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यूपी : अखिलेश अपने में बदलाव नहीं लायेगे तो दूर हो जाएंगे सहयोगी

– ओम प्रकाश और संजय चौहान ने अखिलेश पर निशाना साधा

– अखिलेश अपने में बदलाव नहीं लायेगे तो दूर हो जाएंगे सहयोगी

लखनऊ । समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव की सुस्ती पार्टी की नैया डुबो रही है। रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीट पर सपा प्रत्याशियों की हुई हार के बाद सपा के सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के मुखिया ओम प्रकाश राजभर और जनवादी पार्टी सोशलिस्ट के मुखिया डा. संजय चौहान ने यह दावा किया है।

ओमप्रकाश और संजय चौहान का यह भी कहना है कि अखिलेश यादव के अति आत्मविश्वास ने उपचुनावों में सपा की नैया डुबोई है। अखिलेश यादव दो विधानसभा तथा दो लोकसभा चुनावों हारने के बाद भी राजनीति के दांवपेंच सीख नहीं पाए हैं। अब तो उन्होंने अपनी सुस्ती के चलते आजमगढ़ और रामपुर के मजबूत गढ़ को भी गंवा दिया है।

सपा के सहयोगी दलों का अखिलेश यादव पर किया गया यह हमला अखिलेश के नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रहा है। अब अगर अखिलेश यादव मौके के अनुरूप अपनी सियासत में बदलाव नहीं लाते तो उनके सहयोगी उनसे दूर हो जाएंगे। यह संकेत ओम प्रकाश और संजय चौहान ने दे दिया है। इन दोनों नेताओं ने खुलकर अपने तेवर दिखाते हुए अखिलेश यादव की सियासत को लेकर तल्ख टिप्पणी की है।

राजभर ने कहा है कि मैं लगातार अखिलेश यादव से कह रहा हूँ कि लखनऊ के एसी कमरे से बाहर निकलकर गांव -कस्बों में जाएं। लोगों से मिलें। उन्होंने नहीं सुना। आजमगढ़ और रामपुर में चुनाव प्रचार करने तक नहीं गए। यहीं नहीं इन दोनों ही सीटों पर उन्होंने प्रत्याशी का चयन देर से किया। बीते विधानसभा चुनावों में भी सपा मुखिया ने प्रत्याशी चयन में विलंब किया था जिसके चलते चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी को चुनाव प्रचार करने का समय कम मिला। यही गलती सपा मुखिया ने आजमगढ़ और रामपुर के उपचुनावों में भी की। इन सीटों पर उन्होंने चुनाव प्रचार तक नहीं किया। जबकि आजमगढ़ सीट तो उनकी अपनी थी। इसलिए इस सीट पर उन्हें चुनाव प्रचार करने जाना चाहिए था। अपने सुस्ती के चलते वह आजमगढ़ नहीं गए। आजमगढ़ और रामपुर सीट हार गए।

सपा के दूसरे सहयोगी जनवादी सोशलिस्ट पार्टी के मुखिया डा. संजय चौहान अखिलेश की ट्वीटर पालटिक्स से परेशान हैं। वह कहते हैं कि अखिलेश यादव ट्वीटर के जरिए सियासत कर रहे हैं। जबकि उनका मुकाबला 24 घंटे चुनावी मोड़ में रहने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से है। इसके बाद भी अखिलेश यादव चुनाव हारने वाले चाटुकारों पर यकीन करते हुए घर में बैठकर राजनीति कर रहें हैं। चुनावी जंग घर में बैठकर नहीं जीती जाती।

स्वामी को विधान परिषद भेजना गलत

संजय विधानसभा चुनाव हारने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य को विधान परिषद भेजने के फैसले के लिए भी अखिलेश की आलोचना करते हैं। उनका कहना है कि अखिलेश का यह फैसला भी गलत था। संजय कहते हैं कि यादव समाज के अलावा ओबीसी में अति पिछड़ा वर्ग जब तक भाजपा के साथ रहेगा तब तक सपा चुनाव नहीं जीत सकती। अखिलेश को यह समझना चाहिए। अति आत्मविश्वास के कारण अखिलेश पिछला विधानसभा चुनाव हारे और अब फिर उन्होंने वही गलती की है।

फ़िलहाल सपा के साथ खड़े यह दोनों नेता अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं। वह नेता चाहते हैं कि अखिलेश यादव सुस्ती छोड़कर एक जुझारू नेता के रूप में जिलों में जाएं। लोगों से मिलें और अपनी सियासत की खामियों को दूर करें। ताकि यूपी में 2024 के चुनाव में भाजपा से मुकाबला किया जा सके। सपा मुखिया को उनके सहयोगियों का यह दूरगामी संदेश है, क्योंकि उनका भी सियासी भविष्य सपा के आधार पर टिका है।

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