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आईआईटी-कानपुर की कामयाबी : धूप से चार्ज होगा ड्रोन, 5000 फीट की ऊंचाई से करेगा….

12 घंटे तक उड़ेगा

 – 5000 फीट की ऊंचाई से करेगा जासूसी, दुश्मन पकड़ भी नहीं पाएगा

आईआईटी कानपुर में डेढ़ साल की मेहनत के बाद तैयार हुआ है यह ड्रोन

 

कानपुर। अपने देश में भी सोलर पावर ड्रोन तैयार हो चुका है। यह बड़े कमाल का है। बाढ़ जैसी आपदा में दुर्गम इलाकों की निगरानी करेगा। धूप से चार्ज होगा, साथ ही 5000 फीट की ऊंचाई पर रहकर जवानों तक पल-पल की जानकारी पहुंचाएंगा और दुश्मन इसे पकड़ भी नहीं पाएगा। चीन जैसे देशों की तर्ज पर भारत में भी तैयार हुआ सोलर पावर ड्रोन हवा में लगातार 12 घंटे तक उड़ सकेगा। इसे दूर-दराज के क्षेत्रों में भी भेजा सकता है।

सोलर पावर ड्रोन को आईआईटी कानपुर में मराल एयर स्पेस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने तैयार किया है। आईआईटी की लैब में ड्रोन को तैयार करने में डेढ़ साल से भी ज्यादा का समय लग गया है। कंपनी के मेजर बीजू बाला कृष्णा ने बताया कि इस ड्रोन में खास बात यह है कि यह बहुत लंबे समय तक हवा में रह सकता है। आम ड्रोन लगभग एक से डेढ़ घंटे तक ही हवा में रह सकते हैं। इसके अलावा इसमें आईआईटी के कई आधुनिक सेंसर, कैमरा और राउटर का प्रयोग किया गया है। उन्होंने बताया कि यह जितनी देर हवा में रहेगा, इसकी बैटरी कम नहीं होगी। यह धूप से लगातार चार्ज होता रहेगा, क्योंकि इसकी ऊपरी सतह पर सोलर पैनल लगाया गया है। उनका दावा है कि अभी तक भारत के अंदर इस तरह का ड्रोन कहीं नहीं बना है। यह सोलर पैनल वाला पहला ड्रोन है। इसकी लंबाई लगभग साढ़े 5 फिट की है।

 

खराब मौसम में भी काम करेगा ड्रोन

बीजू बाला कृष्णा ने बताया कि यह ड्रोन खराब मौसम में भी काम करेगा। इस ड्रोन में हाई विजिबिलिटी कैमरा लगाया गया है। इस कैमरे की मदद से 5000 फीट की ऊंचाई से भी साफ तस्वीरें आसानी से मिलेगी। दावा किया गया है कि अगर किसी जंगल का सर्वे करना हो या फिर गंगा नदी में सर्वे कराना हो तो इसे आराम से हम लंबी दूरी पर भी भेज सकते हैं।

 

स्पेशल कोडिंग कर रडार प्रूफ बनाएंगे

वैज्ञानिकों ने बताया कि इस ड्रोन को अगली पीढ़ी का बनाने के लिए आईआईटी में शुरू हो गया है। सबसे पहले इसको रडार प्रूफ बनाना है। यदि यह किसी दुश्मन के क्षेत्र में भी जाए तो उन्हें आसानी से ड्रोन के बारे में पता न लग सके। इसके लिए इसमें एक स्पेशल पदार्थ का प्रयोग कर उसकी कोडिंग की जाएगी, ताकि रडार इसको पकड़ ना सके और दुश्मन के इलाके से होकर आसानी से वापस भी आ जाए।गौरतलब है कि इस ड्रोन का पहला ट्रायल 2019 में किया जा चुका है। ड्रोन की लंबाई भी लगभग 12 फीट करने की कोशिश है। छोटा ड्रोन बनाने में लगभग 5 करोड रुपए का खर्चा आया था।

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