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मिशन 2024 के लिए पार्टी ने खेला बड़ा दांव, भूपेंद्र सिंह चौधरी बने UP बीजेपी के नए अध्यक्ष

भूपेंद्र सिंह चौधरी को भारतीय जनता पार्टी का यूपी प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। बतौर पंचायती राज्य मंत्री 6 साल से जिम्मेदारी संभालने वाले भूपेंद्र चौधरी की पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट बिरादरी में मजबूत पकड़ है।

मुलायम सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले भूपेंद्र चौधरी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बड़ी जिम्मेदारी मिली है। करीब 20 लोकसभा सीट पर उनका असर माना जाता है।

5 पॉइंट में बताते हैं कि भूपेंद्र चौधरी को अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे पूरा प्लान क्या है?

पॉइंट 1 : किसान जाट नेता
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट नेताओं में सतपाल मलिक की आज भी पकड़ है। वो बागपत के रहने वाले हैं। मेघालय के राज्यपाल सतपाल मलिक अक्सर किसानों के मामले को लेकर केंद्र सरकार में पैरवी करते रहते हैं। ऐसे में भूपेंद्र के जरिए पश्चिमी यूपी में जाट नेताओं का एक विकल्प खड़ा करना भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की बड़ी प्लानिंग है।

लंबे समय से जाट नेताओं के बीच जाट आंदोलन जाट सम्मेलन में भूपेंद्र चौधरी भाग लेते रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 10% वोट बैंक जाट का माना जाता है। 20 से 25 लोकसभा सीटों पर जाट वोट बैंक का असर है।

पॉइंट 2 : संगठन और सरकार में अनुभव

1999 में सपा संस्थापक मुलायम सिंह के खिलाफ चुनाव लड़कर भूपेंद्र चौधरी ने खुद को साबित किया था। संगठन के साथ काम करने का भूपेंद्र चौधरी का अच्छा अनुभव है। जिसका 2024 के लोकसभा चुनाव में फायदा मिलेगा। भूपेंद्र चौधरी कभी विवाद में नहीं रहे हैं। संघ और संगठन भाजपा के साथ भी काम करते रहे हैं।

पॉइंट 3 : बंसल के करीबी हैं भूपेंद्र

भूपेंद्र चौधरी सुनील बंसल के करीबी माने जाते हैं। सुनील बंसल और चौधरी उत्तर प्रदेश भाजपा के संगठन में अपनी पकड़ अभी भी बनाए रखना चाहते हैं। केंद्रीय नेतृत्व भी चाहता है कि सुनील बंसल जिम्मेदारी में उत्तर प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष कार्य करते रहे। जिसे पुराने किए गए सभी कार्य और समीक्षा का भी फैसला निर्णय तत्कालीन अध्यक्ष ले सके। विपिन चौधरी संघ से जुड़े होने की वजह से भाजपा संगठन में अच्छी पकड़ भी रखते हैं।

पॉइंट 4 : सपा-आरएलडी और कांग्रेसी का प्लान फेल करना
किसान जाट परिवार से आने वाले भूपेंद्र चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर सपा आरएलडी और कांग्रेस के पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हो रही मजबूत पकड़ को तोड़ने में है भूमिका निभा सकते हैं। बीते दिनों अखिलेश यादव ने आरएलडी प्रमुख को राज्यसभा भेजकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट, किसान, मुसलमान और यादव की एकता को मजबूत रखने के लिए बड़ा कदम उठाया था। वहीं मुरादाबाद से लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले इमरान प्रतापगढ़ी को राज्यसभा भेजकर कांग्रेस ने मुसलमान और पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपनी मजबूत पकड़ रखना चाहते है। ऐसे में संजीव बालियान केंद्रीय राज्यमंत्री के बाद भूपेंद्र चौधरी का उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष बनाकर कद बढ़ाया जाने से जाट किसान अपने भरोसे में रखने का कदम माना जा रहा है।

