उत्तर प्रदेश में आमतौर पर 15 जून तक बरसात का मौसम शुरु हो जाता है। यह 15 सितंबर तक जारी रहता है। लेकिन इस बार मानसून में देरी हुई है। जिसकी वजह से 13 जुलाई तक महज 38% ही बारिश हुई है। मतलब साफ है कि यूपी सूखे की ओर बढ़ चुका है।
इस बड़ी समस्या को लेकर गुरुवार की देर शाम सीएम योगी से सभी 75 जिलों की समीक्षा की। यूपी के अधिकतर जिलों में बारिश औसत से बेहद कम हुई है। इसका असर फसलों की बुआई पर पड़ रहा है।
आंकड़ों के जरिए आपको बताते है कि यूपी में सूखे के हालात कैसे बने है। दरअसल, हर से जुलाई के महीने में अब तक समान्य वर्षा 199. मिलीमीटर होता है, लेकिन इस साल अब तक सिर्फ 76.6 मिलीमीटर ही बारिश हुई है। इस लिहाज से सामान्य वर्षा लगभग 62% कम बारिश हुई है। अब जब बारिश सामान्य से भी 62 फीसदी कम हुई है तो यूपी के अधिकतर इलाकों में हालात सूखे के है।
उत्तर-प्रदेश के 19 जिले ऐसे हैं यहां अब तक सामान्य से 40% से 60% तक ही बारिश दर्ज की गई है। ललितपुर, फिरोजाबाद, वाराणसी और हापुड़ में सामान्य (80% से 120%) और खीरी, देवरिया, एटा और बिजनौर में सामान्य से कम (60%-80%) वर्षा हुई है। यूपी में सिर्फ आगरा ही ऐसा जिला रहा है जहां सामान्य वर्षा हुई है। कम बारिश वाले जिलों के लिए सीएम ने अधिकारियों को किसानों की मदद के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए है।
यूपी में कम वर्षा की वजह से खरीफ फसलों की बोआई भी प्रभावित हुआ है। खरीफ अभियान 2022-23 के तहत 13 जुलाई की तक प्रदेश में 96.03 लाख हेक्टेयर बुआई का टारगेट होता है। लेकिन इस साल अभी तक 42.41 लाख हेक्टेयर की बुआई हो सकी है। यह टारगेट का महज 44.16% ही है।
इसमें 45% हिस्सा अकेले धान की बोआई का है। पिछले साल 13 जुलाई तक 53.46 लाख हेक्टेयर भूमि पर बुआई हो चुकी थी।
UP में18 जुलाई से होगी अच्छी बारिश
मौसम वैज्ञानिकों के की माने तो अगले 18 जुलाई से अच्छी वर्षा की संभावना है। हालांकि अभी तक कम बारिश की वजह से फसलों की बुआई कम हुई है। किसान परेशान है लेकिन उम्मीद है कि देर से ही सही, अगर अच्छी बारिश होती है तो नुकसान थोड़ा कम हो सकता है। हालांकि सीएम ने वैकल्पिक प्रबंध के लिए तैयार रहने के लिए कहा है।
हर हालात के लिए प्रशासन रहें तैयार- CM
सीएम ने सभी परिस्थितियों के लिए कार्ययोजना तैयार रहने के निर्देश दिए है। सीएम ने कहा है कि, “किसानों को सही जानकारी दी जाए। बांदा, चंदौली, हमीरपुर, देवरिया, जालौन जिलों के साथ साथ बलिया, बस्ती, गोरखपुर, महराजगंज, संतकबीरनगर और श्रावस्ती जैसे जिलों पर विशेष ध्यान दिया जाना जरुरी है।”