राजस्थान में सवा साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने मेगा प्लान तैयार कर लिया है। इसकी शुरुआत जोधपुर से हो चुकी है। आज अमित शाह बूथ लेवल तक के कार्यकर्ताओं में जोश का मंत्र फूंकने वाले हैं।
राजस्थान में जीत के लिए पार्टी यूपी फार्मूला लागू करेगी। इधर, प्रदेश के OBC वोट बैंक को भी साधने की तैयारी की जा रही है। इसकी बड़ी वजह यह है कि राजस्थान में 50 से ज्यादा सीटों पर OBC विधायक चुनकर आते हैं। वहीं, सिर्फ जोधपुर संभाग में 15 OBC विधायक हैं, जिनमें 11 कांग्रेस और 4 भाजपा के हैं। ऐसे में इस बड़े वोट बैंक को साधने में बीजेपी जुट गई है।
बीजेपी यूपी प्लान के तहत दो रणनीति पर काम कर रही है। इसमें पार्टी के पदाधिकारियों से लेकर बूथ कार्यकर्ता और वोटर तक को साधने का प्लान तैयार किया गया है।
इस रणनीति के तहत पार्टी ऐसे स्टेट को फोकस कर रही है, जहां भाजपा की सरकार नहीं है। वहीं दूसरी रणनीति के तहत यूपी की तर्ज पर बूथ लेवल तक पार्टी के मैसेज और प्लानिंग को पहुंचाने के लिए सोशल इंजीनियरिंग पर काम किया जा रहा है।
पार्टी इसकी शुरुआत तो मारवाड़ से कर रही है, लेकिन दिवाली के बाद पूरे राजस्थान में सम्मेलन और रैलियां करने का प्लान तैयार किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इन रैलियों और सम्मेलन में पीएम मोदी और नड्डा भी आ सकते हैं।
पार्टी चुनाव से पहले एक्शन मोड में भी है। ऐसे में एक्टिव मेंबर को बूथ तक जोड़कर इनएक्टिव मेंबर को रिप्लेस करने की भी तैयारी कर रही है
क्या है यूपी फॉर्मूला
– 2014 लोकसभा में अमित शाह के पास यूपी का चार्ज था। उस समय एक इनोवेशन शुरू किया। इस प्लान के तहत सबसे ज्यादा महत्व बूथ लेवल के कार्यकर्ता को दिया।
– इसके लिए प्रत्येक बूथ पर पार्टी को समर्पित दस कार्यकर्ताओं की फोर्स तैयार की गई। एक बूथ के दायरे में करीब 1 हजार से 1200 वोटर होते हैं।
– प्रत्येक कार्यकर्ता के जिम्मे पचास से साथ मतदाता आते हैं। ये कार्यकर्ता उन मतदाताओं के संपर्क में रहता है। उन मतदाताओं को पार्टी की रीति-नीति के बारे में जानकारी देते हैं
नतीजा: शाह की इस रणनीति पर काम किया सुनील बंसल ने। इसी फाॅर्मूले का नतीजा रहा कि यूपी में 2014 के बाद हुए लोकसभा व विधानसभा चुनाव में पार्टी लगातार जीत हासिल करती रही।
दिवाली के बाद भाजपा का प्लान
भाजपा ने मारवाड़ के रास्ते वागड़, मेवाड़ और अजमेर के रास्ते जयपुर पहुंच प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने का प्लान तैयार कर लिया है। मोदी-शाह के अलावा भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की अगले 2-3 महीने में राजस्थान में बड़ी रैलियां करने का खाका तैयार किया जा रहा है। इसके लिए राजस्थान के प्रमुख 4 हिस्सों को चुना गया है।
राजस्थान में अब एक्शन प्लान के तहत तैयारी
कहने को तो राजस्थान में यह प्रयोग पहले भी आजमाया गया, लेकिन ढिलाई के साथ। अब शाह खुद पूरे मामले को देख रहे हैं। वे संगठन के पदाधिकारियों से लगातार फीडबैक लेंगे। शाह राजस्थान में पार्टी के वर्कफोर्स को कॉर्पोरेट वर्किंग स्टाइल में ढालने के प्रयास में जुटे हैं ताकि पार्टी नेतृत्व का कोई भी मैसेज चंद मिनट में बूथ लेवल के कार्यकर्ता तक पहुंच सके।
और, अब तक यह हो चुका काम
प्रदेश में पार्टी ने प्रत्येक बूथ पर अपने कार्यकर्ताओं को जोड़ दिया है। पार्टी संगठन में मंडल पदाधिकारियों का महत्व बढ़ाया गया है। एक मंडल में 61 पदाधिकारी होते हैं। इसके अलावा सात अलग-अलग मोर्चे भी हैं। प्रत्येक मोर्चे में बीस-बीस पदाधिकारी। ऐसे में प्रत्येक मंडल पदाधिकारी के अधीन बीस बूथ लेवल कार्यकर्ताओं को जोड़ा गया है।
जहां मेहनत कर सीट निकाल सकें,वहां ज्यादा फोकस
भाजपा के इंटरनल सर्वे व फीडबैक के आधार पर प्रदेश की 200 सीटें तीन कैटेगरी में बांटी है। मोदी-शाह का फोकस 150 सीट पर रहेगा। इसके बावजूद सरकार बनाने के लिए जरूरी 120 सीटें भाजपा उम्मीदवार कैसे जीते, प्लान में यह अहम रहेगा।
बूथ और पन्ना प्रमुख मॉडल को ठीक से लागू कर भाजपा हारी हुई सीटें जीतने की रणनीति बना रही है। ऐसे में सबसे ज्यादा फोकस उन सीटों पर रहेगा, जिसमें मेहनत कर सीट जीत सकते हैं। भाजपा उन सीटों पर ज्यादा मेहनत नहीं करेगी, जो किसी भी सूरत में जीतने जैसी नहीं होगी।