मध्य प्रदेश। देश का पहला वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन हबीबगंज नए रूप में बनकर तैयार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को इसका लोकार्पण करेंगे। हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलने की भी तैयारी है। हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम अब रानी कमलापति हो सकता है। यह प्रस्ताव राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को भेजा है। राज्य के परिवहन विभाग ने शुक्रवार देर शाम गृह मंत्रालय को एक पत्र भेजा है।
इसमें कहा गया है कि 16वीं सदी में भोपाल क्षेत्र गोंड शासकों के अधीन था। रानी कमलापति ने अपने जीवन भर बहादुरी के साथ अतिक्रमणकारियों का सामना किया था। नए बने इस रेलवे स्टेशन पर अब यात्रियों को शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, हॉस्पिटल, मॉल, स्मार्ट पार्किंग, हाई सिक्योरिटी समेत कई आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी।

आइए आपको बताते हैं कि हबीबगंज रेलवे स्टेशन की शुरुआत कब हुई थी, कैसे पड़ा इसका मौजूदा नाम और एक सामान्य रेलवे स्टेशन से वर्ल्ड क्लास तक का सफर…
गांव का नाम था हबीबगंज
‘चौथा पड़ाव’ किताब के लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार विजयदत्त श्रीधर ने बातचीत में मीडिया को बताया कि हबीबगंज गांव का नाम था। हबीबगंज नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि यहां की हरियाली और झीलें इसकी सुंदरता को बढ़ा देती थी।
अरबी भाषा में हबीब का अर्थ होता है प्यारा और सुंदर। भोपाल के नवाब की बेगम ने यहां की हरियाली और झीलों के बीच बसे इस गांव का नाम हबीबगंज रखा था। जब रेलवे लाइन बिछाई गई, तब इटारसी-भोपाल के बीच बुधनी, बरखेड़ा, औबेदुल्लागंज और मंडीदीप स्टेशन बनाए गए थे। इसके एग्रीमेंट में था कि यह रेल लाइन ब्रॉडगेज होगी।
1979 में बना था हबीबगंज रेलवे स्टेशन
1947 में आजादी के बाद भारतीय रेल का 55 हजार किलोमीटर का नेटवर्क था। 1952 में मौजूदा रेल नेटवर्क को एडमिनिस्ट्रेटिव पर्पज के लिए 6 जोन में डिवाइड किया गया। इसके बाद कई स्टेशन बनाए गए। इनमें हबीबगंज भी शामिल था। हबीबगंज रेलवे स्टेशन का निर्माण 1979 में किया गया।
1884 में बेगम शाहजहां ने दी थी जमीन
मध्यप्रदेश के 1000 साल के इतिहास पर लिखी गई किताब ‘चौथा पड़ाव’ में रेलवे स्टेशन की कहानी भी है। इसके मुताबिक भोपाल नवाब परिवार की मिल्कियत वाली जमीनों में 122.36 किलोमीटर रेलवे लाइन भी थी। होशंगाबाद (नर्मदा नदी के पुल) से भोपाल तक 70.80 किमी रेल लाइन के लिए बेगम शाहजहां ने 1 नवंबर 1884 को जमीन दी थी। इसके लिए उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के साथ एग्रीमेंट किया था। इसके बाद भोपाल स्टेट रेलवे बनाया गया था। इसमें बेगम शाहजहां ने 50 लाख रुपए दान दिए थे।
भोपाल से उज्जैन रेल लाइन के लिए भी दी थी जमीन
बेगम शाहजहां ने भोपाल से उज्जैन के बीच 51 किमी रेल लाइन के लिए भी 1 जनवरी, 1891 को जमीन दी थी। उन्होंने जमीन के साथ रेलवे लाइन के लिए 20.80 लाख रुपए भी दिए थे। इतनी ही राशि सिंधिया राजघराने ने दी थी, क्योंकि उज्जैन के हिस्से में भी उनकी मिल्कियत थी।
आईएसओ-9001 सर्टिफाइड देश का पहला स्टेशन
हबीबगंज देश में पहला आईएसओ-9001 सर्टिफाइड रेलवे स्टेशन है। यह स्टेशन भारत की पहली सर्टिफाइड ट्रेन शान-ए- भोपाल एक्सप्रेस का हेडक्वार्टर भी है, जहां कई बड़ी ट्रेनों का स्टॉपेज है।
वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनाने पर सौ करोड़ खर्च
14 जुलाई 2016 को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के तहत रेलवे ने हबीबगंज के मॉडर्नाइजेशन के लिए पहला कॉन्ट्रेक्ट किया। 5 साल तक चले मॉडर्नाइजेशन प्रोजेक्ट के बाद जुलाई 2021 में हबीबगंज स्टेशन बनकर तैयार हो गया। यहां वर्ल्ड क्लास सुविधाएं हैं। इन पर करीब 100 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।
यात्रियों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो, इसे ध्यान में रखते हुए तमाम तरह की सुविधाएं देने की कोशिश की गई हैं। आने वाले समय में स्टेशन को ब्रिज के जरिए तैयार हो रहे मेट्रो स्टेशन से भी जोड़ा जाएगा।
किससे हुआ करार?
हबीबगंज रेलवे स्टेशन को एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित करने के लिए भारतीय रेलवे ने बंसल ग्रुप के साथ करार किया। तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु की मौजूदगी में हबीबगंज रेलवे स्टेशन के री-डेवलपमेंट और मॉडर्नाइजेशन के लिए भारतीय रेल स्टेशन विकास निगम लिमिटेड (IRSDC) और बंसल ग्रुप के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
कई बार बढ़ी डेडलाइन
हबीबगंज स्टेशन को वर्ल्ड क्लास बनाने का काम मार्च 2017 से शुरू हुआ था। इसे दिसंबर 2018 तक पूरे करने के दावे किए थे। दूसरी डेडलाइन जुलाई 2019 थी, तब भी काम पूरा नहीं हो सका था। फिर 31 दिसंबर 2019 तक काम पूरा करने का दावा किया गया, लेकिन काम तब भी पूरा नहीं हुआ। इसके बाद मार्च 2020 डेडलाइन दी गई, लेकिन फिर भी काम पूरा नहीं हुआ। फिर कोरोना संक्रमण काल आ गया, जिसके कारण काम में देरी हुई।