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इविवि : सात विभागों में 77 नये शिक्षकों की नियुक्ति, यहाँ पढ़ें पूरी खबर

प्रयागराज  (हि.स.)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव के नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने एक नए कीर्तिमान को प्राप्त किया है। ईसी की एक महत्वपूर्ण बैठक ऑनलाइन मोड में आयोजित हुई। इस दौरान सात विभागों में 77 नए शिक्षकों की नियुक्ति पर मुहर लगाई गई।

उक्त जानकारी मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी डॉ जया कपूर ने देते हुए बताया कि बुधवार को हुई बैठक में जो पारित हुआ है, उसमें प्राचीन इतिहास, शिक्षाशास्त्र, समाजशास्त्र, राजनीती शास्त्र, गांधी अध्ययन एवं वनस्पति विज्ञान विभाग हैं। इसके अलावा अंग्रेजी विभाग के जो लिफाफे मामला कोर्ट के विचाराधीन होने के कारण नहीं खुल पाए थे वहां भी अनारक्षित वर्ग में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिफाफे खोले गए।

डॉ कपूर ने शिक्षकों की विभागवार नियुक्तियों के बारे में बताया कि प्राचीन इतिहास विभाग में 15 असिस्टेंट प्रोफेसर और 06 एसोसिएट प्रोफेसर, राजनीति शास्त्र में 15 असिस्टेंट प्रोफेसर और 04 एसोसिएट प्रोफेसर, शिक्षा शास्त्र विभाग में 10 असिस्टेंट प्रोफेसर और 02 एसोसिएट प्रोफेसर, समाज शास्त्र विभाग में 03 असिस्टेंट प्रोफेसर, वनस्पति विज्ञान विभाग में 14 असिस्टेंट प्रोफेसर और 03 एसोसिएट प्रोफेसर, गांधी अध्ययन में 02 असिस्टेंट प्रोफेसर और अंग्रेजी विभाग में 03 असिस्टेंट प्रोफेसर हुए हैं।

अंग्रेजी विभाग की डॉ. जया कपूर की प्रोफेसर पद और सांख्यिकी विभाग में डॉ. पुंडीर की एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर, शिक्षाशास्त्र विभाग में पी के अस्तालिन, डॉ. सरोज यादव और डॉ. रूचि दुबे के असिस्टेंट प्रोफेसर स्टेज-3 पर सीएएस के अंतर्गत पदोन्नति की संस्तुति भी की गयी। वे सभी विभाग जिनमें नए शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है वे शिक्षकों की कमी से लम्बे समय से जूझ रहे थे।

प्राचीन इतिहास विभाग में 34 साल बाद, राजनीति शास्त्र विभाग में 18 वर्ष बाद, शिक्षाशास्त्र विभाग एवं समाजशास्त्र विभाग में 9 वर्ष बाद, वनस्पति विज्ञानं विभाग में 26 साल बाद नियुक्तियां हुई हैं। गाँधी अध्ययन में पहली बार शिक्षक नियुक्त हुए हैं। इसके साथ अब तक कुल 20 विषयों में 240 शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है। उन्होंने बताया कि गैर शैक्षणिक पदों के लिए भी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और 6 नवम्बर को ग्रुप ए और बी की प्रथम चरण की परीक्षा भी करवाई जा चुकी है और शीघ्र ही 400 से ज़्यादा गैर शैक्षणिक पद भी भरे जाने की आशा है।

डॉ कपूर ने यह भी बताया कि जो शिक्षक नियुक्त किये गए हैं वे पूर्व में हुई नियुक्तियों की भांति ही अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में अध्ययन-अध्यापन एवं शैक्षिक अनुभव की योग्यता के साथ हैं। दो शिक्षकों को अमेरिका से और एक शिक्षक को बेल्जियम से शिक्षण एवं शोध का अनुभव है। विश्वविद्यालय में बदलाव और आगे बढ़ने का क्रम आने वाले समय में अधिक गति लेगा और देश की ये ऐतिहासिक शैक्षिक धरोहर अपने वर्चस्व को पुनः प्राप्त करेगी।

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