पॉइंट 5 : सरकार पर “संगठन” का दबाव

बीते 17 अगस्त को केशव प्रसाद मौर्य ने एक ट्वीट किया था सरकार से बड़ा संगठन है!। जिसके बाद से उत्तर प्रदेश की सरकार और भाजपा की राजनीति में खलबली मच गई। राजनीतिक जानकार मानते है कि, भूपेंद्र चौधरी को यूपी का अध्यक्ष बनाकर सरकार को एक बड़ा संदेश केंद्रीय नेतृत्व देना चाहता है। सरकार से संगठन सच में बड़ा है। भूपेंद्र चौधरी संघ और बीजेपी से लगातार जुड़े रहे। बीते 6 साल से योगी सरकार में पंचायती राज्य मंत्री हैं भूपेंद्र चौधरी की कार्यशैली संगठन की तरफ ज्यादा रही है कहीं ना कहीं वह पार्टी लाइन पर लगातार कार्य करते रहे हैं। आगामी 2024 लोकसभा के चुनाव को देखते हुए भूपेंद्र चौधरी का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद सरकार पर भी संगठन का दबाव बनाने की प्रक्रिया मानी जा रही है।

जाट वोट बैंक की भूमिका और अहमियत?

यूपी में जाटों की आबादी 6 से 8% बताई जाती है, जबकि पश्चिमी यूपी में वो 17% से ज्यादा हैं। ऐसी 18 लोकसभा सीटें हैं: सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, बिजनौर, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, मुरादाबाद, संभल, अमरोहा, बुलंदशहर, हाथरस, अलीगढ़, नगीना, फतेहपुर सीकरी, और फिरोजाबाद जहां जाट वोट बैंक चुनावी नतीजों पर सीधा असर डालता है। विधानसभा की बात करें तो 120 सीटें ऐसी हैं जहां जाट वोटबैंक असर रखता है। लोकसभा सीटों की बात करें तो मथुरा में 40%, बागपत में 30%, सहारनपुर में 20% जाट आबादी है। जाट पारंपरिक तौर पर बीजेपी के वोटर नहीं रहे हैं। यह सूरत 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद बदली। इसके बाद हर चुनाव में जाटों ने बीजेपी को वोट दिया। कह सकते हैं कि यह वोट बैंक धीरे-धीरे बीजेपी के पास गया है।

संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जारी किया नियुक्ति पत्र।
संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जारी किया नियुक्ति पत्र।

मुरादाबाद के गांव में हुआ था भूपेंद्र चौधरी का जन्म
भूपेंद्र चौधरी का जन्म मुरादाबाद के महेंद्री सिंकदरपुर गांव में साल 1966 में एक किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने मुरादाबाद के आरएन इंटर कॉलेज से 12वीं तक की पढ़ाई की है। इसके बाद वह विश्व हिंदू परिषद यानी VHP से जुड़े। फिर 1991 में भाजपा जॉइन की। उन्हें 10 जून, 2016 को यूपी विधान परिषद का सदस्य चुना गया था। वह 2012 में भाजपा के पार्टी के क्षेत्रीय अध्यक्ष रहे हैं।योगी-2.0 में भूपेंद्र चौधरी को यूपी में दूसरी बार मंत्री बनाया गया है। इससे पहले उन्होंने संगठन में लंबे समय तक काम किया है। भूपेंद्र चौधरी 1999 में सपा संस्थापक मुलायम सिंह के खिलाफ लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। उसमें हारने के बाद भी भाजपा ने भूपेंद्र चौधरी पर पूरा भरोसा रखा है।

2014 से लेकर अब तक बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष

  • डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेई (ब्राह्मण)
  • केशव प्रसाद मौर्य (ओबीसी)
  • महेंद्र नाथ पांडेय (ब्राह्मण)
  • स्वतंत्र देव सिंह (ओबीसी)

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