किया था, जो रितेश विद्यार्थी का भाई है, जिसकी पत्नी का नाम इसी मामले में दर्ज है। रोहित विद्यार्थी से पूछताछ के बाद बिहार पुलिस ने उत्तरी भारत क्षेत्र के प्रभारी माओवादी सदस्य प्रमोद मिश्रा का गिरफ्तार किया। इनकी गिरफ्तारी के साथ पुलिस ने गोला बारूद और हथियार बनाने वाली फैक्टरी को सीज किया। जहां पर देशी हथियार बनाने का काम हो रहा था। एनआईए की टीम ने युद्ध की साजिश, आपराधिक षड्यंत्र व यूएपीए एक्ट की धाराओं के तहत जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, उसमें मनीष आजाद और रितेश विद्यार्थी के साथ इनके सहयोगी विश्वविजय, सीमा आजाद, अमिता सरीन, कृपा शंकर, सोनी आजाद, आकांक्षा आजाद और राजेश आजाद का नाम है।