जरवल/बहराइच। विधानसभा कैसरगंज कहने को तो मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र कहलाता जरूर है। पर अगड़ी-पिछड़ी का बुना जा रहा ताना-बाना मुस्लिम प्रत्याशियों के लिए खतरे की घण्टी जरूर बजा रहा है।बताते चले इस विधान सभा में जो बात उभर कर सामने आ रही है उसमें अंसारी, बेहना, राईनी, साई, दर्जी, कुरैसी आदि जातियां 2022 के होने वाले चुनाव में अपनी अहम भूमिका निभाने के लिए उतावली है। तो दूसरी तरफ शेख, पठान, शिया का रुख भी बहती चुनावी बयार का रुख भाँप रही है जिसका आंकलन मुस्लिम प्रत्याशीयो को आंकलन कर पाना टेढ़ी खीर से कम कतई नही है। फिर भी “सजनी हमही राजकुमार”की तर्ज पर अपनी जीत मुकम्मल मान रहे हैं।
जबकि ऊँट किस करवट बैठेगा लोगो को इसका रत्तीभर अंदाजा नही है। वैसे यहाँ पर सपा के उम्मीदवार की जब तक घोषणा नही होती लोग केवल “अपनी ढपली अपना रांग”ही वोटरों को सुना रहे हैं। जबकि यहाँ का मुस्लिम वोटर साइलेंट मूड में रह कर जो दरवाजे पर गया उसे ही “विजयः भवः”का आशीर्वाद दे रहा है। जिससे मैदान मे कूद चुके प्रत्याशियों को आईने में साफ तस्वीर ही नही दिखाई दे रही। वैसे सूत्रों की माने तो जब तक सपा अपना उम्मीदवार नही उतारती इस सीट पर राहनुमाई कौन करेगा कुछ कह पाना कठीन सा ही है सपा के पत्ते खुल जाने से यहाँ की चुनावी तस्वीर जरूर साफ होकर आईने में दिखाई देने लगेगी जिसका मुस्लिम वोटर बेसब्री से इंतजार कर रहा है।